
CM on Gahira Guru: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बलरामपुर के श्रीकोट आश्रम में संत गहिरा गुरु की पत्नी पूर्णिमा के विग्रह की प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल हुए। इस दौरान उन्होंने कहा कि संत गहिरा गुरु आदिवासी समाज के महान संत हैं, जिन्होंने पूरे समाज को सनातन धर्म की महत्ता समझाई और रामायण के दिव्य संदेश से परिचित कराया। उन्होंने हजारों परिवारों के जीवन को संवारने का कार्य किया। साथ ही समाज के विकास और आध्यात्मिक उत्थान में भी अहम भूमिका निभाई। CM साय ने कहा कि हम सभी के लिए अत्यधिक गौरव का विषय है कि हमने इस पवित्र स्थल पर एकत्रित होकर परम पूज्य संत गहिरा गुरु और माता पूर्णिमा के योगदान को श्रद्धांजलि अर्पित किया। उन्होंने कहा कि माता पूर्णिमा का जीवन पूरी तरह से त्याग, तपस्या और समाज सेवा की अद्वितीय मिसाल प्रस्तुत करता है। उनका विग्रह समाज के कल्याण के प्रति उनके अडिग समर्पण का प्रतीक है।
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मुख्यमंत्री साय ने कहा कि संत गहिरा गुरु ने गृहस्थ जीवन में रहते हुए भी समाज की सेवा का सर्वोत्तम उदाहरण प्रस्तुत किया। उन्होंने दीन-हीन और असहायों की सेवा को अपना परम धर्म माना, सत्य, शांति, दया और क्षमा के सिद्धांतों को धर्म के अमूल्य स्तंभ के रूप में स्थापित किया। मुख्यमंत्री साय ने संत गहिरा गुरु के आदिवासी समुदायों के उत्थान में दिए गए अतुलनीय योगदान की सराहना की। मुख्यमंत्री ने क्षेत्रवासियों को इस पावन अवसर पर शुभकामनाएं दी और उन्हें आह्वान किया कि वे माता पूर्णिमा और संत गहिरा गुरु की शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारते हुए समाज को एक नई दिशा देने के लिए मनोयोग से जुट जाएं। (CM on Gahira Guru)
मुख्यमंत्री साय ने कहा कि यहां आने पर मुझे माता के विग्रह के दर्शन सौभाग्य मिला, उनका सजीव और मनोरम विग्रह देखकर ऐसा लगा मानो किस क्षण वह बोल उठे। CM साय ने गहिरा गुरु का स्मरण करते हुए कहा कि गहिरा गुरु आदिवासी समाज के बड़े संत हुए, जिनके उपदेशों और कथनों के जरिए पूरे समाज ने सत्य सनातन धर्म का महत्त्व जाना। उन्होंने कहा कि विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में विकास से पिछड़े हुए आदिवासी समुदाय के जीवन में गहिरा गुरु महाराज के उपदेशों से आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार आया। CM साय ने कहा कि मेरा सौभाग्य रहा कि गहिरा गुरु समाज का आशीर्वाद मुझे मिलता रहा। रायगढ़ के सांसद रहते गहिरा गुरु महाराज के जन्म ग्राम को गोद लेकर उसका विकास करने का सौभाग्य मिला। आज उनके आदर्शों को आत्मसात कर समाज आगे बढ़ रहा है। जगह-जगह संस्कृत महाविद्यालय खुल रहे हैं और आदिवासी समाज लगातार आगे बढ़ रहा है। समारोह में बड़ी संख्या में आदिवासी समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। (CM on Gahira Guru)