बलौदाबाजार:स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में बलौदाबाजार का नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। आजादी की लड़ाई के दौरान आज से 88 वर्ष पूर्व 26 नवंबर 1933 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी अपने द्वितीय छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान बलौदाबाजार नगर पहुँचे थे। उन्होंने इस दौरान पुरानी मंडी प्रांगण में विशाल जनसभा को संबोधित किया।
तत्पश्चात परिसर में ही स्थित कुएं से अनुसूचित जाति (दलित) युवक के हाथों पानी निकलवा कर पिया था। मंडी प्रांगण कार्यक्रम के पश्चात महात्मा गांधी जी पुरानी बस्ती स्थित प्राचीन मावली माता मंदिर के दर्शन किए। इसके बाद तत्कालीन जगन्नाथ मंदिर (वर्तमान गोपाल मंदिर) पहुंचे.जहां उन्होंने अपनें साथ आये हुए कुछ अनुसूचित जाति के लोगों के साथ मंदिर में प्रवेश कर पूजा अर्चना कर छुआ छूत के भेदभाव को दूर करनें का संदेश दिए। जिसकी चर्चा ना केवल प्रदेश में बल्कि देश मे भी हुई।
इस दौरान उनके साथ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रघुनाथ प्रसाद केसरवानी के अलावा मनोहर दास वैष्णव, पंडित लक्ष्मी प्रसाद तिवारी, पंडित महावीर प्रसाद,बलदेव प्रसाद पांडेय, राजेन्द्र कुमार वर्मा,देवी दास तिवारी, वीरेंद्र नाथ बेनर्जी, रामकुमार पांडेय समेत आदि मौजूद थे।
इस पूरे घटनाक्रम की स्मृतियां आज भी शहर मे मौजूद है। इस यात्रा के दौरान वे रायपुर से सारागांव, खरोरा, पलारी होते हुए 26 नवंबर 1933 को सड़क मार्ग से बलौदाबाजार पहुंचे थे।
पूरे घटनाक्रम को नजदीक से देखने वाले बलौदाबाजार के सदर बाजार निवासी 97 वर्षीय भगवती प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उस समय मेरी उम्र लगभग 10 वर्ष था। हम सभी दोस्त खेलते कूदते कार्यक्रम में पहुँच गये थे। वह बताते है कि बहुत भीड़ था, गांधी जी क्या बोले वह तो मुझें याद नही पर वह मंच में बने पाटा में दोनों हाथों को पीछे टेक कर बैठे थे।
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उन्होंने आगें कहा की उस दौरान बलौदाबाजार को बैल- बौधाबाजार के नाम से जाना जाता था। आज पूरा देश हर्षोल्लास के साथ आजादी के 75 वी वर्षगांठ को आजादी के अमृत महोत्सव के रूप में मना रहा है। उसमें बलौदाबाजार का भी योगदान भी उल्लेखनीय है।