Sidhu Surrenders: नवजोत सिंह सिद्धू ने पटियाला कोर्ट में किया सरेंडर, रोड रेज केस में हुई है एक साल की सजा
Sidhu Surrenders: पूर्व भारतीय क्रिकेटर और पंजाब कांग्रेस के नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने रोड रेज केस में पटियाला कोर्ट में सरेंडर कर दिया है। वे साथ में कपड़ों से भरा बैग लेकर आए। कोर्ट में सिद्धू के सरेंडर करने की कागजी कार्रवाई पूरी हो गई है, जहां से उन्हें माता कौशल्या अस्पताल ले जाया गया। वहां से उनका मेडिकल करवाने के बाद उन्हें पटियाला सेंट्रल जेल भेज दिया गया है। यह वही जेल है, जहां सिद्धू के कट्टर विरोधी बिक्रम मजीठिया ड्रग्स केस में बंद हैं। हालांकि सिद्धू (Sidhu Surrenders) कैदी हैं और मजीठिया अभी हवालाती हैं। सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली।
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सरेंडर के दौरान सिद्धू (Sidhu Surrenders) ने किसी से कोई बात नहीं की। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को क्यूरेटिव पिटीशन तत्काल सुनने से इनकार कर दिया। सिद्धू के वकीलों को उम्मीद थी कि दोपहर बाद फिर सुप्रीम कोर्ट के आगे अर्जेंट सुनवाई की मांग करेंगे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई नहीं हुई। सिद्धू अगर सरेंडर नहीं करते तो फिर पंजाब पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर लेती। इससे पहले सिद्धू के वकील अभिषेक मनु सिंघवी की पिटीशन पर जस्टिस एएम खानविलकर ने कहा कि हम चीफ जस्टिस के पास मामले को भेज रहे हैं, वे ही इस पर सुनवाई का फैसला करेंगे। सिद्धू ने खराब स्वास्थ्य के आधार पर सरेंडर के लिए कोर्ट से एक हफ्ते की मोहलत मांगी थी।
प्रियंका गांधी ने दिया साथ ?
वहीं पंजाब में कांग्रेस के नेताओं ने सिद्धू (Sidhu Surrenders) का साथ छोड़ दिया था। हालांकि अब कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी ने सिद्धू को फोन किया है। उन्होंने सिद्धू को भरोसा दिया कि कांग्रेस उनके साथ है। उन्होंने सिद्धू को मजबूत रहने के लिए हौसला बढ़ाया। सिद्धू को कांग्रेस में प्रियंका गांधी का करीबी माना जाता है। बता दें कि 27 दिसंबर 1988 को सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के बुजुर्ग गुरनाम सिंह से झगड़ा हुआ। सिद्धू ने उन्हें मुक्का मारा। बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। सिद्धू और उनके दोस्त रूपिंदर सिंह पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज हुआ। 1999 में सेशन कोर्ट ने सिद्धू को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया।
#WATCH | 1988 road rage case: Congress leader Navjot Singh Sidhu reaches Patiala Court in Punjab.
Supreme Court had yesterday imposed one-year rigorous imprisonment on him in the three-decade-old road rage case. pic.twitter.com/iHu3bmbOls
— ANI (@ANI) May 20, 2022
पीड़ित पक्ष इसके खिलाफ पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट चला गया। 2006 में हाईकोर्ट ने सिद्धू को 3 साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। जनवरी 2007 में सिद्धू ने कोर्ट में सरेंडर किया, जिसमें उन्हें जेल भेज दिया गया। इसके बाद सिद्धू सुप्रीम कोर्ट चले गए। 16 मई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू (Sidhu Surrenders) को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा से बरी कर दिया। हालांकि चोट पहुंचाने के मामले में एक हजार जुर्माना लगाया। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी। 19 मई 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू पर अपना फैसला बदलते हुए चोट पहुंचाने के आरोप में एक साल कैद की सजा सुना दी।
जानिए क्या है क्यूरेटिव पिटीशन ?
बता दें कि क्यूरेटिव पिटीशन किसी भी सजायाफ्ता को राहत का अंतिम जरिया होता है। इसमें सुप्रीम कोर्ट आर्टिकल 142 का उपयोग करता है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने सपा नेता आजम खान को अंतरिम जमानत देनेऔर राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी को रिहा करने में इस आर्टिकल का इस्तेमाल किया था। इसमें सुप्रीम कोर्ट किसी भी विचाराधीन मामले में अपनी शक्ति का उपयोग कर फैसला करता है। इधर, यूथ अकाली दल के प्रधान परमबंस सिंह बंटी रोमाणा ने सिद्धू पर तंज कसा। उन्होंने कहा कि हाथी पर चढ़ने के वक्त तो सेहत बढ़िया थी। सरेंडर करते वक्त घबराहट हो रही है। कल तो कहा था कि कानून का पूरा सम्मान करते हैं।
कार्रवाई से हम संतुष्ट हैं: पीड़ित परिवार
वहीं मृतक गुरनाम सिंह के परिवार ने कहा कि वह इस फैसले से संतुष्ट हैं। उनकी बहू परवीन कौर ने कहा कि 34 साल की लड़ाई में कभी उनका मनोबल नहीं टूटा। उन्होंने कभी सिद्धू के क्रिकेटर और नेता के रसूख पर ध्यान नहीं दिया। उनका लक्ष्य सिर्फ सिद्धू को सजा दिलाना था, जिसमें वह कामयाब रहे। वे सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से संतुष्ट हैं।