क्या दर्शकों को लुभा पाई कटरीना कैफ की फोन भूत, जानें कैसा रहा फैंस का रिएक्शन

Phone Booth Review : पिछले कुछ समय में बॉलीवुड इंडस्ट्री के लिए हॉरर कॉमिडी एक तुरुप का इक्का साबित हुआ है। स्त्री जहां हॉरर कॉमेडी के रूप में पहली सक्सेसफुल फिल्म रही थी। तो वहीं कोरोना के बाद भूल भूलैया 2 ने भी इस जॉनर में बॉक्स ऑफिस के कई रिकॉर्ड्स तोड़े थे। अब इसी जॉनर में कटरीना कैफ, ईशान खट्टर और सिद्धांत चतुर्वेदी की फिल्म फोनभूत (Phone Booth Review) 4 नवंबर को रिलीज हुई है।

Phone Booth Review : फिल्म की कहानी

मुंबई के दो लड़के मेजर (सिद्धांत चतुर्वेदी) और गुल्लू (इशान खट्टर) भूतों की दुनिया से काफी प्रभावित है। यही वजह है कि अपने करियर में भी इसी से जुड़ा कुछ करना चाहते हैं। इसी बीच उनका सामना होता है रागिनी (कटरीना कैफ) से, जो कि एक भूतनी है।

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पिछले दस सालों में भूतों के प्रति डेडिकेशन की वजह से मेजर-गुल्लू को यह पावर मिलता है कि वे भूत व आत्माओं से बात कर सकते हैं। रागिनी उनके पास फोनभूत का प्रपोजल लेकर आती है। जहां वो उन्हें लोगों के घर से भूत भगाने और आत्माओं को मोक्ष दिलाने की बात रखती है। मेजर और गुल्लू इस प्रपोजल के लिए तैयार हो जाते हैं और कहानी यहीं से शुरू होती है। इस दौरान उन्हें इस जर्नी में आत्माराम, चिकनी चुड़ैल आदि जैसे कई दुश्मनों का सामना करना पड़ता है।

फिल्म का डायरेक्शन

गुरमीत सिंह के डायरेक्शन तले बनी यह हॉरर कॉमिडी फिल्म आपको डराती कम हंसाती ज्यादा है। शुरुआत होते ही कहानी आपको एक लाफिंग राइड पर ले जाती है। खासकर इसमें बॉलीवुड टच इसे स्पेशल बनाते हैं। कई पुरानी फिल्मों और पॉप्युलर नामों के रेफरेंस, पॉप्युलर ऐड्स, रजनीकांत स्टाइल, चिकनी चुड़ैल, राका जैसे शब्द इस फिल्म की कॉमिक टाइमिंग को और मजबूत करते हैं। 2 घंटे 11 मिनट की यह फिल्म आपको कहीं से भी बोर नहीं करती है। फर्स्ट हाफ से ही आप भूतों की कॉमिक दुनिया में प्रवेश कर जाते हो और हंसी का सिलसिला क्लाइमैक्स तक बरकरार रहता है।

हालांकि, हॉरर कॉमिडी के रूप में इस फिल्म में हॉरर की कमी नजर आती है। फिल्म की एडिटिंग बहुत शानदार की गई है। इसी वजह से फर्स्ट हाफ में फिल्म को ज्यादा लंबा ड्रैग न करते हुए रागिनी की एंट्री, आत्माराम की मंशा आदि सबके बारे में पता चल जाती है। सेकेंड हाफ भी ठीक उसी रफ्तार में बढ़ती है। खासकर क्लामैक्स तक पहुंचते-पहुंचते हंस-हंसकर आपके पेट में दर्द जरूर हो जाता है।

Phone Booth Review : टेक्निकल पार्ट

टेक्निकली फिल्मों में कई लूप होल्स हैं। खासकर फिल्म का वीफएक्स बहुत ही बचकाने से लगते हैं। खासकर क्लाइमैक्स के दौरान होने वाले तोड़-फोड़ आपको देखकर लगता है कि इसकी बजटिंग में पैसे काट लिए गए हों। एडिटिंग के लिहाज से मनन मेहता का काम बहुत अच्छा रहा है। सिनेमैटोग्राफर केयू मोहन सेकेंड हाफ में भूत की वो दुनिया स्थापित करने में उतने कन्विंसिंग नहीं लगते हैं। तनिष्क बागची ने फिल्म का म्यूजिक दिया है। बेशक गाने अच्छे हैं लेकिन फिल्म की रफ्तार में खलल डालते महसूस होते हैं।

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एक्टिंग

रागिनी भूत के रूप में कटरीना कैफ ने अपना काम पूरी ईमानदारी से किया है। भूत के रूप में कटरीना काफी डरावनी तो बिलकुल भी नहीं लगी हैं। फिल्म के दौरान उनका डांस फिल्म में भरपूर ग्लैमर ऐड करती है। ईशान खट्टर और सिद्धांत चतुर्वेदी की एक्टिंग में आपको पुराने बॉलीवुड के करण-अर्जुन, अमर-प्रेम, की बेमिसाल जोड़ी की झलक मिलती है। चिकनी चुड़ैल के रूप में शिबा छब्बड़ का काम भी काबिल-ए तारीफ है। जैकी श्रॉफ इस फिल्म की जान हैं। उनकी मौजूदगी, फिल्म को हर तरह से मजबूत बनाती है।

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