Rakshabandhan: राखी बांधने के लिए आपको भी है कन्फ्यूजन की स्थिति, तो इस लेख में जानिए कब है शुभ मुहूर्त

Rakshabandhan: इस साल रक्षाबंधन यानी 11 अगस्त को भद्रा नक्षत्र का साया पड़ने पर देशभर में कन्फ्यूजन की स्थिति बन गई है। इस बार रक्षाबंधन की तिथि और नक्षत्र को लेकर भ्रम बना हुआ है, क्योंकि सावन की पूर्णिमा दो दिन यानी 11 और 12 अगस्त को है। इस पर देशभर के ज्योतिष आचार्यों का कहना है कि भद्रा खत्म होने के बाद पूर्णिमा और श्रवण नक्षत्र का योग, गुरुवार को ही बन रहा है। इसलिए 11 अगस्त की रात में ही राखी बांधना चाहिए। 12 अगस्त को पूर्णिमा तिथि 7.06 बजे तक रहेगी। कहीं-कहीं पंचांग भेद के कारण 8 बजे तक पूर्णिमा मानी जाएगी। इस कारण शुक्रवार को पूर्णिमा अधिकतम 2 घंटे ही रहेगी। यही कारण है कि इस बार रक्षा बंधन 11 अगस्त को मनाना ज्यादा बेहतर है। राखी बांधने के लिए 11 अगस्त को 1 घंटे 20 मिनट का ही मुहूर्त होगा, जो रात 8.25 से 9.25 तक का रहेगा। इस पर्व पर ग्रहों की दुर्लभ स्थिति से बन रहे शुभ योगों के कारण पूरे दिन खरीदारी का शुभ मुहूर्त भी रहेगा।

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ज्योतिष आचार्यों के मुताबिक 11 अगस्त यानी गुरुवार को आयुष्मान, सौभाग्य और ध्वज योग रहेगा। साथ ही शंख, हंस और सत्कीर्ति नाम के राजयोग भी बन रहे हैं। गुरु-शनि वक्री होकर अपनी राशियों में रहेंगे। सितारों की ऐसी दुर्लभ स्थिति पिछले 200 सालों में नहीं बनी। इस महासंयोग में किया गए रक्षाबंधन सुख-समृद्धि और आरोग्य देने वाला रहेगा। 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि और श्रवण नक्षत्र के साथ ही गुरुवार का शुभ संयोग बन रहा है। ज्योतिष ग्रंथों में इस योग को खरीदारी का शुभ मुहूर्त बताया गया है, जिसमें व्हीकल, प्रॉपर्टी, ज्वेलरी, फर्नीचर, इलेक्ट्रॉनिक सामान और अन्य चीजों की खरीदारी से लंबे समय तक फायदा मिलेगा। साथ ही किसी भी नई शुरुआत के लिए ये दिन बहुत अच्छा रहेगा। इस दिन जॉब जॉइन करना, बड़े लेन-देन या निवेश करना फायदेमंद रहेगा। श्रवण नक्षत्र होने से पूरा दिन व्हीकल खरीदारी के लिए बेहद शुभ रहेगा। (Rakshabandhan)

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक

रक्षाबंधन भाई-बहन के अटूट बंधन का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक राखी बांधते वक्त भाई का मुंह पूर्व दिशा की ओर और बहन का मुख पश्चिम दिशा में होना चाहिए। राखी बांधने के लिए सबसे पहले अपने भाई के माथे पर रोली-चंदन और अक्षत का टीका लगाएं। इसके बाद भाई को घी के दीपक से आरती करें। उसके बाद राखी बांधकर उनका मुंह मीठा कराएं। इसके बाद अगर संभव हो तो सप्रेम भोजन के लिए आग्रह करें। 11 अगस्त को भद्राकाल सुबह से रात 08 बजकर 51 मिनट तक है। हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्यास्त के बाद किसी भी शुभ कार्य की मनाही होती है। इसलिए बहनें भाई को न ही भद्राकाल में राखी बांध सकती हैं और न ही रात में। इसलिए कुछ पंडित 12 अगस्त को ही रक्षा बंधन मनाना शुभ मान रहे हैं। (Rakshabandhan)

इस समय बांधे अपने प्यारे भाई को राखी

इस त्योहार में सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधती हैं और उनसे रक्षा का वचन लेती हैं। फिर उनकी आरती उतार कर, तिलक लगाती हैं और भाईयों के सुख-समृद्धि और लंबी आयु की कामना करती हैं। राखी बंधवाने के बाद भाई अपनी बहनों को उपहार भी देते हैं। शास्त्रों की मानें तो हर बहन को अपने भाई की कलाई पर राखी बांधते समय इस मंत्र का उच्चारण करना चाहिए। 11 अगस्त को पूर्णिमा तिथि करीब 9:35 पर शुरू होगी, जो अगले दिन सुबह तकरीबन 7.16 तक रहेगी। वहीं गुरुवार को भद्रा सुबह 10.38 पर शुरू होगी और रात 8.25 पर खत्म होगी। इसलिए काशी विद्वत परिषद के साथ ही उज्जैन, हरिद्वार, पुरी और तिरुपति के विद्वानों का कहना है कि भद्रा का वास चाहे आकाश में रहे या स्वर्ग में, जब तक भद्रा काल पूरी तरह खत्म न हो जाए तब तक रक्षा बंधन नहीं करना चाहिए। इसलिए सभी ज्योतिषाचार्यों का एकमत होकर कहना है कि 11 अगस्त गुरुवार को रात 8.25 के बाद ही रक्षाबंधन मनाना चाहिए। (Rakshabandhan)

भद्रा काल के दौरान रक्षाबंधन और होलिका दहन अशुभ !

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि 11 अगस्त को भद्रा पाताल में रहेगी, जिसका धरती पर अशुभ असर नहीं होगा। इसलिए पूरे दिन रक्षाबंधन कर सकते हैं, लेकिन विद्वत परिषद का कहना है कि किसी भी ग्रंथ या पुराण में इस बात का जिक्र नहीं है। वहीं ऋषियों ने पूरे ही भद्रा काल के दौरान रक्षाबंधन और होलिका दहन करने को अशुभ बताया है। इसलिए भद्रा के वास पर विचार ना करते हुए इसे पूरी तरह बीत जाने पर ही राखी बांधना चाहिए। 12 तारीख को पूर्णिमा तिथि सुबह सिर्फ 2 घंटे तक ही होगी और प्रतिपदा के साथ रहेगी। इस योग में भी रक्षाबंधन करना निषेध है। विद्वानों का कहना है कि रक्षाबंधन के समय को लेकर ग्रंथों में प्रदोष काल को सबसे अच्छा माना गया है। यानी सूर्यास्त के बाद करीब ढाई घंटे का समय बहुत ही शुभ होता है। दीपावली पर इसी काल में लक्ष्मी पूजा की जाती है। साथ ही होलिका और रावण दहन भी प्रदोष काल में करने का विधान है। ज्योतिषों ने बताया कि इस समय किए गए काम का शुभ प्रभाव लंबे समय तक रहता है। (Rakshabandhan)

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