Chandrayaan-3 Launch : चांद पर तिरंगा लहराने निकला बाहुबली रॉकेट चंद्रयान-3

Chandrayaan-3 Launch : चंद्रमा की सतह पर अपनी छाप छोड़ने के लिए इसरो का मून मिशन चंद्रयान 3 अंतरिक्ष के लिए रवाना हो चुका है। है। हजारों लोगों की मौजूदगी में चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग हुई। इस दौरान लोगों ने तालियां बजाकर चंद्रयान-3 को चांद के लिए रवाना किया। चंद्रयान-3 के लॉन्च के साथ ही भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने तीसरा चंद्रयान मिशन शुरू हो गया। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने 23 या 24 अगस्त तक चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग होने की संभावना है।

चंद्रयान-3 को ले जा रहे 642 टन वजनी, 43.5 मीटर ऊंचे रॉकेट LVM3-M4 ने श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी। चंद्रयान-3 को कक्षा बढ़ाने की प्रक्रिया के बाद लूनर ट्रांसफर ट्रेजेक्टरी में डाला जाएगा। अगले 42 दिनों में 30,00,00 किमी से अधिक की दूरी तय करते हुए यह चंद्रमा तक पहुंच जाएगा।

ऑर्बिटर नहीं होगा साथ

चंद्रयान-3 के जरिए इसरो का ये लक्ष्य एलवीएम3एम4 रॉकेट की सफल अंतरिक्ष यात्रा के साथ पूरा होगा. ये बाहुबली रॉकेट चंद्रयान-3 को लेकर अंतरिक्ष में लेकर जाएगा. इसके साथ लैंडर और रोवर मौजूद होंगे. इस बार चंद्रयान के साथ ऑर्बिटर नहीं भेजा जा रहा है, क्योंकि चंद्रयान-2 के साथ भेजा गया ऑर्बिटर अभी भी वहां काम कर रहा है. (Chandrayaan-3 Launch)

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36,968 किमी प्रति घंटे तक होगी रॉकेट की रफ्तार

दोपहर 2.35 बजे जब रॉकेट बूस्टर को लॉन्च किया जाएगा तो इसकी शुरुआती रफ्तार 1627 किमी प्रति घंटा होगी. लॉन्च के 108 सेकंड बाद 45 किमी की ऊंचाई पर इसका लिक्विड इंजन स्टार्ट होगा और रॉकेट की रफ्तार 6437 किमी प्रति घंटा हो जाएगी. आसमान में 62 किमी की ऊंचाई पर पहुंचने पर दोनों बूस्टर रॉकेट से अलग हो जाएंगे और रॉकेट की रफ्तार 7 हजार किमी प्रति घंटा पहुंच जाएगी. (Chandrayaan-3 Launch)

इसके बाद करीब 92 किमी की ऊंचाई पर चंद्रयान-3 को वायुमंडर से बचाने वाली हीट शील्ड अलग होगी. 115 किमी की दूरी पर इसका लिक्विड इंजन भी अलग हो जाएगा और क्रॉयोजनिक इंजन काम करना शुरू कर देगा. रफ्तार 16 हजार किमी/घंटा होगी. क्रॉयोजनिक इंजन इसे लेकर 179 किमी तक जाएगा और इसकी रफ्तार 36968 किमी/घंटे पहुंच चुकी होगी.

पृथ्वी से चांद की कक्षा का सफर

क्रॉयोजनिक इंजन चंद्रयान-3 को पृथ्वी के बाहरी ऑर्बिट में स्थापित करेगा. इसके बाद इसके सौर पैनर खुलेंगे और चंद्रयान पृथ्वी के चक्कर लगाना शुरू कर देगा. धीरे-धीरे चांद अपनी कक्षा को बढ़ाएगा और चांद की कक्षा में प्रवेश करेगा. चंद्रमा के 100 किमी की कक्षा में आने के बाद लैंडर को प्रोपल्शन मॉड्यूल से अलग किया जाएगा और इसके बाद लैंडर की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी.

लैंडर के सफलतापूर्वक लैंड होने के बाद रोवर इसमें से बाहर आएगा और चंद्रमा की सतह पर चलेगा. यहां ये जानना जरूरी है कि इसके पूर्व में भेजे गए मून मिशन चंद्रयान-2 के लैंडर ने चंद्रमा की सतह से 2 किमी पहले ही अपना संपर्क खो दिया था.

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