आज की पॉजिटिव खबर : पंजाब के इंजीनियर ने बनाई गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन; देशभर में मार्केटिंग, करोड़ों में कमाई

पंजाब : आपने गांवों में गोबर का ढेर जरूर देखा होगा। शहरों में भी कई गोशालाओं के बाहर गोबर बिखरे पड़े रहते हैं। इस वजह से हमें परेशानियों का सामना करना पड़ता है। पिछले कुछ सालों में गोबर से नए-नए प्रोडक्ट बनाने की पहल शुरू हुई है। कई सरकारें भी इसको बढ़ावा भी दे रही है। पंजाब के पटियाला के रहने वाले कार्तिक पाल ने एक ऐसी पहल की है। उन्होंने गोबर से लकड़ी और गोबर पाउडर बनाने की मशीन तैयार की है। इससे गोपालकों और किसानों की आमदनी तो बढ़ी ही है, साथ ही कार्तिक की भी अच्छी खासी कमाई हो रही है। पिछले तीन सालों में वे 10 हजार से ज्यादा मशीनें देश भर में बेच चुके हैं।

पंजाब के इंजीनियर ने बनाई गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन
यह गोबर ड्रायर मशीन है । इसकी मदद से आसानी से गोबर को सुखाया जा सकता है । अभी उनके पास इसके दो मॉडल हैं ।

31 साल के कार्तिक ने इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है। साल 2014 में उन्हें कनाडा जाने का भी ऑफर मिला था, लेकिन उनके पिता ने मना कर दिया। कार्तिक के पिता जनरेटर और मोटर बनाने का काम करते थे और किसानों को सप्लाई करते थे। कार्तिक भी उनके साथ जुड़कर काम करने लगे। हालांकि उस काम में उनका बहुत मन नहीं लगता था।

गांवों और गोशालाओं में गोबर मैनेज करना मुश्किल टास्क है

वे कहते हैं कि ये काम सीजनल था। साल में 3-4 महीने ही काम करना होता था, जब खेती का सीजन होता था। उसके बाद खाली ही बैठा रहता था। इसलिए मैं कुछ और करना चाहता था। पिता ने भी परमिशन दे दी कि अगर तुम कुछ और काम करना चाहते हो तो कर सकते हो। इसके बाद मैंने चारा काटने वाली एक मशीन बनाई और किसानों को सप्लाई करने लगा। हालांकि इसमें भी मेरी खास दिलचस्पी नहीं थी।

कार्तिक कहते हैं कि चारा काटने की मशीन की डिलीवरी के लिए एक बार मैं एक गोशाला वाले के पास गया। वहां देखा कि गोबर के ढेर लगे हैं। गोशाला वाले गोबर का सही मैनेजमेंट नहीं कर पा रहे थे। उनके लिए गोबर एक तरह से चुनौती की तरह था। उसके बाद मैं प्लान करने लगा कि इसको लेकर कुछ मशीन बनाऊं जिससे गोबर मैनेजमेंट की दिक्कत भी दूर हो जाए और उससे कमाई भी की जा सके।

सेवई मशीन की तर्ज पर नई मशीन बनाई

कार्तिक कहते हैं कि सेवई बनाने वाली मशीनें हमने देखी है। उनमें आटा डाला जाता है और सेवई बनकर बाहर आती है। मेरे दिमाग यह बात आई कि अगर हम सेवई बनाने वाली मशीन की तरह ही कोई मशीन बनाएं, जिसमें गोबर डालने पर कोई नया प्रोडक्ट बने तो बहुत हद तक परेशानी दूर हो सकती है। इसके बाद कार्तिक ने साल 2018 में सेवई बनाने वाली मशीन की तर्ज पर ही एक बड़ी मशीन तैयार की। इस मशीन के जरिए वे गोबर से लकड़ी बनाने लगे।

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चूंकि उनका यह आइडिया इनोवेटिव था और बहुत ज्यादा इसमें खर्चा भी नहीं आ रहा था। लिहाजा उनका मॉडल जल्द ही हिट कर गया। कई गोशाला वालों ने उनसे कॉन्टैक्ट किया। सबसे पहले उन्होंने जयपुर में अपनी मशीन भेजी। उसके बाद हरियाणा गो सेवा आयोग ने उनसे कॉन्टैक्ट किया। जिसके जरिए हरियाणा के कई गोशालाओं में उन्होंने अपनी मशीन लगाई। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपनी मशीन की फोटो और वीडियो अपलोड करनी शुरू की। जिसका काफी बढ़िया उन्हें रिस्पॉन्स मिला। कई जगहों से लोग मशीन के लिए ऑर्डर करने लगे।

