Suicide Cases In CG: छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की घटनाओं में लगातार हो रहा इजाफा, युवाओं का नाम सबसे आगे, जानिए कारण

Suicide Cases In CG: छत्तीसगढ़ में आत्महत्या की घटनाओं में लगातार इजाफा हो रहा है। सबसे ज्यादा घटनाएं राजधानी रायपुर की है, जहां साढ़े 3 साल के दौरान 2 हजार 600 लोगों ने जान दे दी। आत्महत्या करने वाले सभी लोगों ने मामूली बातों को लेकर मौत को गले लगाया है, जिसमें 54 प्रतिशत मतलब 1 हजार 400 युवक-युवतियों ने सिर्फ प्यार में अपनी जान दे दी। लोगों ने सबसे ज्यादा फांसी लगाकर अपनी जीवन लीला समाप्त की है। आंकड़ों के मुताबिक खुदकुशी करने वालों में लड़कों की संख्या सबसे ज्यादा है।

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जानकारी के मुताबिक राजधानी रायपुर में 2019 से मई 2022 तक 2 हजार 600 लोगों ने जान दी है, जिसमें 1 हजार 900 लड़के हैं। इसमें से 1 हजार 313 लड़कों ने फांसी लगाकर जान दी है। जान देने वालों में भी अधिकांश अविवाहित थे, जिन्हें प्यार में धोखा मिला। कुछ लड़कों ने पसंद की युवती से शादी नहीं होने के कारण अपने जान दे दी। वहीं लड़कियों की संख्या 700 से ज्यादा है। 3 सालों के दौरान 140 युवती और महिलाओं ने आत्मदाह किया है। इसमें 55 प्रतिशत विवाहित महिलाएं हैं, जिन्होंने प्रताड़ना या घरेलू विवाद में खुदकुशी कर ली। पुलिस का कहना है कि ज्यादातर नवविवाहित घरेलू विवाद की वजह से इस तरह का कदम उठाते हैं। महिलाएं अपने बच्चों की हत्या करने के बाद भी खुदकुशी कर रही हैं। नवा रायपुर और तिल्दा में इस तरह की घटनाएं सामने आ चुकी है। (Suicide Cases In CG)

इन वजहों से उठा रहे आत्मघाती कदम

पुलिस के मुताबिक ज्यादातर मामलो में प्रेम संबंध, पति-पत्नी का विवाद, ससुराल या घरेलू विवाद, आर्थिक तंगी और कर्ज या प्रताड़ना ही वजह सामने आई है। नाबालिगों में पढ़ाई, परीक्षा में फेल होना या मामूली विवाद जैसी समस्याएं शामिल है। कोई बड़ी वजह नहीं है, जिसके लिए जान दी जाए। लोगों में धैर्य की कमी, माता-पिता से कम्यूनिकेशन गेप, अच्छे दोस्त की कमी और घर का माहौल खुदकुशी की बढ़ी वजह बनता जा रहा है। खुदकुशी करने वाले 55 फीसदी युवकों ने प्रेम संबंध में जान दी है। वहीं 25 प्रतिशत ने आर्थिक तंगी और 15 प्रतिशत ने घरेलू विवाद में खुदकुशी की है। (Suicide Cases In CG)

60 प्रतिशत लोगों ने फांसी लगाकर दी जान

वहीं 5 प्रतिशत युवकों के खुदकुशी के पीछे अन्य कारण है। खुदकुशी करने वालों में नाबालिग भी शामिल हैं। खुदकुशी करने वाले में 60 फीसदी फांसी लगाते हैं। 20 फीसदी जहर खाते हैं। 10 प्रतिशत आत्मदाह और 5 प्रतिशत ने पानी में डूबकर जान दी। बता दें कि रविवार को तेलीबांधा तालाब में अपनी दोस्त के साथ बैठकर बात कर रही लड़की ने अचानक छलांग लगा दी, जो देखते ही देखते गहरे पानी में चली गई। इसके बाद पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से लड़की को तालाब से बाहर निकाला और उसे नजदीक के अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टर्स ने उसे मृत घोषित कर दिया। शुरुआती जांच के बाद पुलिस ने बताया कि लड़की के किसी परिचित की मौत हो गई थी। इससे वह बहुत दुखी थी। वह परेशान चल रही थी। (Suicide Cases In CG)

लोगों को रखना चाहिए धैर्य और साहस: SSP

पुलिस ने बताया कि गांधी नगर की रहने वाली 17 साल की संध्या क्षत्रिय रविवार सुबह अपने सहेली के साथ तेलीबांधा तालाब गई थी। दोनों बातचीत कर रहे थे। इसी दौरान अचानक संध्या ने तालाब में छलांग लगा दी। पुलिस के मुताबिक खुदकुशी की वजह पता नहीं चल पाई है। परिजनों का बयान नहीं हुआ है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि लड़की कई दिनों से परेशान चल रही थी। उसके किसी परिचित की सड़क हादसे में मौत हो गई थी, जिससे वह बहुत दुखी थी। रायपुर SSP प्रशांत अग्रवाल ने कहा कि लोग परेशान है तो उसे लेकर परिजनों से दोस्तों और शिक्षकों से चर्चा करें। डॉक्टर या काउंसलर की मदद लें। क्योंकि समस्या कभी इतनी बड़ी नहीं होती, जिसके लिए जान दिया जा सके। हर समस्या और परेशानी का उपाय है। लोगों को धैर्य और साहस रखना चाहिए। परेशानी आने पर उसका सामना करना चाहिए। खुदकुशी जैसा स्टेप नहीं उठाना चाहिए।

