हिंसा पीड़ितों से राहुल गांधी ने किया मुलाकात, कांग्रेस बोली- नफरत के खिलाफ जारी है मोहब्बत की यात्रा

Manipur Violence : कांग्रेस नेता राहुल गांधी मणिपुर के मोइरांग पहुंच गए हैं. इस दौरान उन्होंने राहत शिविरों में जाकर प्रभावित लोगों से मुलाकात की. वे इस दौरे के बाद इंफाल लौटेंगे और समान विचारधारा वाले 10 पार्टी नेताओं, यूनाइटेड नागा काउंसिल (यूएनसी) के नेताओं और नागरिक समाज संगठन के सदस्यों से मिलेंगे. इससे पहले राहुल ने बृहस्पतिवार को चुराचांदपुर में राहत शिविरों का दौरा किया था, जो जातीय दंगों से सबसे ज्यादा प्रभावित शहरों में से एक है.

जातीय हिंसा (Manipur Violence ) से प्रभावित मणिपुर के चुराचांदपुर में राहत शिविरों के राहुल गांधी के दौरे को लेकर बृहस्पतिवार को उस वक्त नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला, जब कांग्रेस नेता के काफिले को पुलिस ने बीच रास्ते में ही रोक दिया और उन्हें अपने गंतव्य तक हेलीकॉप्टर से जाना पड़ा.कांग्रेस नेता स्थानीय समुदायों को सांत्वना देने के लिए मणिपुर की दो दिवसीय यात्रा पर हैं.

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राहुल के राहत शिविरों में पहुंचने की तस्वीरें ट्वीट करते हुए कांग्रेस ने लिखा, ‘प्यार, भाईचारा और शांति का संदेश लेकर राहुल गांधी जी मणिपुर पहुंचे हैं। कल वे हिंसा के पीड़ितों और सिविल सोसाइटी के लोगों से मिले. उनका दुख बांटा, उनके आंसू पोछे, उन्हें हिम्मत दी… ये भरोसा दिलाया कि सब ठीक हो जाएगा. मणिपुर में नफरत के खिलाफ मोहब्बत की ये यात्रा आज भी जारी है…’

हिमंत बिस्व सरमा ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मणिपुर दौरे पर कहा कि राज्य में स्थिति करुणा के जरिए मतभेदों को दूर करने की मांग करती है, न कि किसी नेता के दौरे से मतभेद बढ़ाने की। हिमंत बिस्व शर्मा ने कहा कि गांधी के मणिपुर दौरे को मीडिया ने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है और इस वक्त किसी को पूर्वोत्तर राज्य की दुखद स्थिति से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। मुख्यमंत्री ने ट्वीट किया, ‘मणिपुर में स्थिति करुणा के जरिए मतभेदों को दूर करने की मांग करती है। किसी नेता द्वारा अपनी तथाकथित यात्रा का उपयोग मतभेदों को बढ़ाने के लिए करना राष्ट्र के हित में नहीं है। राज्य के दोनों समुदायों ने ऐसे प्रयासों को साफ तौर पर खारिज कर दिया है।’

गौरतलब है कि मणिपुर (Manipur Violence ) में मेइती और कुकी समुदाय के बीच मई की शुरुआत में भड़की जातीय हिंसा में 100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है.मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मेइती समुदाय की मांग के विरोध में तीन मई को पर्वतीय जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ के आयोजन के बाद झड़पें शुरू हुई थीं.मणिपुर की 53 प्रतिशत आबादी मेइती समुदाय की है और यह मुख्य रूप से इंफाल घाटी में रहती है.वहीं, नगा और कुकी जैसे आदिवासी समुदायों की आबादी 40 प्रतिशत है और यह मुख्यत: पर्वतीय जिलों में रहती है.

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