
World Tuberculosis Day: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने विश्व क्षय (टीबी) दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों से टीबी जैसे संक्रामक रोग के उन्मूलन के लिए एकजुट होकर कार्य करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि टीबी सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि यह सामाजिक और आर्थिक विकास में बाधा उत्पन्न करने वाली चुनौती है, जिससे हमें मिलकर लड़ना है। मुख्यमंत्री साय ने कहा कि टीबी, जिसे तपेदिक भी कहा जाता है, एक संक्रामक रोग है, जो मुख्यतः फेफड़ों को प्रभावित करता है और यह विश्वभर में लाखों लोगों को प्रभावित करता है। लोगों को इसके लक्षणों, जांच और इलाज के प्रति जागरूक करना बेहद आवश्यक है। इसी उद्देश्य से हर साल 24 मार्च को ‘विश्व क्षय दिवस’ मनाया जाता है, ताकि इस बीमारी के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को गति दी जा सके।
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मुख्यमंत्री साय ने कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य में टीबी की रोकथाम के लिए प्रभावी और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई हैं। सभी सरकारी अस्पतालों में टीबी की निशुल्क जांच और इलाज की सुविधा है, जिससे समाज के सभी वर्गों को लाभ मिल रहा है। मुख्यमंत्री साय ने आमजन से अपील की कि अगर लगातार खांसी, बुखार, वजन कम होना जैसे लक्षण हों तो तुरंत जांच कराएं। उन्होंने कहा कि टीबी का इलाज पूरी तरह संभव है, बशर्ते समय पर जांच हो और दवाएं नियमित रूप से ली जाएं। स्वस्थ जीवनशैली और सावधानी से संक्रमण को फैलने से रोका जा सकता है। (World Tuberculosis Day)
डॉक्टर एफ आर निराला ने दी जानकारी
डॉक्टर एफ आर निराला ने कहा कि हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाते हैं। टीबी क्षय रोग याने बीमारियों का राजा के नाम से मशहूर टीबी रोग आज भी समुदाय में मृत्यु का एक प्रमुख कारण बना हुआ है। टीबी एक बैक्टेरिया (जीवाणु) के कारण होता है, जिसे माइको बैक्टेरिया ट्यूबरक्लोसिस कहते है। माइकोबैक्टरिया ट्यूबरक्लोसिस की खोज राबर्ट कोच ने 24 मार्च 1882 को की थी। 1882 में टीबी की बैक्टेरिया की खोज होने के कारण हर साल 24 मार्च को विश्व टीबी दिवस के रूप में मनाते हैं। इसकी शुरुआत साल 1982 से हुई है। बैक्टेरिया की खोज के 100 साल बाद विश्व टीबी दिवस के रूप में मानने की शुरुआत हुई। टीबी की बीमारी संक्रामक होती है। टीबी की बैक्टेरिया ड्रॉपलेट मैथड से फैलती है। खांसने, छिकने से बैक्टेरिया बाहर आती है और बैक्टेरिया हवा में फैल जाती है। (World Tuberculosis Day)
फेफड़े की बीमारी है टीबी
उन्होंने बताया कि टीबी कि बीमारी मुख्यतः फेफड़े की बीमारी है, लेकिन इसकी बैक्टेरिया शरीर के अन्य हिस्से को भी प्रभावित करती है। टीबी की बीमारी से देश में हर साल 10 मिलियन से ज्यादा लोग संक्रमित होते हैं। टीबी एक जानलेवा बीमारी है। बिना इलाज के लोगों की मृत्यु दर ज्यादा होती है। टीबी से हर साल 3 से 5 लाख लोगों की मौत हो रही है। टीबी भारत में कुल मृत्यु का एक प्रमुख कारण है। टीबी के चलते भारत में प्रति दिन 1400 लोगों की मृत्यु हो रही है। टीबी के कारण प्रति घंटे लगभग 60 लोगों की मौत हो रही है। मतलब प्रति मिनट एक टीबी पीड़ित की मौत हो रही है। टीबी परिवार में किसी एक को होने पर घर के अन्य सदस्यों में भी फैला सकती है। अगर इलाज न ले रहा हो या देरी से टीबी की दवाई ले रहा हो तो ज्यादा लोगों को बीमारी फैला सकती है। डॉक्टर एफ आर निराला ने बताया कि टीबी की बीमारी होने पर कुछ लक्षण दिखाई देते हैं। (World Tuberculosis Day)
टीबी के लक्षण
- दो हफ्ते से ज्यादा खांसी का होना।
- एक विशेष प्रकार की बुखार, जो शाम को चढ़ती है और देर रात पसीना के साथ छोड़ती है।
- शाम होते ही पीड़ित व्यक्ति धूप या गरम जगह खोजता है।
- खांसी के कारण सीने में दर्द होता है।
- भूख कम लगती है।
- वजन घटती है।
- बलगम में कभी-कभी खून आती है।
- सांस फूलता है।
टीबी बीमारी की पहचान
- बलगम की जांच में टीबी की बैक्टेरिया दिख जाती है।
- माइक्रोस्कोप में छाती की एक्सरे से भी पता चल जाता है।
- कभी-कभी टीबी की बीमारी चमड़ी की टेस्ट करने पर भी पता चल जाता है।
डॉक्टर एफ आर ने बताया कि टीबी की प्रचलित उपचार पद्धति डॉट्स है, जिसे वजन के हिसाब से चिकित्सकों के परामर्श से दिया जाता है। डॉट्स प्रोवाइडर कोई भी हो सकते हैं, लेकिन गांवों में मितानिन को डॉट्स प्रोवाइडर बनाए गए हैं। वैसे प्राइवेट सेक्टर में चिकित्सक भी बनाए गए हैं। टीबी एक नोटिफाइड बीमारी है। सरकारी अस्पतालों में इसकी जांच और इलाज की व्यवस्था है ही, लेकिन प्राइवेट सेक्टर में भी चिकित्सकों के टीबी की पहचान होने पर अपने पास के शासकीय चिकित्सक को खबर करते हैं। टीबी की दवाइयां कुछ चिन्हांकित दवाई की दुकानों में मिलती है, जो पहले से नोटिफाइड है, जो टीबी की दवाई की पूरी हिसाब रखते हैं। टीबी की बीमारी को समाप्त किया जा सकता है। बशर्ते समुदाय इसमें अपनी भागीदारी सुनिश्चित करे, पंचायत प्रतिनिधि इसको समझे पंचायत को टीबी मुक्त करने की शासन की मंशा है इसकी रणनीति भी बनाई गई है। शासन ने भी अपनी NSP नेशनल स्ट्रेगेटिक प्लान 2017- 2025 में शामिल किया है। 2025 तक टीबी की मरीज की संख्या को प्रति लाख आबादी में 45 से नीचे लाना है। (World Tuberculosis Day)