Chhattisgarh Vigilance system : टैक्स चोरी पर लगेगी लगाम, छत्‍तीसगढ़ में लागू हुआ विजिलेंस सिस्‍टम, देखें आदेश

Chhattisgarh Vigilance system : छत्तीसगढ़ में कर चोरी पर लगाम लगाने के लिए राज्य सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। दरअसल, छत्तीसगढ़ के पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग में विजिलेंस सिस्टम लागू कर दिया गया है। यह राज्य का तीसरा प्रमुख राजस्व अर्जित करने वाला विभाग है। विभाग के राजस्व योगदान को बढ़ाने और किसी भी संभावित राजस्व कर चोरी को रोकने के लिए वित्त मंत्री ओपी चौधरी के निर्देश पर महानिरीक्षक पंजीयन और मुद्रांक कार्यालय में एक सतर्कता प्रकोष्ठ (Chhattisgarh Vigilance system) की स्थापना की गई है।

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वर्तमान में पंजीयन और मुद्रांक संबंधित प्रकरणों में कर निर्धारण अधिकारी द्वारा त्रुटि पूर्ण निर्धारण होने पर उसकी पहचान और पुनर्मूल्यांकन ( रिएसेसमेंट ) की कोई व्यवस्था नहीं थी। सतर्कता प्रकोष्ठ बड़े मूल्य की रजिस्ट्री की जांच और परीक्षण कर उसमें किसी भी संभावित कर चोरी  का पता लगाएगा।

टैक्स चोरी में प्रभावी रोकथाम
आधुनिक तकनीक से डाटा एनालिसिस के द्वारा सतर्कता प्रकोष्ठ को इनपुट उपलब्ध कराने के लिए एक विशेष डेटा विश्लेषण टीम की स्थापना सतर्कता प्रकोष्ठ  के अन्तर्गत की जाएगी। यह टीम पंजीयन दस्तावेज़ो से प्राप्त डेटा पर विश्लेषण कर संभावित टैक्स चोरी के प्रकरणों की जानकारी सतर्कता प्रकोष्ठ ( Chhattisgarh Vigilance system ) को उपलब्ध कराएगी। देश के दूसरे राज्यों तथा दूसरे कराधान विभागों में कर प्रणाली में समय-समय पर होने वाले परिवर्तन का अध्ययन और समायोजन भी सतर्कता प्रकोष्ठ द्वारा किया जाएगा। सतर्कता प्रकोष्ठ की स्थापना से कर चोरी में प्रभावी रोकथाम और राज्य के राजस्व में वृद्धि होगी।

ये काम करेगी विजिलेंस यूनिट

  • राज्य के उप पंजीयक कार्यालयों में पंजीकृत विलेखों का रैंडम निरीक्षण कर सही वर्गीकरण होने का परीक्षण करते हुए बाजार मूल्य और प्रभार्य शुल्क के परीक्षण के बाद राजस्व अपवंचन संबंधी विलेखों की जानकारी, महानिरीक्षक पंजीयन को प्रस्तुत करना।
  • उप पंजीयक कार्यालयों में पंजीबद्ध महत्वपूर्ण विलेखों जैसे पट्टा, दानपत्र, व्यवस्था-पत्र, विनिमय, विभाजन, न्यास विलेख, हकत्याग, मुख्त्यारनामा आदि विलेखों तथा स्टाम्प एवं पंजीयन शुल्क से छूट संबंधी विलेखों में छूट की प्रात्रता और शर्तों के अनुपालन के संबंध में समुचित रूप से परीक्षण करना।
  • कलेक्टर ऑफ स्टाम्प द्वारा निर्णित प्रकरणों का परीक्षण भारतीय स्टाम्प अधिनियम की धारा 31, धारा 33, धारा 47-क (1) एवं (3) के प्रकरणों में पारित आदेशों का परीक्षण करना तथा न्याय निर्णयन के मामलों में अनुसरित समयावधि, क्रिया विधि, प्रक्रिया का परीक्षण करना तथा न्यून मूल्यांकन के प्रकरणों में यदि प्रचलित गाइडलाइन तथा उपबंधों के अनुसार कम दर पर बाजार मूल्य निर्धारण किया गया है, तो ऐसे प्रकरणों को महानिरीक्षक पंजीयन के समक्ष प्रस्तुत करना।
  • कंपनियों के समामेलन, पुनर्गठन, स्वामित्व अंतरण, अधिग्रहण से संबंधित समस्त प्रकरणों में प्रभार्य स्टाम्प शुल्क का परीक्षण करना।
    औद्योगिक इकाइयों से संबंधित अंतरण विलेखों में प्लांट एवं मशीनरी का समुचित रूप से मूल्यांकन किया गया है अथवा नहीं, इस संबंध में परीक्षण करना।
  • माइनिंग लीज से संबंधित समस्त विलेखों में प्रभार्य शुल्क का परीक्षण करना।
  • स्टाम्प प्रकरणों की निगरानी के लिए अन्य राज्यों एवं अन्य कराधान विभागों के द्वारा अपनाए जा रहे प्रावधानों, प्रक्रियाओं का अध्ययन कर महानिरीक्षक पंजीयन को सुझाव प्रस्तावित करना।
  • उपरोक्त कार्यों के प्रभावी निष्पादन के लिए आवश्यकता होने पर सतर्कता दल के द्वारा मौका निरीक्षण किया जा सकेगा तथा विचाराधीन प्रकरणों में संपत्तियों के मूल्यांकन के लिए आवश्यकता पड़ने पर अन्य विभागों से जानकारी प्राप्त करना।
    सतर्कता प्रकोष्ठ के प्रभारी अधिकारी, महानिरीक्षक पंजीयन एवं अधीक्षक मुद्रांक के नियंत्रण में रहेंगे तथा सीधे महानिरीक्षक पंजीयन को रिपोर्ट करेंगे।
  • कलेक्टर ऑफ स्टाम्प के द्वारा जारी किए गए आदेश अथवा निरीक्षण किए गए दस्तावेज प्रत्येक पंद्रह दिवस में अनिवार्य रूप से सतर्कता प्रकोष्ठ को प्रेषित किये जायेंगे।

Chhattisgarh Vigilance system

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