Tisra Sawan Somwar Vrat: सावन का तीसरा सोमवार आज, इस दिन होती है पार्थिव शिवलिंग की पूजा

Tisra Sawan Somwar Vrat: सावन के सोमवार का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। इसकी शुरुआत 14 जुलाई से हुई है, जो 12 अगस्त तक रहेगा। वहीं आज सावन महीने का तीसरा सोमवार है। इस दिन पार्थिव लिंग बनाकर शिव पूजन करने का विशेष पुण्य मिलता है। शिव पुराण में पार्थिव शिवलिंग पूजा का महत्व बताया गया है। कलयुग में कूष्मांड ऋषि के पुत्र मंडप ने पार्थिव पूजन प्रारंभ किया था। शिव महापुराण के मुताबिक पार्थिव पूजन से धन, धान्य, आरोग्य और पुत्र प्राप्ति होती है। वहीं मानसिक और शारीरिक कष्टों से भी मुक्ति मिल जाती है। पार्थिव पूजन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त होता है।

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मान्यताओं के मुताबिक शिवजी की अराधना के लिए पार्थिव पूजन सभी लोग कर सकते हैं, फिर चाहे वह पुरुष हो या फिर महिला। यह सभी जानते हैं कि शिव कल्याणकारी हैं, जो पार्थिव शिवलिंग बनाकर विधिवत पूजन अर्चना करता है, वह दस हजार कल्प तक स्वर्ग में निवास करता है। शिवपुराण में लिखा है कि पार्थिव पूजन सभी दुखों को दूर करके सभी मनोकामनाएं पूर्ण करता है। अगर प्रति दिन पार्थिव पूजन किया जाए तो इस लोक और परलोक में भी अखंड शिव भक्ति मिलती है। पूजा से पहले पार्थिव लिंग बनाना चाहिए। इसके लिए मिट्टी, गाय का गोबर, गुड़, मक्खन और भस्म मिलाकर शिवलिंग बनाएं। (Tisra Sawan Somwar Vrat)

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अगर आप शिवलिंग बना रहे हैं तो ध्यान रखें कि ये 12 अंगुल से ऊंचा नहीं हो। इससे ज्यादा ऊंचा होने से पूजा का पुण्य नहीं मिलता। मनोकामना पूर्ति के लिए शिवलिंग पर प्रसाद चढ़ाना चाहिए। इस बात का ध्यान रहे कि जो प्रसाद शिवलिंग से स्पर्श कर जाए, उसे ग्रहण नहीं करें। पार्थिव पूजन करने से पहले पार्थिव शिवलिंग बनाइए। इसको बनाने के लिए किसी पवित्र नदी या तालाब की मिट्टी लें। फिर उस मिट्टी को पुष्प चंदन से शोधित करें। मिट्टी में दूध मिलाकर शोधन करें। फिर शिव मंत्र बोलते हुए उस मिट्टी से शिवलिंग बनाने की क्रिया शुरू करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह रखकर शिवलिंग बनाना चाहिए। शिवलिंग बनाने के बाद गणेश जी, विष्णु भगवान, नवग्रह और माता पार्वती का आह्वान करना चाहिए। फिर विधिवत तरीके से षोडशोपचार करना चाहिए। (Tisra Sawan Somwar Vrat)

दुर्गासप्तशती के मंत्रों का भी करें जप

पार्थिव शिवलिंग बनाने के बाद उसे परम ब्रम्ह मानकर पूजा और ध्यान करें। पार्थिव शिवलिंग समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करता है। सपरिवार पार्थिव बनाकर शास्त्रवत विधि से पूजन करने से परिवार सुखी रहता है। पार्थिव के समक्ष समस्त शिव मंत्रों का जप किया जा सकता है। रोग से पीड़ित लोग महामृत्युंजय मंत्र का जप भी कर सकते हैं। दुर्गासप्तशती के मंत्रों का जप भी किया जा सकता है। पार्थिव के विधि वत पूजन के बाद उनको श्री राम कथा भी सुनाकर प्रसन्न कर सकते हैं। बता दें कि सावन महीने की शुरुआत 14 जुलाई 2022 यानी गुरुवार से हुई। वहीं सावन सोमवार का पहला व्रत 18 जुलाई 2022, दूसरा सावन सोमवार व्रत – 25 जुलाई 2022, तीसरा सावन सोमवार व्रत – 01 अगस्त 2022, चौथा सावन सोमवार व्रत – 08 अगस्त 2022 और सावन मास का अंतिम दिन – 12 अगस्त 2022 यानी शुक्रवार को पड़ रहा है। (Tisra Sawan Somwar Vrat)

