रायपुर। छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ की महिलाऐं किसी से काम नहीं है, ये बात फिर एक बार उन्होंने साबित कर दी है। घर के काम निपटाने के बाद महिलाएं स्वसहायता समूह बनाकर स्वरोजगार कर आर्थिक तौर पर भी स्वावलंबी बन रही हैं। राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (बिहान) से जुड़ीं धमतरी जिले के कुरूद विकासखंड की गातापार की महिलाएं अपनी उद्यमिता से सफलता की नई इबारत लिख रही हैं।
कामधेनु कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह की महिलाओं ने वर्मी कंपोस्ट और केंचुआ उत्पादन का काम शुरू किया है। इतना ही नहीं इस काम के द्वारा छह महीनों में ही उन्होंने छह लाख रूपए की कमाई कर लीं। गांव में वर्मी कंपोस्ट निर्माण के लिए मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) से बनाए गए 30 टांकों ने उनकी सफलता की बुनियाद रखी। अपनी सीखने की ललक, हुनर और मेहनत से उन्होंने इसे परवान चढ़ाया।
सामान्य बचत से शुरूआत कर समूह के माध्यम से आत्मनिर्भर बनने वाली इन महिलाओं का सफर वित्तीय वर्ष 2020-21 में तब शुरू हुआ, जब पंचायत की पहल पर मनरेगा से गांव में आठ लाख रूपए की लागत से सामुदायिक वर्मी कम्पोस्ट इकाई का निर्माण हुआ। ग्राम पंचायत ने चरणबद्ध तरीके से 30 टांके बनवाएं।
टांके बनने के बाद वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन के लिए पंचायत ने तत्काल इन्हें कामधेनु कृषक अभिरूचि महिला स्वसहायता समूह को सौंप दिया। समूह ने इसी साल जैविक खाद बनाने का काम शुरू किया और पिछले छह महीनों में ही 295 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट की बिक्री कर एक लाख 33 हजार रूपए कमाए। जैविक खाद के साथ ही महिलाएं इसे तैयार करने में सहयोगी केंचुएं भी बेच रही हैं। बीते छह महीनों में 24 क्विंटल केंचुआ बेचकर महिलाओं ने चार लाख 62 हजार रूपए का शुद्ध मुनाफा कमाया है।