Shanivar Vrat Vidhi: शनिवार को काली गाय की सेवा करने से प्रसन्न होते हैं शनिदेव, इस तरह करें पूजा

Shanivar Vrat Vidhi: शनिवार के दिन भगवान शनि की पूजा होती है। शनिवार का व्रत अन्य सभी वारों के व्रत में सबसे ज्यादा अहम माना जाता है। शास्त्रों के मुताबिक जिन व्यक्तियों कि कुंडली में शनि निर्बल अवस्था में होता है उन व्यक्तियों को शनिवार का व्रत जरुर करना चाहिए। ये व्रत शनि ग्रह की शांति के लिए किया जाता है। मान्यताओं के मुताबिक इस व्रत को करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं। इसलिए आज हम आपकों शनिदेव के व्रत विधि के बारें में जानकारी देने वाले हैं। शास्त्रों में ग्रहों का प्रभाव बहुत ही प्रबल माना जाता है और ऐसे में अगर शनि ग्रह अशांत हो जाएं तो जीवन में कष्टों और दुखों का आगमन शुरू हो जाता है। सभी ग्रहों में शनि ग्रह का मनुष्य पर सबसे हानिकारक प्रभाव पड़ता है।

यह भी पढ़ें:- शनिवार को कर लें बस ये 5 उपाय और फिर देखिये कैसे होती है शनिदेव की आप पर कृपा, रातोंरात बन जाएंगे धनवान!

हिंदू धर्म के मुताबिक शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने से वे जल्दी प्रसन्न होते हैं। अगर आप शनि देव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सूर्यास्त के बाद हनुमान जी की पूजा करें। हनुमान जी की पूजा में सिंदूर रखा जाता है और आरती के लिए दीप जलाने के लिए काले तिल के तेल का इस्तेमाल करते हैं। पूजा में नीले फूल चढ़ाना भी शुभ माना जाता है। अगर शनि के प्रकोप के कारण जीवन संकटों से घिरा हुआ है तो शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसकी पूजा करनी चाहिए। इस यंत्र की प्रतिदिन पूरे विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए। इससे शनि देव बहुत प्रसन्न होते हैं। शनि यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाकर और रोजाना नीले फूल चढ़ाने से भी शनि देव की कृपा बनी रहती है। (Shanivar Vrat Vidhi)

शनिदेव के लगाएं काले चने का भोग

शनिदेव की पूजा के एक दिन पहले 1.25 किलो काले चने को तीन बर्तनों में अलग-अलग भिगो दें। अगले दिन स्नान के बाद विधि-विधान से शनि देव की पूजा में उन काले चनों को चढ़ाएं। पूजा के बाद पहले कुछ चने भैंस को खिलाना चाहिए। बाकी बचा कुष्ठ रोगियों को बांटना चाहिए। वहीं कुछ चना घर से दूर ऐसी जगह पर रखना चाहिए, जहां कोई न होता हो। शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका है गाय की सेवा करना। काली गाय की सेवा करने से शनि देव प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। गाय के सींग पर कलावा बांधना चाहिए और पूजा करनी चाहिए। इसके बाद गाय के चारों ओर घूमें और उसे चार चम्मच बूंदी खिलाएं। (Shanivar Vrat Vidhi)

ऐसे शुरू करें शनिवार का व्रत

शनि की कुदृष्टि से राजाओं तक का वैभव पलक झपकते ही नष्ट हो जाता है। शनि की साढ़े साती दशा जीवन में कई दुखों, विपत्तियों का समावेश करती है। इसलिए शनि दोष से पीड़ित जातकों को शनिवार व्रत करना चाहिए। शनि देव विलक्षण शक्तियों वाले देवता हैं। ज्योतिषी के मुताबिक शनिवार का व्रत किसी भी शनिवार से शुरू कर सकते हैं, लेकिन श्रावण मास में शनिवार का व्रत शुरू करने का विशेष महत्व माना गया है। 7, 19, 25, 33 या 51 शनिवार व्रत सभी दुख-दरिद्रता, रोग-शोक का नाश कर धन-वैभव से संपन्न करने वाले माने गए हैं। ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नदी या कुएं के जल से स्नान करें। पीपल के वृक्ष पर जल अर्पण करें। लोहे से बनी शनि देवता की मूर्ति को पंचामृत से स्नान कराएं। फिर इस मूर्ति को चावलों से बनाए चौबीस दल के कमल पर स्थापित करें। इसके बाद काले तिल, फूल, धूप, काला वस्त्र व तेल आदि से पूजा करें। पूजन के दौरान शनि के इन 10 नामों का उच्चारण करें- कोणस्थ, कृष्ण, पिप्पला, सौरि, यम, पिंगलो, रोद्रोतको, बभ्रु, मंद, शनैश्चर। पूजन के बाद पीपल के वृक्ष के तने पर सूत के धागे से सात परिक्रमा करें।  (Shanivar Vrat Vidhi) 

‘काले तिल से 108 आहुति प्रत्येक के लिए देनी चाहिए’

7 शनिवार तक व्रत करते हुए शनि के प्रकोप से सुरक्षा के लिए शनि मंत्र की समिधाओं में, राहु की कुदृष्टि से सुरक्षा के लिए दूर्वा की समिधा में, केतु से सुरक्षा के लिए केतु मंत्र में कुशा की समिधा में, कृष्ण जौ, काले तिल से 108 आहुति प्रत्येक के लिए देनी चाहिए। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर शनिदेव की प्रतिमा की विधि समेत पूजन करना चाहिए। शनि भक्तों (Lord Shani)  को इस दौरान शनि मंदिर में शनि देव को नीले रंग के पुष्प अर्पित करने से विशेष लाभ मिलता है। फिर अपनी क्षमतानुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं और लौह वस्तु, धन का दान करें। इस तरह शनि देव का व्रत रखने से दुर्भाग्य को भी सौभाग्य में बदला जा सकता है तथा हर विपत्ति दूर होती है। इस दिन काले कुते और कौए को तेल की चुपड़ी रोटी और गुलाब जामुन खिलाया तो अति लाभकारी होता है। (Shanivar Vrat Vidhi)

लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व

व्रत वाले दिन बजरंगबली की आराधना और उनके सामने सरसों या तिल के तेल का दीपक पश्चिम दिशा में लौ कर के जलाएं। दीपक मिट्टी या फिर पीतल का श्रेष्ठ है। अंतिम व्रत के दिन उद्यापन में हवन करना चाहिए। इस सब के साथ ही शनि देव का विशेष आरती करनी चाहिए और विनती करनी चाहिए कि सदैव आपकी कृपा घर परिवार पर बनी रहें। ज्योतिष के मुताबिक शनिवार को लोहे का बना सामान नहीं खरीदना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि शनिवार को लोहे का सामान क्रय करने से शनि देव कुपित होते हैं। इस दिन लोहे से बनी चीजों के दान का विशेष महत्व है।

Related Articles

Back to top button