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जन्मदिन विशेष 12 अक्टूबर : जनसेवा जीवन का मूलमंत्र, 24 घण्टे रहते हैं सेवा के लिए तत्पर, रूपसिंग साहू

न्यूज डेस्क : कहते हैं की बदलते समय के साथ लोग भी बदल जाते है, लेकिन कुछ ही ऐसे होते हैं जो समय के साथ हालात बदलने में सक्षम होते हैं, आज के समय में जब लोग अपनी खुद की तकलीफों से जूझते नजर आते है, कुछ लोग ऐसे भी हैं जो दूसरों के दूख को दूर करने में अपनी खुशी पाते हैं, आज अनमोल न्यूज एक ऐसे ही व्यक्ति से आपका परिचय करवाएगा, इनका नाम है रूपसिंग साहू जिन्हें उनके क्षेत्र के लोग डॉक्टर के नाम से जानते हैं, पेशे से समाज सेवक रूपसिंग साहू जिन्होने अपनी परेशानियों से इतर समाज में व्याप्त लोगों की परेशानियों को दूर करने का जिम्मा उठाया, और हजारों लोगों की मदद कर वो लगातार इस कार्य को बिना किसी भेदभाव के आगे बढ़ा रहे हैं।

फाइल फोटो

बचपन से ही “जन सेवा” को अपना परम धर्म मानने वाले रूपसिंग लोगों की मदद के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं, जनसेवा, लोकहित की भावना को अपने जीवन में उतारकर अपने कर्मपथ पर निरंतर अग्रसर हैं, क्षेत्रवासियों के सुख-दुःख में हमेशा साथ खड़े होने वाले रूपसिंग साहू लोंगो के दिलों में राज करते हैं, उनके लिए पद मायने नही रखता हैं, वे कहते हैं, पूरी ईमानदारी से जनसेवा का कार्य करने का मजा ही कुछ और होता है, ग्राम देवगॉंव (फिंगेश्वर), जिला – गरियाबंद निवासी रूपसिंग का प्रारंभिक जीवन काफी संघर्षपूर्ण था, परेशानियों में पले बढ़े रूपसिंग अपने क्षेत्र में लोगों के जीवन में आने वाले परेशानियों को सतत दूर करने में लगे हुए हैं।

रूपसिंग साहू
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अभावों और परेशानियों में बीता बचपन

रूपसिंग साहू ने चर्चा  में बताया कि, उनका बचपन बेहद आभावों में बीता है, पढ़ाई का खर्च के लिए मजदूरी का भी काम करना पड़ा हैं, लेकिन इन रुकावटों को उन्होंने कभी अपनी पढ़ाई में बाधा बनने नहीं दिया, पैसे की कीमत का अंदाजा उन्हें बचपन से ही था, यही कारण है कि आज भी वो किसी गरीब या असहाय व्यक्ति का काम पैसे के कारण रूकते नहीं देख सकते, वे कहते हैं, संपन्न परिवार से नही हूॅं फिर भी हमेशा प्रयास करता हूॅं कि जो दिन मैंने देखे है वो किसी और को देखने न पड़े।

स्कूली में पढ़ाई के दौरान ही अपनी जरुरतों को पूरा करने के लिए वो जलाऊ लकड़ी इकट्ठा कर उसे आस-पास के गॉंव कौंदकेरा, भैंसातरा, बेलटुकरी, सेम्हरडीह आदि स्थानों में जा कर बेचा करते थे, लेकिन आर्थिक तौर पर परेशानियां और बढ़ने के चलते उन्हें आगे की पढ़ाई के लिए अपने मामा के पास ग्राम रानीपरतेवा जाना पड़ा जहां उन्होंने 10वीं तक की अपनी आगे की पढ़ाई पूरी की,

बचपन में एक घटना का जिक्र करते हुए श्री साहू बताते है कि जब वे कक्षा आठवीं में पढ़ाई कर रहे थे तब दीवाली मनाने के लिए उनके घर में  पैसे नही थे, खराब परिस्थिति के चलते उन्होंने अपनी बहन और पिता के साथ जलाऊ लकड़ी बेच कर पैसा इक्कठा किया और त्योहार मनाया,  इस प्रकार कठिन परिस्थितियों में जीवन जीने का अनुभव बचपन से ही उनके साथ रहा।

जन्मदिन विशेष 12 अक्टूबर : रूपसिंग साहू
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फिर काम की तलाश में शुरू हुआ सफर 

स्कूली पढ़ाई के बाद रोजगार की तलाश में वो रायपुर की ओर निकल पड़े, रायपुर बस स्टैण्ड स्थित हॉस्पीटल में उन्होनें कंपाउण्डर के तौर पर लगभग 10 वर्ष तक कार्य किया, हॉस्पीटल में काम के दौरान उनकी मुलाकात तत्कालीन कृषि मंत्री श्री चन्द्रशेखर साहू जी से हुई, ये मंत्री जी के बेहतर याददाश्त का ही परिचय है कि कई साल पहले हुए मुलाकात के बावजूद रूपसिंग जी को उन्होनें तुरंत पहचान लिया. जब रूपसिंग कक्षा 9वीं में शालानायक हुआ करते थे उस दौरान स्कूल के वार्षिक समारोह कार्यक्रम में स्थानीय विधायक होने के नाते मुख्यअतिथि के रूप में वहां उपस्थित थे, उसी समय मंत्री महोदय से परिचय उनका पहली बार परिचय हुआ था, इस मुलाकात के बाद उन्होंने मुझे अपने साथ चलने का जिक्र किया, और अपने क्षेत्रवासियों के बिमारों की सेवा के लिए लिए मुझे अपने से साथ ले गए।

