सुकमा में 21 साल बाद खुले राम मंदिर के कपाट, नक्सलियों ने करा दिया था बंद

Temple Reopened in Keralapenda: छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ दिनों से नक्सलवाद पर प्रभावी नियंत्रण हुआ है। दरअसल, सुकमा के नक्सल प्रभावित गांव में 2003 में नक्सलियों ने राम मंदिर को बंद करवा दिया था, जिसे CRPF ने फिर से खुलवा दिया है, जिससे पूरे गांव वाले खुश हैं। बता दें कि 21 साल के लंबे इंतजार के बाद भगवान राम के मंदिर के पट खुले हैं। यह मंदिर करीब 5 दशक पुराना है। यहां पर भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की संगमरमर की प्रतिमाएं स्थापित हैं। इस मंदिर को नक्सलियों ने बंद करा दिया था। जिले के चिंतलनार क्षेत्र के केरलापेंदा गांव में स्थित मंदिर CRPF के जवानों की मदद से खोला गया है। ग्रामीणों ने बताया कि 2003 में नक्सलियों ने बंद करने का फरमान सुनाया था। इसके बाद लाल आतंक बढ़ने लगा और मंदिर में पूजा-पाठ पूरी तरह से बंद हो गया।

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CRPF 74वीं बटालियन के जवानों के साथ ग्रामीणों ने मंदिर की साफ-सफाई की। ग्रामीणों के आग्रह पर जवानों की मौजूदगी में सामूहिक रूप से पूजा-अर्चना और आरती की गई। ग्रामीणों ने मंदिर के जीर्णोद्धार की इच्छा जताई है। इस पर अफसरों ने जल्द ही काम शुरू कराने का आश्वासन दिया है। मंदिर परिसर में ही ग्रामीणों के लिए CRPF जवानों ने मेडिकल कैंप भी लगाया है। यहां पर केंदापाल के साथ ही आसपास के ग्रामीण भी इलाज कराने के लिए पहुंचे। इस दौरान CRPF के डॉक्टर ने ग्रामीणों की जांच कर उन्हें दवाइयां दी। ग्रामीणों ने बताया कि नक्सलियों के डर से मंदिर तो बंद कर दिया गया था, लेकिन गांव के एक परिवार का सदस्य रोजाना छिपते-छिपाते पूजा-अर्चना करते रहे। हाल ही में पास के गांव लखापाल में CRPF का नया कैंप खुला है। (Temple Reopened in Keralapenda)

कैंप खुलने के बाद ग्रामीणों का हाल-चाल जानने जवान गांव आए तो उनसे फिर मंदिर खुलवाने का आग्रह किया। ग्रामीणों ने बताया कि 1970 में मंदिर की स्थापना बिहारी महाराज ने की थी। पूरा गांव इसके लिए 80 किलोमीटर दूर सुकमा से पैदल ही सीमेंट, पत्थर, बजरी, सरिया अपने सिर पर लेकर आए थे। इसमें गांव के सभी लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। ग्रामीणों ने बताया कि उस दौर में न सड़क हुआ करती थी, न ही समान लाने के लिए वाहनों की उपलब्धता थी। बताया जाता है कि मंदिर स्थापना के बाद पूरा क्षेत्र और गांव श्रीराम के भक्त बने और कंठी लगभग पूरे गांव के ग्रामीणों ने लिया। सबसे बड़ी बात की कंठी धारण करने के बाद व्यक्ति न ही मांस खा सकता है और न ही शराब का सेवन कर सकता है। (Temple Reopened in Keralapenda)

बता दें कि आदिवासी इलाके में पूरा गांव मांस-मदिरा और महुवा की बनी शराब का सेवन करता है। फिर भी सभी ने मांस मदिरा त्याग दिया। जानकारी के मुताबिक आज भी इस गांव मे लगभग 95 % पुरुष और महिलाएं मांस-मदिरा का सेवन नहीं करते हैं। केरलपेन्दा गांव में भगवान राम के इस मंदिर में हनुमान की छवि मंदिर के शिखर पर बनाई गई है। मंदिर देखने में काफी पुराना नजर आता है। मंदिर के अंदर भगवान राम लक्ष्मण और माता सीता की संगमरमर से बनी प्रतिमा स्थापित है। गांव वालों ने बताया कि उनके बचपन के समय यहां भव्य मेला लगा करता था। साधु-संन्यासी अयोध्या से आते थे। तब आसपास के गांवों के साथ ही जगदलपुर से भी काफी भक्त पहुंचते थे। (Temple Reopened in Keralapenda)

नक्सल प्रकोप बढ़ने और नक्सलियों ने पूजा-पाठ बंद कराया तो मेला भी बंद हो गया। इसके बाद नक्सलियों ने इस मंदिर को अपवित्र कर इसमें ताला मार दिया। इस गांव में एक पुजारी पारा है, जिसमें लगभग 25 घर हैं। वह परिवार इस मंदिर की पूजा-अर्चना और देखभाल किया करता था, लेकिन नक्सली फरमान के बाद मंदिर बंद होने के बाद आस-पास के जगह में घास-पेड़ उग गए थे। मंदिर की हालत जर्जर हो गई। वहीं डिप्टी CM विजय शर्मा ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि सुकमा जिले के केरलापेंदा गांव जहां करीब पांच दशक पहले श्री राम सीता माता और लक्ष्मण  की संगमरमर के मूर्तियों की स्थापना मंदिर बनवा कर किया गया था, लेकिन बस्तर के विकास विरोधियों ने मंदिर बंद करवा दिया था । 21 सालों के लंबे इंतजार के बाद मंदिर के खुले कपाट। (Temple Reopened in Keralapenda)

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