गोबर से बनी लकड़ी से किसानों की आमदनी बढ़ी

कार्तिक कहते हैं कि इस मशीन में दो से तीन दिन पुराने गोबर को डाला जाता है और उससे गोबर की लकड़ी बाहर निकलती है। जिसे धूप में सुखाने के बाद इस्तेमाल किया जा सकता है। इस लकड़ी का इस्तेमाल हवन, पूजा, जलावन और श्मशान घाटों में लगने वाली लकड़ी की जगह किया जा रहा है। अभी इसकी काफी अच्छी डिमांड है। कार्तिक अब तक 9 हजार से ज्यादा गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन की सप्लाई कर चुके हैं। इस मशीन की कीमत करीब 65 हजार रुपए है। इसे ऑपरेट करने के लिए दो व्यक्तियों की जरूरत पड़ती है।

इस मशीन से बनी गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल बड़े लेवल पर लकड़ी की जगह श्मशान घाटों में किया जा रहा है।

चूंकि उनका यह आइडिया इनोवेटिव था और बहुत ज्यादा इसमें खर्चा भी नहीं आ रहा था। लिहाजा उनका मॉडल जल्द ही हिट कर गया। कई गोशाला वालों ने उनसे कॉन्टैक्ट किया। सबसे पहले उन्होंने जयपुर में अपनी मशीन भेजी। उसके बाद हरियाणा गो सेवा आयोग ने उनसे कॉन्टैक्ट किया। जिसके जरिए हरियाणा के कई गोशालाओं में उन्होंने अपनी मशीन लगाई। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी उन्होंने अपनी मशीन की फोटो और वीडियो अपलोड करनी शुरू की। जिसका काफी बढ़िया उन्हें रिस्पॉन्स मिला। कई जगहों से लोग मशीन के लिए ऑर्डर करने लगे।

पंजाब के इंजीनियर ने बनाई गोबर से लकड़ी बनाने वाली मशीन
इस मशीन से बनी गोबर की लकड़ी का इस्तेमाल बड़े लेवल पर लकड़ी की जगह श्मशान घाटों में किया जा रहा है

वे कहते है कि यह मशीन किसानों के लिए काफी फायदेमंद साबित हुई है। जो किसान पहले अपने गोबर को बिना किसी पैसे के इधर-उधर फेंकने पर मजबूर होते थे। वे इस मशीन की मदद से गोबर से लकड़ी बनाकर बढ़िया कमाई करने लगे। 3-4 रुपए किलो के हिसाब से गोबर से बनी लकड़ी आसानी से बिक जाती है। गोशाला संचालकों के लिए तो यह वरदान की तरह है। क्योंकि वहां रोजाना सैकड़ों किलो गोबर का प्रोडक्शन होता है। जिसे मैनेज करना काफी मुश्किल टास्क होता था। अब वे इससे अच्छी खासी कमाई कर रहे हैं।

किसानों की मांग पर बनाई गोबर सुखाने वाली मशीन

कार्तिक कहते हैं कि इस मशीन के बाद किसानों ने कहा कि आप गोबर को सुखाने वाली मशीन भी बनाओ। क्योंकि लकड़ी बनाने के लिए हमें दो से तीन दिन पुराने गोबर की जरूरत होती है और गिले गोबर को 2-3 दिन तक मैनेज करना मुश्किल होता है। इसके बाद कार्तिक ने साल 2021 में गोबर सुखाने वाली मशीन बनाई। इसमें गिला गोबर डालते ही वह पाउडर के रूप में बदल जाता है। जिसका इस्तेमाल खेतों में खाद के रूप में या अगरबत्ती-धूप बनाने में किया जा रहा है। जबकि इससे निकलने वाले लिक्विड को खेतों में स्प्रे कर दिया जाता है। जिससे उपज बढ़ती है। यानी इससे किसानों की परेशानी तो दूर हुई ही हैं। साथ ही उनकी आमदनी भी बढ़ी है।

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इस मशीन की कीमत 1.7 लाख है। यह मशीन एक घंटे में 500 किलो गोबर को पाउडर में कन्वर्ट कर देती है। इसी तरह उनके पास एक दूसरी मशीन भी है जो एक घंटे में एक टन गोबर का पाउडर बनाती है। इसकी कीमत 2.4 लाख है। इतना ही नहीं अब वे गोबर उठाने वाली मशीन की भी मार्केटिंग कर रहे हैं। अब तक 500 से ज्यादा इस मशीन की सप्लाई वे देशभर में कर चुके हैं। कार्तिक ने गुरुदेव शक्ति नाम से अपनी कंपनी रजिस्टर की है। करीब 20 लोगों को उन्होंने नौकरी भी दी है। छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों की सरकारों से भी उन्होंने अपनी मशीन को लेकर करार किया है।

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