अध्यादेश पर केजरीवाल का समर्थन करना नेहरू-अंबेडकर के निर्णयों के खिलाफ – कांग्रेस

नई दिल्ली: कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता अजय माकन ने साफ कर दिया है कि ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले पर लाए गए केंद्र के अध्यादेश पर कांग्रेस आप को सपोर्ट नहीं करेगी। कांग्रेस इस मामले पर क्यों सपोर्ट नहीं करेगी, इसके भी उन्होंने कई कारण गिना दिए हैं। माकन ने कहा कि अगर कांग्रेस ऐसा करती है तो वो नेहरू-अंबेडकर के निर्णयों के खिलाफ जाने जैसा होगा।
केंद्र से हमारे प्रिय नेता से भारत रत्न वापस लेने का अनुरोध किया
माकन ने कहा, ‘केजरीवाल ने कांग्रेस पार्टी (Congress) का समर्थन मांगा है। हालांकि, उनकी कुछ पिछली राजनीतिक गतिविधियां सवालों के घेरे में हैं। उनकी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा में भाजपा के साथ एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से हमारे प्रिय नेता राजीव गांधी जी से भारत रत्न वापस लेने का अनुरोध किया। केजरीवाल ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर संसद के अंदर और बाहर दोनों जगह भाजपा का समर्थन किया।’ उन्होंने दावा किया, ‘केजरीवाल ने विभिन्न आरोपों पर भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा पर महाभियोग चलाने के दौरान भी भाजपा का समर्थन किया। केजरीवाल विवादास्पद किसान विरोधी कानूनों को लागू करने वाले पहले व्यक्ति थे। आम आदमी पार्टी ने गुजरात, गोवा, हिमाचल, असम, उत्तराखंड में भाजपा की मदद की।
#WATCH | How are they asking for Congress’ support? He (Arvind Kejriwal) with support of BJP passed a motion to take back Rajiv Gandhi’s Bharat Ratna. He supported the BJP in the J&K Article 370 issue. He supported BJP during the impeachment of Justice Deepak Mishra. A person who… pic.twitter.com/7gJzCn2bTx
— ANI (@ANI) May 23, 2023
नेहरू-अंबेडकर का दिया हवाला
माकन ने लिखा कि सर्वप्रथम, केजरीवाल का समर्थन करके, हम अपने अनेक सम्मानित नेताओं: 21 अक्टूबर 1947 को बाबा साहब अम्बेडकर, 1951 में पंडित नेहरू और सरदार पटेल, 1956 में पंडित नेहरू द्वारा लिया गया एक और निर्णय, गृह मंत्री के रूप में लाल बहादुर शास्त्री जी द्वारा 1964 में और 1965 में प्रधान मंत्री के रूप में, और 1991 में श्री नरसिम्हा राव द्वारा लिए गए विवेकपूर्ण निर्णयों के विरोध में खड़े नजर आएंगे।
केजरीवाल पर भड़के माकन
दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी (Congress) के पूर्व अध्यक्ष माकन ने एक बयान में कहा कि केजरीवाल का समर्थन करने का मतलब पंडित जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल और बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर जैसे नेताओं के उन विवेकपूर्ण निर्णयों के खिलाफ खड़ा होना होगा जो उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी के संदर्भ में कभी लिए थे। उन्होंने सवाल किया कि अगर दिल्ली के सभी पूर्व मुख्यमंत्री बिना कोई हंगामा किए अपनी भूमिका का निर्वहन करते रहे थे तो केजरीवाल इतनी अव्यवस्था क्यों फैला रहे हैं?
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केजरीवाल किसी सहानुभूति के हकदार नहीं हैं’
उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के एक हालिया फैसले का पैरा 95 केंद्र सरकार को कानून में संशोधन करने की अनुमति प्रदान करता है।माकन ने कहा, ‘केजरीवाल का समर्थन करना और अध्यादेश का विरोध करना अनिवार्य रूप से पंडित नेहरू, बाबासाहेब आम्बेडकर, सरदार पटेल, लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव के नैसर्गिक विवेक और निर्णयों के विरुद्ध खड़ा होने जैसा होगा।’ पंजाब विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि केजरीवाल किसी सहानुभूति के हकदार नहीं हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘आम आदमी पार्टी और अरविंद केजरीवाल कांग्रेस से किसी सहानुभूति के हकदार नहीं हैं। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार ने कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं के खिलाफ प्रतिशोध की कार्रवाई कर रही है तथा पुलिस एवं जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करके उनके जीवन को मुश्किल में डाल दिया है।’