पीपला ने भेंट किया कालेज व स्कूलों को आरंग के गौरवगाथा का फ्लेक्स, जन जन जानेंगे आरंग के गौरवशाली इतिहास

भुनेश्वर साहू संवाददाता अनमोल न्यूज24 आरंग

आरंग के गौरवशाली इतिहास और नामकरण की कहानी को जन-जन तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की गई है। पीपला वेलफेयर फाउंडेशन आरंग द्वारा प्राचीन नगरी आरंग के इतिहास के साथ साथ नगर की विशेषताओं को जन जन तक पहुंचाया जा रहा है। नई पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया जा रहा है। इसी कड़ी में बुधवार को आरंग के इतिहास और गौरव गाथा को फ्लैक्स बनवाकर नगर के बद्रीप्रसाद महाविद्यालय, अरुंधति विद्यालय , सृजन सोनकर स्कूल, स्वामी आत्मानंद विद्यालय, कन्या हायर सेकंडरी स्कूल, गांधी स्कूल सहित विभिन्न विद्यालयों में प्रदान किया जा रहा है। जिससे बच्चों के साथ-साथ जन सामान्य तक आरंग के गौरवशाली इतिहास की जानकारी अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके।आरंग के गौरवगाथा का आलेख पीपला फाउंडेशन के संरक्षक आनंदराम पत्रकारश्री ने तैयार किया है। इस विशेष मुहिम की परिकल्पना अध्यक्ष दूजेराम धीवर, महेन्द्र पटेल और कोमल लाखोटी ने किया है। विभिन्न विद्यालयों के प्राचार्यो, प्रबंधन समिति द्वारा पीपला फाउंडेशन के इस पहल की उन्मुक्त कंठ से सराहना की जा रही है।

ये है आरंग के गौरवशाली इतिहास

मोरध्वज नगरी-आरंग का नगर का इतिहास बहुत ही समृद्ध है। आरंग छत्तीसगढ़ का एक मात्र वह नगर है, जहाँ त्रेतायुग में श्रीराम और द्वापर में श्रीकृष्ण का आगमन हुआ।आरंग के नामकरण की गाथा दंत कथाओं और पौराणिक मान्यताओं में है। आज से करीब पांच हजार साल पहले भारत में हिन्दू राजाओं का साम्राज्य था। इसी कालखंड में महाप्रतापी राजा मयूरध्वज (मोरध्वज) हुए। मोरध्वज अपनी उदारता और दानशीलता के लिए विख्यात हुए ।

यह भी पढ़ें:- छत्तीसगढ़ में धान की कीमत 3100 देने का वादा करके फंसी BJP, लोकसभा चुनाव में कांग्रेस इसे बनाएगी बड़ा मुद्दा 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार श्रीकृष्ण-अर्जुन द्वारा परीक्षा लेने पर राजा ने अपने बेटे ताम्रध्वज को दान कर दिया। राजा मोरध्वज ने रानी पद्मावती के साथ मिलकर आरा से चीरकर बेटे ताम्रध्वज को भूखे शेर के लिए भोजन परोसा। इसी घटनाक्रम से आरा+अंग = आरंग नाम पड़ा। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 36 किमी दूर स्थित है-आरंग नगर। नगर की बसाहट राष्ट्रीय राजपथ-53 और रायपुर-विशाखपट्नम रेलमार्ग पर महानदी स्टेशन पर है। आरंग नगर के पूर्व दिशा में भांड देउल (प्राचीन मंदिर), उत्तर में बाबा बागेश्वरनाथ महादेव मंदिर (मान्यता है वनवास काल में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम यहाँ आए थे), दक्षिण में आदिशक्ति महामाया मंदिर (नगर की कुलदेवी) और पश्चिम में हजरत सैय्यद बाबा का मजार ( यहाँ मन्नतें पूरी होती है) स्थित है। धार्मिक-पावन नगरी आरंग में चारों ओर ताल-तलैया पुरातन काल से बड़ी संख्या में विद्यमान हैं। नगर के सभी दिशाओं में स्थित प्राचीन शिवलिंग, इसे शिवालय नगरी सिद्ध करते हैं। भुवनेश्वर, पंचमुखी महादेव(पीपलेश्वर), कुमारेश्वर, वटेश्वर महादेव, झनझना महादेव आरंग के अद्वितीय मंदिर हैं। यहाँ की स्थापत्य कला अनूठी है।

Related Articles

Back to top button