Agyat Bimari Se Maut: छत्तीसगढ़ के इस जिले में अज्ञात बीमारी से मौतों का सिलसिला जारी, 3 साल में 61 लोगों की मौत

Agyat Bimari Se Maut: छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में अज्ञात बीमारी से मौतों का सिलसिला जारी है। जिले के एक गांव के निवासियों ने दावा किया है कि बीते तीन सालों में अज्ञात बीमारी के कारण 61 लोगों की मौत हुई है। ग्रामीणों की शिकायत के बाद जिला प्रशासन ने जांच शुरू कर दी है। जिले के कोंटा विकासखंड अंतर्गत रेंगडगट्टा गांव में ग्रामीणों ने दावा किया है कि 3 साल में अज्ञात बीमारी के कारण 61 लोगों की मौत हुई है। गांव में 130 ​परिवार हैं और गांव की आबादी लगभग एक हजार है। इधर, अनुसूचित जनजाति आयोग के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और BJP के वरिष्ठ नेता नंदकुमार साय ने रेगड़गट्टा गांव में बढ़ते मौत के मामलों को लेकर सवाल किया है।

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उन्होंने कहा कि सुकमा के रेगड़गट्टा गांव में बीते 2 सालों में 62 लोगों की मौत हुई है। इतने लोगों की मौत होना यह अपने आप में एक बड़ी बात है। यहां खान-पान में कोई कमी है? या फिर कोई बीमारी पनप रही है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए सरकार को कोई मेडिकल टीम भेजनी चाहिए, लेकिन आज तक सरकार ने अपनी कोई टीम यहां नहीं भेजी है। कल स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव को मैंने कॉल किया था। किसी कारण की वजह से उनसे बात नहीं हो पाई। अब उनसे जाकर मिलूंगा और इस गंभीर विषय के संबंध में चर्चा करूंगा। (Agyat Bimari Se Maut)

सुकमा कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन 

वहीं सुकमा जिला प्रशासन ने बताया कि प्रारंभिक जांच से जानकारी मिली है कि गांव में बीते तीन साल के दौरान बीमारियों और प्राकृतिक कारणों समेत अन्य कारणों से 47 लोगों की मौत हुई है। ग्रामीणों ने 27 जुलाई को सुकमा कलेक्टर को एक ज्ञापन सौंपा था, जिसमें दावा किया गया था कि गांव में साल 2020 से अब तक हाथ-पैर में सूजन के लक्षण वाले 61 लोगों की मौत हो चुकी है, इनमें युवक और युवतियां भी शामिल हैं। ग्रामीणों ने प्रशासन से मौतों को रोकने और समस्या के समाधान के लिए चिकित्सकों का एक दल गांव भेजने की मांग की थी। (Agyat Bimari Se Maut)

पानी हो सकता है कारण

ग्रामीणों की मांग पर सुकमा जिले के कलेक्टर हरीश एस ने स्थानीय लोगों द्वारा इस मुद्दे को उठाए जाने के बाद पिछले हफ्ते स्वास्थ्य कर्मचारियों और अन्य विशेषज्ञों की एक टीम वहां भेजी गई थी। कलेक्टर ने बताया कि प्रारंभिक जांच से पता चलता है कि पिछले तीन सालों में उस गांव में 47 लोगों की मौत हुई थी, लेकिन उन सभी की मौत एक ही कारण से नहीं हुई है जैसा कि स्थानीय लोगों ने दावा किया है। उन्होंने बताया कि कुछ मृतकों के शरीर पर सूजन थी और यह विभिन्न कारणों से हो सकता है। कलेक्टर ने कहा कि जल स्रोतों के नमूनों की प्रारंभिक रिपोर्ट के मुताबिक दो जल स्रोतों में फ्लोराइड का स्तर सीमा से ज्यादा था। जबकि कुछ जल स्रोतों में लौह तत्व अधिक था। (Agyat Bimari Se Maut)

कलेक्टर ने कही लक्षण नहीं होने की बात

कलेक्टर ने कहा कि अभी हम यह नहीं कह सकते हैं कि पानी में भारी धातु की मात्रा के कारण मौतें हुईं है, क्योंकि उच्च फ्लोराइड वाले पानी के सेवन से हड्डियों में कमजोरी होती हैं। स्थानीय आबादी में ऐसा कोई लक्षण नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पानी में उच्च लौह तत्व भी कई जटिलताएं पैदा करता है, लेकिन इसके कारण अचानक मौत नहीं हो सकती है। अन्य पर्यावरणीय कारण हो सकते हैं। शराब पीने के कारण गुर्दे से संबंधित बीमारियां एक कारण हो सकती है। उन्होंने कहा कि पानी और मिट्टी में भारी धातु सामग्री जैसे आर्सेनिक की पहचान के लिए विस्तृत रिपोर्ट की प्रतीक्षा है। कलेक्टर ने कहा कि मामला सामने आने के बाद गांव का दौरा करने वाले स्वास्थ्य अधिकारियों की टीम ने ग्रामीणों का चिकित्सकीय परीक्षण किया था, जिसमें 41 लोगों के शरीर में सूजन और गुर्दे से संबंधित समस्याओं से पीड़ित होने की पहचान की गई थी। (Agyat Bimari Se Maut)

अब तक नहीं चल पाया अज्ञात बीमारी का पता

DM ने कहा कि जांच से पता चला कि शरीर में यूरिक एसिड और क्रिएटिनिन का स्तर बढ़ा हुआ था। मरीजों का इलाज किया जा रहा है तथा उनकी हालत स्थिर है। अधिकारी ने बताया कि मरीजों में से एनीमिया की शिकायत वाले दो ग्रामीणों को सुकमा जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्होंने बताया कि आठ अगस्त को पर्यावरणीय कारणों के अध्ययन के लिए विशेषज्ञों का एक दल गांव भेजा जाएगा। जिले के CMHO यशवंत ध्रुव ने कहा कि मौत संयुक्त कारणों से हुई हैं, जिनमें गुर्दे की बीमारियां, बुढ़ापे से संबंधित समस्याएं और मलेरिया (Malaria) भी शामिल हैं।

गुर्दे की बीमारी से मौत की अभी पुष्टि नहीं: CMHO

CMHO ध्रुव ने कहा कि उनमें से कितनों की मौत गुर्दे की बीमारी से हुई है, इसकी अभी पुष्टि नहीं हो सकी है। उन्होंने बताया कि जांच किए गए 20 जल स्रोतों में से दो नलकूपों में फ्लोराइड की मात्रा अधिक पाई गई, जिसके बाद इसे उपयोग के लिए बंद कर दिया गया, जबकि ग्रामीणों को पीने के पानी के लिए आठ जल स्रोतों का उपयोग नहीं करने की सलाह दी गई है, क्योंकि इसमें आयरन की मात्रा सीमा से अधिक है। CMHO ने कहा कि कुछ ग्रामीणों में पुरानी गुर्दे की बीमारी के हल्के लक्षण हैं। सभी की जांच की जा रही है। उन्होंने बताया कि हाल ही में एक उप स्वास्थ्य केंद्र में एक सहायक नर्स की नियुक्ति की गई है। हालांकि अब तक मौके के पीछे के कारणों का पता नहीं चल सका है।

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