छत्तीसगढ़ में नृत्य महोत्सव आदिवासी कला और कलाकारों को आगे बढ़ाने का बड़ा माध्यम

Tribal Dance Festival: छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहल पर तीसरी बार राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इस बार यह आयोजन 1 से 3 नवंबर तक राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में किया जा रहा है। इस आयोजन में हिस्सा लेने पहुंचे विभिन्न राज्यों के आदिवासी कलाकारों ने राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव को लेकर अपनी भावनाएं साझा कीं। उन्होंने कहा कि, छत्तीसगढ़ में होने वाला राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव, राज्य की आदिवासी कला और संस्कृति के साथ ही देश के अन्य राज्यों की आदिवासी कला और कलाकारों को आगे बढ़ाने तथा नयी पहचान दिलाने के लिए बड़ा माध्यम बन रहा है।

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गौरतलब है कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने आदिवासी हितों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं बनायी हैं। छत्तीसगढ़ में आदिवासियों और वनवासियों को अधिकार सम्पन्न बनाने वंचितों को वन अधिकार पत्र, वन संसाधन पत्र प्रदान करने से लेकर पेसा कानून बनाकर ग्राम सभा को शक्ति संपन्न बनाया गया। लोहाण्डीगुड़ा में 1707 किसानों की 42 सौ एकड़ से अधिक अधिगृहीत जमीन उन्हें लौटाने की पहल की गई। वहीं आदिवासी बाहुल्य छत्तीसगढ़ में आदिवासी समुदाय की महत्ता को समझते हुए विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर सार्वजनिक सामान्य अवकाश घोषित किया गया। (Tribal Dance Festival)

छत्तीसगढ़ में समृद्ध आदिवासी कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नयी पहचान दिलाने के प्रयास मुख्यमंत्री बघेल ने किए। इसी कड़ी का हिस्सा देवगुड़ियों और घोटुल के संरक्षण व संवर्धन के साथ बस्तर में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन है। वर्ष 2019, वर्ष 2021 के बाद अब वर्ष 2022 में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। इसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आदिवासी कलाकारों के साथ ही देश के सभी राज्यों व केन्द्र शाषित प्रदेशों के कलाकार और 10 देशों के 1500 से अधिक कलाकार हिस्सा लेने पहुंच रहे हैं। चर्चा के दौरान इन कलाकारों ने इस आयोजन को लेकर अपनी भावनाएं व्यक्त कीं। (Tribal Dance Festival)
 
राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव-2022 में अपनी टीम के साथ दिसमा नृत्य शैली की प्रस्तुति देने पहुंचे आंध्रप्रदेश के टीम लीडर के. मधुकर ने बताया कि वे 2019 में आयोजित कार्यक्रम का हिस्सा बने थे। उस दौरान उन्हें देश के अन्य राज्यों और विदेशी आदिवासी कलाकारों की प्रस्तुति देखकर बहुत सी नयी और रोचक चीजें सीखने को मिलीं। उस वक्त छत्तीसगढ़ का गौर नृत्य उन्हें खूब भाया था। मधुकर ने कहा कि, छत्तीसगढ़ में होने वाला राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव अपने आप में अनूठा है। यहां उन्हें एक ऐसा मंच मिलता है, जिसके माध्यम से वे अपनी कला, संस्कृति और प्रतिभा को दुनियाभर के लोगों के बीच पहुंचा सकते हैं। इससे उन्हें नयी पहचान बनाने में मदद मिल रही है। (Tribal Dance Festival)

इसी तरह तेलंगाना से लंबाडी नृत्य की प्रस्तुति देने राघवेन्द्र अपनी 15 सदस्यीय टीम लेकर पहुंचे हैं। बकौल राघवेन्द्र, लंबाडी नृत्य के माध्यम से जीवनशैली को प्रस्तुत किया जाता है लेकिन यहां राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में उन्हें देश और विदेश के विभिन्न क्षेत्रों में रहने वाले आदिवासियों की जीवनशैली भी अन्य नृत्य शैली में देखने को मिलती है। उन्होंने इस आयोजन को लेकर कहा कि, छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव जैसे आयोजनों से पता चलता है कि राज्य के मुख्यमंत्री, आदिवासी समुदाय के लिए कितने संवेदनशील हैं। राघवेन्द्र ने इस बात पर खुशी जाहिर की कि कोई मुख्यमंत्री आदिवासी कला, संस्कृति को आगे बढ़ाने और नयी पहचान दिलाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। उन्होंने इस आयोजन को आदिवासी कला, संस्कृति की समृद्धि के लिए एक बड़ा जरिया बताया। (Tribal Dance Festival)

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