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सोमवार के दिन भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए शिवभक्तों के द्वारा सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है। विधि-विधान से भगवान शिव की पूजा-अर्चना करने से मन की हर मनोकामना पूरी होती है। मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को सच्चे मन से रखता है भगवान शिव उसकी सारी मनोकामनाएं जल्द ही पूरा कर देते हैं। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन में आ रही बाधाएं भी दूर हो जाती हैं। साथ ही ये व्रत अविवाहित युवतियों के लिए भी लाभकारी माना जाता है। इस व्रत के पुण्य प्रताप से उन्हें योग्य वर की प्राप्ति होती है। 

सावन का महीना भगवान शिव को प्रिय 

मान्यताओं के मुताबिक भगवान शिव को सावन का महीना बहुत प्रिय होता है। सावन के हर सोमवार को मंत्रों का जाप करना चाहिए। कहा जाता है कि ऊँ नम: शिवाय का जाप करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भोलेनाथ की पूजा करने के लिए फुल, पंच फल, पंचमेवा, रत्न, सोना, चांदी, दक्षिणा, पूजा के बर्तन, कुशासन, दही, शुद्ध देशी घी, शहद, गंगा जल, पवित्र जल, पंच रस, इत्र, गंध रोली, मौली जनेऊ, पंच मिष्ठान्न, बिल्वपत्र, धतूरा, भांग, बेर, आम्र मंजरी, जौ, तुलसी दल, मंदार पुष्प, गाय का कच्चा दूध, ईख का रस, कपूर, धूप, दीप, रूई, मलयागिरी, चंदन, शिव और मां पार्वती जी की सोलह श्रृंगार के समान की जरूरत पड़ेगी।  

दूध अर्पित करने से मिलता है आरोग्य का वरदान

मान्यता है कि सावन सोमवार के दिन शिवलिंग पर दूध अर्पित करने से आरोग्य का वरदान मिलता है। दही से भोलेनाथ का अभिषेक करने पर जीवन में स्थिरता आती है। परिवार में तालमेल बना रहता है। महादेव को घी अर्पित करने से ऊर्जावान रहने में मदद मिलती है। वंश में बढ़ोतरी होती है। शिव पूजा में अक्षत का बहुत महत्व हैं। कच्चे चावल शिवलिंग पर चढ़ाने से धन-संपत्ति में बढ़ोत्तरी होती है। सफेद आंक को मदार का फूल भी कहा जाता है। मान्यता है कि शिवलिंग पर ये पुष्प चढ़ाने से शिव जी को शांति मिलती है। मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। सोमवार की पूजा में शिवलिंग का सफेद चंदन से जरूर श्रृंगार करें। इससे व्यक्तित्व आकर्षक होता है। मान-सम्मान मिलता है। महादेव का चीनी से अभिषेक करने से घर में सुख शांति बनी रहती है और रिश्तों में मिठास घुलती है।

जानें क्या है सावन सोमवार व्रत का महत्व

धार्मिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने सावन माह में कठोर व्रत रखे और तपस्या की। इस वजह से ऐसा माना जाता है ये महीना भगवान को अति प्रिय है। कहते हैं कि जो भक्त इस महीने में रुद्राभिषेक करते हैं, उनकी सभी तकलीफें और परेशानियों को महादेव खत्म कर देते हैं। मान्यता है कि अगर कुंवारी कन्याएं मनचाहा वर पाने के लिए सावन सोमवार का व्रत रखती हैं तो उन्हें मनचाहे उपयुक्त जीवनसाथी की प्राप्ति होती है। कुल 16 सोमवार के व्रत रखने होते हैं। इसके अलावा यदि अविवाहित पुरुष भी यह व्रत करें तो उनके विवाह में आ रही बाधा दूर हो जाती है। भगवान शिव बेहद क्रोध वाले देवता माने जाते हैं लेकिन इसके साथ ही उन्हें सबसे जल्दी प्रसन्न और कृपा होने वाला देवता भी माने जाते हैं। सावन सोमवार पर शिव चालीसा का पाठ करने का बहुत महत्व होता है। शिव चालीसा के शब्दों से भगवान शिव को प्रसन्न किया जा सकता है।

ऐसे करें भगवान शिव को प्रसन्न

सावन में भगवान शंकर की पूजा-अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। सावन के सोमवार पर भगवान शंकर के साथ ही माता पार्वती और गणेश भगवान की भी विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। भगवान शंकर को कनेर, बेला और चमेली का फूल बहुत प्रिय है। सावन के महीने में शिवलिंग पर गन्ने का रस चढ़ाने से जीवन में सभी तरह की सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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