लगभग 5 वर्ष तक श्री चम्पू भैया के सानिध्य में काम करने का सौभाग्य मिला. इस दौरान अम्बेडकर हॉंस्पीटल आने वाले मरीजों का देखभाल का भी अवसर मिला धिरे-धिरे जरूरतमंदो की सेवा करना उनका परमधर्म बन गया, मेकाहारा आने वाले मरीजों को इधर उधर भटकने की तकलीफ न हो इसके लिए हमेशा तैयार रहते है, साथ ही मरीजों को उचित स्वास्थ्य मुहैया हो इस हेतु हमेशा सक्रिय भी रहते है, फिर चाहे मरीज किसी भी क्षेत्र का क्यो न हो, इससे उन्हे कोई फर्क नही पड़ता, ईलाज के लिए भटक रहे मरीजों की जानकारी मिलने पर उन तक पहुंचकर यथासंभव मदद करने का उनका भरपूर प्रयास रहता है, रायपुर में ईलाज की आवश्यकता होने पर मरीज के आवागमन का साधन भी उपलब्ध कराते है, रूपसिंग लगभग पूरे छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के जरूरतमंद मरीजों की सहायता करते आ रहे है।

जन्मदिन विशेष 12 अक्टूबर : रूपसिंग साहू
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समाज सेवा एवं राजनीति के क्षेत्र में कार्य

छात्र जीवन से ही समाजसेवा व राजनीति के क्षेत्र में खास जुड़ाव रहा हैं, शालानायक के तौर पर हमेशा ही आपकी भागीदारी रहती थी एक घटना को राजनीतिक जीवन में आने का जिक्र करते हुए श्री साहू बताते है कि, गांव स्तर पर संचालित जय मॉं बम्लेश्वर क्रिकेट क्लब के अध्यक्ष बने, इस दौरान ग्राम सरपंच श्री संतूराम साहू ने श्री चम्पू भैया को कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किए, उसी कार्यक्रम में 5 एकड़ जमीन पर खेल मैदान के निर्माण की बात कही गई, उसमें काम चालू भी हो गया, सरपंच कार्यकाल पूर्ण होने के बाद वो राजीव गांधी शिक्षा मिशन के अध्यक्ष बने और तब उन्होने खेल मैदान के लिए आरक्षित जमीन पर तालाब खुदवाने की योजना बनाई तो बड़ा आश्चर्य हुआ, आने वाली पीढ़ी को सर्व सुलभ खेल मैदान मिले इसी उदेश्य से तालाब निर्माण का विरोध किया गया।

इस विरोध में ग्राम पंचायत चुनाव का बहिष्कार भी किया गया, विरोध को देखते हुए ग्राम पंचायत स्तर पर इसे सुलझाने की बात कही गई, जिसमें यह निर्णय लिया गया कि 5 एकड़ की भूमि पर आधे मे खेल मैदान व आधे में तालाब निर्माण किया जाए, इस निर्णय को पंचायत स्तर पर सर्वसम्मति से पास किया गया, रूपसिंग भारतीय जनता पार्टी की नीतियों से वे काफी प्रभावित है. साथ ही पार्टी में सक्रिय कार्यकर्ता के रूप में अपना योगदान देते आ रहे है, फिंगेश्वर भाजपा मण्डल के सह संयोजक चिकित्सा प्रकोष्ठ के रूप में कार्य कर चुके है, गरियाबंद जिला निर्माण के बाद जिला संयोजक झुग्गी झोपड़ी प्रकोष्ठ जिला गरियाबंद के दायित्व को भी आपने कुषलता के साथ निभाया,अभी वर्तमान में सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गरियाबंद जिले के साथ पूरे प्रदेश भर में अपनी सेवायें दे रहे है।

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जन्मदिन विशेष 12 अक्टूबर : रूपसिंग साहू
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युवाओं से परिवर्तन की उम्मीद :-

सामाजिक कार्यकर्ता रूपसिंग कहते हैं कि इतिहास से ही युवा समाज में नए बदलाव के साथ बढ़ता जा रहा है, युवा शक्ति देश एवं समाज की रीढ़ होती है, जो देश को एक नए मुकाम पर पहुंचा सकती है, आज की युवा पीढ़ी सामाजिक एवं राजनीतिक बदलाव के साथ अपनी योग्यता एवं कार्यकुषलता से सफलता को परिभाशित करता रहा है, समाज को बेहतर बनाने एवं देश के नवनिर्माण में सर्वाधिक योगदान युवाओं का रहता है, यही कारण है कि रूपसिंग सतत युवाओं के बीच रहते हुए उनकी उन्नती और बेहतर शिक्षा के लिए हमेशा प्रयासरत रहते है।

जीवन का आदर्श

श्री साहू ने बताया, वे अपने जीवन में हमेशा माता-पिता को आदर्श मानकर कर्तव्यपथ पर चल रहे हैं, उनका मानना हैं कि बड़े बुजूर्गो को सम्मान देने के साथ उनसे अनुभवों को ग्रहण करके आदर्श जीवन स्थापित किया जा सकता हैं, इसी गुणसूत्र को अपनाते हुए सेवा के लिए निरंतर काम काम कर रहे हैं, बड़े बुजर्ग अनुभव की खान हैं, इनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए सभ्य समाज एवं विकसित देश का सपना पूरा कर सकते हैं।

(“फीचर इम्पैक्ट”)

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