छत्तीसगढ़ की नवदुर्गा : बेसहारा की मां बन निभाया ममता का रिश्ता, कई भटकी महिलाओं को घर की राह भी दिखाई

सरगुजा न्यूज : नवरात्रि (Navratri) में हम शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना करते हैं।यही कारण है कि भारतीय समाज (Indian Society) में महिलाओं को देवी का दर्जा दिया गया है।

देश के कई हिस्सों में कन्या को दुर्गा मानकर पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यताओं में नारी को बेहद विशेष स्थान दिया गया है, लेकिन आधुनिक भारत में नारी को अबला करार दे दिया गया। इसमें पुरुष समाज के साथ-साथ महिलाएं भी बराबर की भागीदार रही हैं।

महिला ने पेश की मिसाल

जहां एक ओर पुरुष अपनी प्रधानता साबित करने में लगे रहे तो महिलाओं ने भी खुद को अबला मानकर पुरुषों की स्वायत्तता स्वीकार ली। लेकिन इसके विपरीत इसी समाज में कुछ ऐसी महिलाएं भी हुईं, जिन्होंने यह साबित कर दिया कि महिला वाकई दुर्गा शक्ति स्वरूपा होती हैं। छत्तीसगढ़ के सरगुजा की एक अकेली महिला ने वह काम कर दिया, जो कई पुरुष संगठित रूप से भी न कर सकें।

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सरगुजा की वंदना दत्ता (Vandana Dutta of Surguja) अपने जीवन के 6 दशक से अधिक की यात्रा पार कर चुकी हैं। वंदना ने महिलाओं, बच्चियों व असहाय लोगों की मदद की। इनके सेवा भाव का सिलसिला कॉलेज की पढ़ाई के समय से ही जारी है। और आज इनके साथ सैकड़ों अन्य महिलाएं भी जुड़ चुकी हैं।

ममता का दूसरा नाम वंदना

कोरोना काल में जब ये बात सामने आई कि महिलाओं के बीमार होने से लोगों के घर में खाना नहीं बन पा रहा है तब फिर 30 महिलाओं का एक समूह तैयार हो गया, जो एक घंटे में लोगों के खाने की व्यवस्था कर देता है। इसके आलवा वंदना दत्ता ने समाज की 40 ऐसी महिलाओं को प्रेरित किया है।

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जो कभी किटी पार्टी कर मोटी रकम खर्च करती थीं।लेकिन अब किटी पार्टी को सेवा किटी का नाम दे दिया गया है। इसके तहत 40 महिलाएं हर महीने किटी के पैसे में से 500 रुपये देती हैं, और इस तरह हर महीने 20 हजार रुपये एकत्र होते हैं।इस पैसे से समाज हित में काम किया जाता है।मेडिकल कॉलेज अस्पताल के प्रसूति वार्ड के सामने सुबह-शाम दोनों टाइम इनकी ओर से गर्म पानी, बिस्किट और लाल चाय की व्यवस्था की गई है।

इस बार सेवा किटी समूह कोरवा जनजाति गांव पहुंचा और वहां महिलाओं और किशोरियों को सेनेटरी पैड बांटे। साथ ही माहवारी स्वच्छता से संबंधित जागरूकता का प्रयास भी किया गया।

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