भोपाल गैस त्रासदी पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, पीड़ितों को नहीं मिलेगा 7400 करोड़ का मुआवजा

Bhopal Gas Tragedy : भोपाल गैस त्रासदी (Bhopal Gas Tragedy) के पीड़ितों के लिए और ज्यादा मुआवजे की मांग करने वाली केंद्र सरकार की याचिका को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने खारिज कर दिया। 1984 की भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को अधिक मुआवजा देने के लिए यूनियन कार्बाइड कॉरपोरेशन (यूसीसी) की उत्तराधिकारी फर्मों से अतिरिक्त 7,844 करोड़ रुपये मांगने के लिए केंद्र सरकार ने याचिका दायर की थी।

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जस्टिस संजय किशन कौल की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ (constitution bench) ने मामले पर अपना फैसला सुनाया। भोपाल गैस पीड़ितों के लिए काम करने वाले संगठनों ने राज्य और केंद्र सरकार पर आकड़ों में गड़बड़ी के गंभीर आरोप लगाए हैं। सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई क्यूरेटिव याचिका का उद्देश्य ही यह है कि मुआवजा राशि नए सिरे से निर्धारित की जाए। इन याचिकाओं में गैस पीड़ित संगठन भी याचिकाकर्ता हैं।

क्या है Bhopal Gas Tragedy

1984 की भोपाल गैस त्रासदी को देश की सबसे भीषण औद्योगिक दुर्घटना माना जाता है। एक केमिकल फैक्‍ट्री से हुई जहरीली गैस के रिसाव से रात को सो रहे हजारों लोग हमेशा के लिए मौत की नींद सो गए। इतना ही नहीं, त्रासदी का असर लोगों की अगली पीढ़ियों तक ने भुगता, मगर सबसे दुखद बात ये है कि हादसे के जिम्‍मेदार आरोपी को कभी सजा नहीं हुई।

नींद में ही सो गए हजारों लोग

02 और 03 दिसंबर 1984 की रात, लगभग 45 टन खतरनाक गैस मिथाइल आइसोसाइनेट गैस एक कीटनाशक संयंत्र से लीक हुई थी। यह कंपनी अमेरिकी फर्म यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन की भारतीय सहायक कंपनी थी। गैस संयंत्र के आसपास घनी आबादी वाले इलाकों में फैल गई। जिससे हजारों लोगों की तुरंत ही मौत हो गई। लोगों के मरने पर इलाके में दहशत फैल गई और हजारों अन्य लोग भोपाल से भागने का प्रयास करने लगे।

Bhopal Gas Tragedy : 16 हजार से अधिक लोगों की मौत

मरने वालों की गिनती 16,000 से भी अधिक थी। करीब पांच लाख जीवित बचे लोगों को जहरीली गैस के संपर्क में आने के कारण सांस की समस्या, आंखों में जलन या अंधापन, और अन्य विकृतियों का सामना करना पड़ा। जांच में पता चला कि कम कर्मचारियों वाले संयंत्र में घटिया संचालन और सुरक्षा प्रक्रियाओं की कमी ने तबाही मचाई थी।

2010 में दाखिल की गई थी याचिका

हादसे के बाद यूनियन कार्बाइड कॉर्पोरेशन ने 470 मिलियन अमेरिकी डॉलर का मुआवजा दिया। हालांकि, पीडितों ने ज्‍यादा मुआवजे की मांग के साथ न्‍यायालय का दरवाजा खटखटाया था। केंद्र ने 1984 की त्रासदी के पीड़ितों को डाउ केमिकल्स से 7,844 करोड़ रुपये के अतिरिक्त मुआवजे की मांग की है। केंद्र ने मुआवजा बढ़ाने के लिए दिसंबर 2010 में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी।

Bhopal Gas Tragedy : एंडरसन को नहीं मिल सकी सजा

उस वक्‍त UCC के अध्‍यक्ष वॉरेन एंडरसन मामले के मुख्‍य आरोपी थे लेकिन मुकदमे के लिए पेश नहीं हुए। 01 फरवरी 1992 को भोपाल की कोर्ट ने एंडरसन को फरार घोषित कर दिया। इसके बाद अदालत ने एंडरसन के खिलाफ 1992 और 2009 में दो बार गैर-जमानती वारंट भी जारी किया, मगर उसकी गिरफ्तारी नहीं हो सकी। सितंबर, 2014 में एंडरसन की स्‍वाभाविक मौत हो गई और उसे कभी इस मामले में सजा नहीं भुगतनी पड़ी।

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सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई में क्या कहा

  • बेंच ने सुनवाई के दौरान केंद्र पर सवाल उठाते हुए कहा था कि किसी को भी त्रासदी की भयावहता पर संदेह नहीं है। फिर भी जहां मुआवजे का भुगतान किया गया है। वहां कुछ सवालिया निशान हैं। जब इस बात का आकलन किया गया कि आखिर इसके लिए कौन जिम्मेदार था।
  • कोर्ट ने कहा कि बेशक लोगों ने कष्ट झेला है। हमने पूछा था कि जब केंद्र सरकार ने पुनर्विचार याचिका दायर नहीं की है। तो क्यूरेटिव याचिका कैसे दाखिल कर सकते हैं। शायद इसे तकनीकी रूप से न देखें लेकिन हर विवाद का किसी न किसी बिंदु पर समापन होना चाहिए।
  • पीड़ितों के लिए अतिरिक्त मुआवजे की मांग करने वाली क्यूरेटिव याचिका पर आगे बढ़ते हुए मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना रुख साफ करते हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि के जरिए कहा कि पीड़ितों को अधर में नहीं छोड़ा जा सकता।

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