Delhi Excise Policy : CM केजरीवाल को नहीं मिली जमानत, आखिर क्यों फैसला सुनाने से पहले ही उठी बेंच
Delhi Excise Policy : दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अंतरिम जमानत याचिका पर मंगलवार कोई फैसला नहीं आया। आज सुप्रीम कोर्ट की बेंच अंतरिम आदेश पर कोई भी फैसला सुनाने से पहले ही उठ गई।
इस मामले में कोर्ट की ओर से कोई आदेश नहीं जारी किया गया और सुनवाई 9 मई या अगले हफ्ते में पूरी होगी। इससे पहले सुनवाई के दौरान पीठ ने दोनों पक्षों को सुना। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी से कोर्ट ने पूछा कि क्या केजरीवाल को जमानत मिलने के बाद सरकारी फाइलों पर साइन करेंगे। सिंघवी ने कहा कि उनके मुवक्किल दिल्ली शराब नीति मामले में किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने ईडी के वकील से पूछा कि आपने बताया कि दिल्ली शराब घोटाले (Delhi Excise Policy) से 100 करोड़ धन मिला था, लेकिन यह 2-3 साल में 1100 करोड़ रुपये कैसे बन गया? यह तो बहुत तेजी से बढ़ने वाली राशि हो गई।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने ईडी के वकील से कई सवाल पूछे। ईडी की ओर से बोलते हुए एसवी राजू ने बताया कि जब हमने जांच शुरू की थी, तब यह सीधे तौर पर केजरीवाल के खिलाफ नहीं थी। हमें जांच के दौरान उनकी भूमिका के बारे में पता चला था। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से केजरीवाल की गिरफ्तारी, उसमें लेटलतीफी और कार्रवाई पर भी सवाल उठाया। (Delhi Excise Policy)
चुनाव के चलते बेल पर विचार
केजरीवाल की जमानत पर सुनवाई ब्रेक के बाद फिर शुरू होगी। सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने कहा कि हम सिर्फ लोकसभा चुनाव को देखे हुए अंतरिम जमानत देने पर विचार कर रहे हैं। चुनाव न होता तो हम इस मामले को रिजर्व रखते। दूसरी ओर ईडी के वकील लगातार इस बेल का विरोध कर रहे हैं।
सुनवाई के दौरान सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने चुनाव के मद्देनजर केजरीवाल को जमानत देने का पुरजोर विरोध किया. उन्होंने कहा कि अगर केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिलती है तो ये गलत उदाहरण बनेगा. ये आम लोगों को हतोत्साहित करने वाला होगा कि सिर्फ रसूख के चलते किसी को चुनाव प्रचार के लिए ही जमानत मिल गई. किसी आपराधिक केस में जितने अधिकार किसी आम नागरिक को हासिल हैं, उतने ही किसी राजनेता को.
ASG एसवी राजू ने क्या कहा?
ASG एसवी राजू ने कहा कि शुरुआत में हमारी जांच केजरीवाल को लेकर ही केंद्रित नहीं थी. इसलिए गवाहों से भी सीधे उनकी भूमिका को लेकर सवाल नहीं पूछे गए. लेकिन जैसे जैसे आगे बढ़ी, केजरीवाल की भूमिका भी इसमे सामने आई.अगर शुरुआत में ही हमारी जांच केजरीवाल को लेकर केंद्रित होती तो हम पर आरोप लगता कि हम बदनीयती की भावना से काम कर रहे हैं.