शकुंतला तरार ने बढ़ाया छत्तीसगढ़ का गौरव, देश की राजधानी में बिखेरा सुरों का जादू

Shakuntala Tarar: छत्तीसगढ़ की लोक कला संस्कृति की संवाहक शकुंतला तरार ने भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और दिल्ली साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित विश्व के सबसे बड़े साहित्य महोत्सव में हिस्सा लिया। उन्होंने आदिवासी लेखक सम्मेलन में शामिल होकर छत्तीसगढ़ी और हल्बी में रचना पाठ करके प्रदेश का गौरव बढ़ाया है । उन्होंने छत्तीसगढ़ की माटी की सौंधी सौंधी महक को अपने सुरों के माध्यम से देश की राजधानी को महकाया है। शकुंतला तरार छत्तीसगढ़ में एक ऐसा जाना पहचाना नाम है, जिन्होंने न सिर्फ हिंदी बल्कि छत्तीसगढ़ी और हल्बी तीनों ही भाषाओं में लगातार लेखन कार्य कर रही है।

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13 मार्च को आदिवासी भाषा में लेखन करने वाले 175 प्रतिभागी साहित्य अकादमी वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने जा रही है, जिसमें शकुंतला तरार भी शामिल होंगी। बता दें कि आदिवासी लेखक सम्मेलन में 1100 से ज्यादा प्रतिभागी 175 भाषाओं में 16 मार्च तक अपनी भाषाओं में रचनाएं प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम की शुरुआत 11 मार्च से हुई है। (Shakuntala Tarar)

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