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इस राज्य में एक ऐसी भी सरपंच है, जो भीख मांग कर करती हैं परिवार का पालन पोषण, जाने क्या है पूरी सच्चाई

ओडिशा : गंजाम जिले की बढ़ापल्ली ग्राम पंचायत की सरपंच हेमा नायक द्वारा भीख मांग कर अपने परिवार का पालन-पोषण करने का मामला सामने आया है. हेमा नायक की उम्र 61 वर्ष है और वह दलित परिवार से आती हैं. नायक गंजाम जिले के खल्लीकोट ब्लॉक अंतर्गत बढ़ापल्ली ग्राम पंचायत की एक महिला सरपंच है. हेमा अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए गांव में भीख मांगने का काम करती है. सन 2017 में पंचायत चुनाव में दलित आरक्षित सीट होने पर हेमा नायक निर्विरोध चुनाव जीत गईं.

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गांव में हेमा अकेली दलित थी और चूंकि सरपंच की सीट दलित के लिए आरक्षित थी तो हेमा इसे निर्विरोध जीत गई और सरपंच बन गई थी. बढ़ापल्ली ग्राम पंचायत की सरपंच बनने के बाद भी हेमा के जीवन में कोई बदलाव नहीं आया. हेमा को सरपंच के तौर पर आधिकारिक रूप से प्रतिमाह केवल 2356 रुपया मिलता है. जिसके बाद भी उन्हें पहले की तरह पास के गांव मानिकपुर, महेश्वरपुर क्रश एवं अन्य गावों में भीख मांगनी पड़ती है. हालांकि बढ़ापल्ली के पंचायत अधिकारी के जोगेंद्र रेड्डी ने कहा कि हेमा से मैंने कई बार बातचीत कर उन्हें भीख मांगने से रोका है, लेकिन वह कुछ दिनों के बाद दोबारा भीख मांगने लगती हैं.

हेमा अपने पति, जो कि एक ग्राम पंचायत दफ्तर में चपरासी का काम करता है, बेटे और दो बहुओं के साथ उबड़- खाबड़ मकान में रहती हैं. हेमा के दोनों बेटे मजदूरी का काम करता है. हेमा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि मैं पिछले पांच सालों में 4-5 बार पंचायत दफ्तर में गई हूं. पंचायत दफ्तर में क्या काम होता है और एक सरपंच कैसे काम करती है, मैं इसके बारे में कुछ नहीं जानती हूं. साथ ही मुझे नहीं पता है कि मुझे कितना वेतन मिलता है. मेरे पति पंचायत दफ्तर से वेतन लाते हैं. वहीं एक स्थानीय निवासी ने कहा कि हमारी सरपंच को पंचायत के बारे में कोई जानकारी नहीं है. वह बस एक या दो शब्द लिखना जानती हैं.

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विकास पदाधिकारी मिताली पात्रा ने कहा कि सरपंच को भीख मांगने की जरुरत नहीं है. सरपंच को आधिकारिक रूप से मासिक वेतन दिया जाता है. साथ ही हेमा को इंदिरा आवास योजना के तहत एक घर दिया गया है. हम उनके भीख मांगने का कारण पता करने का प्रयास कर रहे हैं. हालांकि शनिवार को स्थानीय प्रशासन द्वारा जिला रेड क्रॉस फंड से सरपंच के खाते में 10,000 रुपया जमा किया गया.

राज्य सरकार द्वारा आधिकारिक रूप में एक निर्वाचित पंचायत सरपंच गांवों में कई विकासशील कार्यों के लिए जिम्मेदार है. जिसमें जल आपूर्ति का निर्माण, मरम्मत और रखरखाव, सार्वजनिक सड़कों पर रोशनी, सार्वजनिक संपत्तियों की सुरक्षा और भवन निर्माण की स्थापना शामिल होता है. सरपंच को सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास के लिए योजनाओं को लागू करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. बता दें कि पिछले साल कोविड महामारी के दौरान राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी ग्राम पंचायत के सरपंचों को अपने-अपने क्षेत्रों में कोविड-19 की व्यवस्था के लिए जिला कलेक्टरों की क्षमता प्रदान किया था.

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