सौराष्ट्र तमिल संगमम समारोह के समापन में शामिल हुए PM, भगवान श्रीकृष्ण को लेकर कही ये बात

Saurashtra Tamil Sangamam: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सौराष्ट्र तमिल संगमम के समापन समारोह में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने श्री सोमनाथ संस्कृत विश्वविद्यालय द्वारा ‘सौराष्ट्र-तमिल संगमप्रशस्ति’ पुस्तक का विमोचन किया। साथ ही उन्होंने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि आजादी के अमृतकाल में हम सौराष्ट्र तमिल संगमम जैसे सांस्कृतिक आयोजनों की एक नई परंपरा के गवाह बन रहे हैं। कुछ महीने पहले बनारस में काशी तमिल संगमम का आयोजन हुआ था जिसकी पूरे देश में चर्चा हुई थी। आज सौराष्ट्र की धरती पर एक बार फिर हम भारत की दो प्राचीन धाराओं का संगम होता देख रहे हैं।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सौराष्ट्र तमिल संगमम का ये आयोजन सिर्फ गुजरात और तमिलनाडु का संगम नहीं है, ये देवी मीनाक्षी और देवी पार्वती के रूप में एक शक्ति की उपासना का उत्सव भी है। भारत विविधता को विशेषता के रूप में जीने वाला देश है। हम विविधता को मनाने वाले लोग हैं। हम अलग-अलग भाषाओं और बोलियों को, कलाओं और विधाओं को मनाते हैं। हमारी आस्था से लेकर आध्यात्म तक, हर जगह विविधता है। (Saurashtra Tamil Sangamam)

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत कठिन से कठिन हालातों में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है, सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें ये भरोसा देता है… हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं तालमेल पर बल देना है। हमें संघर्षों को नहीं संगम और समागमों को आगे बढ़ाना है। हमें भेद नहीं खोजने, हमें भावनात्मक संबंध बनाने हैं। (Saurashtra Tamil Sangamam)

PM मोदी ने कहा आज हमारे पास 2047 के भारत का लक्ष्य है। हमें देश को आगे लेकर जाना है लेकिन रास्ते में तोड़ने वाली ताकतें और भटकाने वाले लोग भी मिलेंगे। भारत कठिन से कठिन हालातों में भी कुछ नया करने की ताकत रखता है। सौराष्ट्र और तमिलनाडु का साझा इतिहास हमें यह भरोसा देता है। हमें सांस्कृतिक टकराव नहीं तालमेल पर बल देना है। हमें संघर्षों को नहीं संगमों और समागमों को आगे बढ़ाना है। हमें भेद नहीं खोजने… भावनात्मक संबंध बनाने हैं। यही भारत की वो अमर परंपरा है जो सबको साथ लेकर समावेश के साथ आगे बढ़ती है, सबको स्वीकार कर आगे बढ़ती है। (Saurashtra Tamil Sangamam)

उन्होंने कहा कि ये संगमम नागेश्वर और संदरेश्वर की धरती का संगम है। यह श्रीकृष्ण और श्री रंगनाथ की धरती का संगम हैं। यह संगम डांडिया और कोलाट्टम का संगम है। भारत विविधता को विशिष्टता के रूप में जीने वाला देश है। हम अलग-अलग भाषाओं, बोलियों, कलाओं और विषओं का उत्सव मानते हैं। हमारी विविधता हमें बांटती नहीं है बल्कि हमारे बंधन और संबंधों को मजबूत बनाती है। अलग- अलग धाराएं जब साथ आती हैं तो संगम का सृजन होता है। हम इन परंपराओं को सदियों से पोषित करते आए हैं। ये प्रोग्राम पिछले 10 दिनों से गुजरात के सोमनाथ में चल रहा है, जिसका आज समापन हुआ। (Saurashtra Tamil Sangamam)

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