10 सितंबर को मनाया जाता है आत्महत्या रोकथाम दिवस

बता दें कि 10 सितंबर को पूरी दुनिया में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस मनाया जाता है। इस दिवस को मनाने के पीछे लोगों को आत्महत्या के प्रति जागरूक करना है, ताकि लोग ऐसे कदम ना उठाएं, जिस तरह हमारे आसपास आत्महत्या के मामले बढ़ रहे हैं, इसके प्रति जागरूकता और जरूरी बनती जा रही है। सुसाइड कोई मानसिक बीमारी नहीं है। इसके पीछे डिप्रेशन, बाइपोलर डिसऑर्डर, पर्सनालिटी डिसऑर्डर, अचानक किसी घटना का मानसिक असर और तनाव जैसी कई वजहें हैं। इस समस्या से जूझने वाले लोग अक्सर उदास रहते हैं और उसके मन में हर समय नकारात्मक ख्याल आते रहते हैं। कई बार ये अपने आप को परिस्थितियों के सामने इतना असहाय महसूस करते हैं कि उनके मन में आत्महत्या का ख्याल आने लगता है। 

गंभीर तनाव और डिप्रेशन में शांत हो जाता है व्यक्ति

सुसाइड जैसा बड़ा कदम कोई भी व्यक्ति अचानक नहीं उठाता है। इससे पहले वो जिन चीजों से गुजरता है उसे एक संकेत माना जा सकता है। जरूरत से ज्यादा और बात-बात पर गुस्सा होना, हमेशा उदास रहना, मूड स्विंग होना, भविष्य को लेकर आशंकित रहना, नींद ना आना ये सारे लक्षण बताते हैं कि व्यक्ति किसी तरह के मानसिक उतार-चढ़ाव से गुजर रहा है। गंभीर तनाव और डिप्रेशन के बीच अचानक बिल्कुल शांत हो जाना भी इस बात का संकेत देता है कि समस्या से जूझने वाला व्यक्ति किसी निर्णय पर पहुंच चुका है। ऐसे लोग अकेले रहना पसंद करते हैं और किसी भी तरह सामाजिक गतिविधियों से बचते हैं। किसी भी काम में इनकी दिलचस्पी खत्म होने लगती है।

दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करके दूर हो सकती है समस्या

आत्महत्या के बारे में सोचने वाले व्यक्ति के व्यवहार में अचानक बदलाव आने लगते हैं। कुछ मामलों मे आत्महत्या पर विचार करने वाला व्यक्ति इसके लिए पूरी तैयारी भी कर लेता है। जैसे परिवार और दोस्तों को बिजनेस में शामिल करना, वसीयत तैयार करना या सुसाइड नोट लिखना, बंदूक या जहर जैसी चीजें ढूंढना। सबसे ध्यान देना वाली बात ये है कि आत्महत्या के बारे में सोचने वाले 50 से 75 प्रतिशत लोग इसका जिक्र अपने दोस्त या किसी रिश्तेदार से करते हैं। आत्महत्या को निश्चित तौर पर नहीं रोका जा सकता है, लेकिन आत्महत्या से आने वाले पहले के विचारों और संकेतों को समझकर सही कदम उठाया जा सकता है।

आत्महत्या से पहले दिखते हैं ये लक्षण

रिसर्च बताते हैं कि आत्महत्या को रोकने का सबसे अच्छा तरीका इसके संकेतों, डिप्रेशन और जिसऑर्डर के लक्षणों को पहचानना है। इससे समय रहते उस व्यक्ति का इलाज कराया जा सकता है। ज्यादातर लोग किसी भी मानसिक समस्या को बीमारी नहीं मानते हैं और डॉक्टर से संपर्क करने से बचते हैं। यही वजह है कि डिप्रेशन की समस्या बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में तेजी से फैल रही है। जब मन में लगातार नकारात्मक और खुद को चोट पहुंचाने जैसे ख्याल आ रहे हों तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए। इसके अलावा अपने करीबी दोस्त या परिवार के सदस्यों से अपनी दिक्कतों के बारे में बात करनी चाहिए। डिप्रेशन के शिकार व्यक्ति को अकेले नहीं रहना चाहिए। अपने दोस्तों और परिवार के लगातार संपर्क में रहें, अपनी समस्याओं पर चर्चा करें और खुलकर उनसे मदद मांगे।

भारत सरकार ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

लोग अकेलेपन से बचने के लिए, किताबें पढ़ें, योग करें, अच्छी नींद लें, शराब और ड्रग्स के सेवन से बचें। अगर आप किसी ऐसी मानसिक समस्या से जूझ रहे हैं जिसके बारे में आप किसी से बात नहीं कर सकते तो टॉक थेरेपी का सहारा लें और किसी मनोचिकित्सक से संपर्क करें। खुदकुशी एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है। अगर आप या अपने दोस्त किसी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं। आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए, ताकि आत्महत्या जैसे प्राणघातक कदम उठाने से बचा जा सकें।

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