वनों और वन्य जीवों के संरक्षण में जनजाति समाज की अहम भूमिका: मंत्री केदार कश्यप

Minister Kashyap Speech: वन मंत्री केदार कश्यप नवा रायपुर स्थित अरण्य भवन में छत्तीसगढ़ बायो डायवर्सिटी बोर्ड और सेवावर्धिनी छत्तीसगढ़ के द्वारा ‘जनजाति क्षेत्र में जैव विविधता संरक्षण और संवर्धन’ विषय पर आयोजित कार्यशाला में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि वनों में रहने वाले जनजाति समुदाय ने कभी भी वनों को हानि नहीं पहुंचाई। वनों पर आधारित जीवन होने के बावजूद सीमित संसाधनों में हमारे पूर्वज जीवनयापन करते आए हैं। हमारे वनवासी और जनजाति समुदाय के लोगों ने वनों को सहेजने का कार्य किया है। प्रत्येक जनजाति समाज के घर-बाड़ी में हमें 20-25 अलग-अलग पेड़ पौधे अवश्य मिलेंगे। जनजाति समाज का प्रकृति के प्रति गहरा प्रेम है।

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वन मंत्री कश्यप ने कहा कि जैव विविधता व्यापक और विस्तृत विषय है, सृष्टि के आदर्श स्वरूप के लिए जैव विविधता का संरक्षण अत्यंत आवश्यक है, इस सन्दर्भ में गीता का एक श्लोक है ‘ईश्वर सर्वभूतानां हृदये अर्जुन तिष्ठति‘ इसका भाव यह है कि प्रत्येक जीव में ईश्वर का वास है। इस दृष्टि से जीव जगत की विविधता ही जगत की सुंदरता है। जैव विविधता पृथ्वी की समृद्धता की परिचायक है, यह प्रकृति की विविध जीवमंडल से संबंधित है। वस्तुतः जैव विविधता पौधों, जानवरों और सूक्ष्म जीव प्रजातियों के बीच के संबंध को दर्शाता है। यह पारिस्थितिकी और आर्थिक महत्व रखता है। यह हमें पोषण आवास, ईंधन, वस्त्र आदि अन्य संसाधन प्रदान करता है, साथ ही जैव विविधता पर्यटन से भी जुड़ा है। (Minister Kashyap Speech)

 

वन मंत्री कश्यप ने कहा कि छतीसगढ़ के परिप्रेक्ष्य में जहां तक जैव विविधता को हम देखें तो गौरव की अनुभूति होती है। छत्तीसगढ़ भारत का 10वां सबसे बड़ा समृद्ध संस्कृति, विरासत और आकर्षक प्राकृतिक विविधता से संपन्न राज्य है। दस हजार सालों पुरानी सभ्यता के साथ भारत के केंद्र में स्थित यह आश्चर्यों से भरा राज्य उन पर्यटकों को बहुत आकर्षित करता है, जो प्राचीनता का अनुभव प्राप्त करना चाहते हैं। छत्तीसगढ़ एक विशिष्ट भारतीय अनुभव प्रदान करता हैं। देश के सबसे विस्तृत झरने, गुफाएं, हरे-भरे जंगल, प्राचीन स्मारक, दुर्लभ वन्यजीव, उत्कृष्ट नक्काशीदार मंदिर, बौद्ध स्थल और पहाड़ी पठार इस राज्य में विद्यमान हैं। (Minister Kashyap Speech)

वन मंत्री कश्यप ने कहा कि छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत से ज्यादा जैव विविधता पाई जाती है, जो पूरे देश में कहीं भी नहीं पाई जाती है। 32 प्रतिशत जनजातीय आबादी के साथ इस राज्य का 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से घिरा हुआ है। छत्तीसगढ़ प्रकृति के प्रति उत्साही लोगों के आकर्षण का केंद्र बन गया है, जो अद्वितीय आदिवासी कला, शिल्प और परंपराओं की खोज करना चाहते हैं। सदियों से इसके आदिवासी समुदायों ने पर्यावरण की अनुकूल प्रथाओं के माध्यम से प्राकृतिक आवास को पोषित और संरक्षित करने में अहम भूमिका निभाई है। छत्तीसगढ़ में पर्यटकों को कला और वास्तुकला, विरासत, हस्तशिल्प, व्यंजन, मेले और त्योहार जैसा बहुत कुछ देखने को मिलता है। छत्तीसगढ़ का उल्लेख कई कथाओं में मिलता है, जिनमें भारत के दो महान महाकाव्य रामायण और महाभारत भी शामिल हैं। (Minister Kashyap Speech)

सबसे चौड़ा जलप्रपात चित्रकोट: कश्यप

वन मंत्री केदार कश्यप ने कहा कि भारत का सबसे चौड़ा जलप्रपात चित्रकोट भी इसी राज्य में है। मानसून में जब इंद्रावती नदी पूरे प्रवाह में होती है, तब बस्तर जिले में स्थित यह जलप्रपात 980 फुट चौड़ा हो जाता है। छत्तीसगढ़ में देवी-देवताओं और कई मंदिरों की विरासत है। बैकुंठपुर कोरिया के हसदेव नदी तट पर 28 करोड़ साल पुराने समुद्री जीवाश्म को संरक्षित करने फॉसिल पार्क बनाया गया। कार्यक्रम में अखिल भारतीय जनजाति हितरक्षा प्रमुख गिरीश कुबेर, अखिल भारतीय जनजाति शिक्षा प्रमुख सुहास देशपांडे, प्रांत संगठन मंत्री वनवासी कल्याण आश्रम रामनाथ कश्यप और एसीएस मनोज कुमार पिंगुआ, पीसीसीएफ निवास राव, एपीसीसीएफ अरुण पांडेय, सदस्य सचिव जैव विविधता बोर्ड प्रभात मिश्रा समेत अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे। (Minister Kashyap Speech)

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