रायपुर। छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर का बस स्टैंड तीस साल में तीसरी बार बदलने जा रहा है। कल 20 अगस्त को अंतर्राज्यीय बस टर्मिनल का लोकार्पण होगा। प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल कल इस बस टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे। एक बार बस टर्मिनल का उद्घाटन हो जाने के बाद बस संचालकों को 20 दिनों का समय दिया जायेगा। जिसमें उन्हें अपनी सभी बसों का संचालन भाठागांव के इस नए टर्मिनल से करना होगा।
तीन बार बदल चूका रायपुर का बस स्टैंड
राजधानी का बस स्टैंड ये तीसरी बार शिफ्ट होने जा रहा है। 1993 में जयस्तंभ चौक के पास से बस स्टैंड को पंडरी शिफ्ट किया गया था। बसों का चलन पंडरी से शुरू होने के बाद भी काफी समय तक जयस्तंभ चौक को लोग पुराने बस स्टैंड के नाम से जानते थे। यहां पर मल्टीलेवल पार्किंग बनने के बाद इस जगह को नई पहचान मिली। अब राजधानी के बस स्टैंड का नया पता भाठागांव होगा।
10 सितंबर के बाद टूटेंगी दुकानें
पंडरी बस स्टैंड की दुकानों और वहां के कच्चे निर्माण को तोड़ने का काम 10 सितंबर से किया जायेगा। जगह खाली हो जाने के बाद नगर निगम यहां पर होलसेल कपडा मार्किट बसाने की योजना बना रहा है। महापौर एजाज ढेबर ने कहा है की शहर की ट्रैफिक की दिक्कत दूर करने के लिए शहर के बाहर बस स्टैंड तैयार किया गया है। 20 दिनों के अंदर-अंदर शहर के भीतर, राज्य के अंदर और इंटर स्टेट चलने वाली सभी बसों का परिचालन भाठागांव से किया जायेगा।
लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर हुआ था बसों पर
रायपुर में लगभग 2500 और प्रदेश भर में 12000 बसें चल रही है। रायपुर में राज्य के भीतर और दूसरे राज्यों में चलने वाली 800 से ज्यादा बसें हैं। रायपुर में ही हर महीनें 90 से 100 करोड़ रुपए का बिज़नेस इस सेक्टर में होता है। कोरोना लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर इसी सेक्टर में पड़ा था। जिसके कारण बसों के ड्राइवर, कंडक्टर, बसों के मालिक सबको बहुत नुकसान झेलना पड़ा था। और बसें भी इतने समय तक खड़ी खड़ी बेकार होने लगी थी।
रायपुर में जल्द ई-बसों की तैयारी
शहर के भीतर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का सबसे अच्छा साधन बसें ही हैं। यात्री बसें हो या सिटी बस, इससे पर्यावरण में प्रदुषण भी कम होता है। रायपुर नगर निगम अब पर्यावरण को देखते हुए यहां ई-बसों को चलने की तैयारी कर रही है। 50 इलेक्ट्रॉनिक बसें खरीदने का निर्णय नगर निगम द्वारा लिया गया है। पहले फेस में रायपुर के पास 10 ई-बसें आनी थी। पर कोरोना की समस्या के चलते पिछले 2 साल से ये काम रुका हुआ है। माना जा रहा है कि ई-बसों के आने से राजधानी में कार्बन डाई ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।