Chhattisgarh: 3 राष्ट्रीय लोक अदालतों के माध्यम से निपटे 11 लाख 78 हजार से ज्यादा केस, पढ़ें पूरी खबर

Bilaspur Highcourt State Meet: छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण और हाईकोर्ट के संयुक्त तत्वावधान में साल 2023 में आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों के मूल्यांकन और निष्पादन के लिए बिलासपुर हाईकोर्ट में स्टेट लेवल मीट का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के मुख्य संरक्षक रमेश सिन्हा थे। साथ ही विशिष्ट अतिथि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश और छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यकारी अध्यक्ष  गौतम भादुड़ी, छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के न्यायाधीश और हाईकोर्ट लीगल सर्विस कमिटी के चेयरमैन संजय के. अग्रवाल थे। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के न्यायाधीश उपस्थित थे।

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मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने न्यायिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा किए गए विशेष कार्यों के मूल्यांकन और 2023 में अब तक आयोजित राष्ट्रीय लोक अदालतों में प्रदर्शन की सराहना करने के लिए छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में पहली बार राज्य स्तरीय बैठक का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि लोक अदालतों की शुरुआत ने वैकल्पिक विवाद समाधान प्रणालियों के घटक के रूप में न सिर्फ एक नया अध्याय जोड़ा है, बल्कि देश की न्याय वितरण प्रणाली को एक नया आयाम प्रदान किया है। इससे पीड़ितों को उनके विवादों के संतोषजनक समाधान के लिए एक पूरक मंच मिला है। यह प्रणाली ग्राम स्वराज के गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित है और भारत के संविधान के अनुच्छेद 39 ए के प्रावधान को बढ़ावा देने और पूरा करने का प्रयास करती है, जिसका उद्देश्य सभी को समान न्याय और निशुल्क कानूनी सहायता प्रदान करना है। (Bilaspur Highcourt State Meet)

मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा ने कहा कि प्राचीन काल से ही यह मान्यता रही है कि विवाद को बिना न्यायालय का दरवाजा खटखटाए आपस में ही सुलझा लिया जाए। गांवों में, विवादों को हमेशा पंचायतों के पास भेजा जाता था, ताकि वे गांव में उत्पन्न होने वाले विवादों पर निर्णय ले सकें। पंचायत व्यवस्था में पंच-मध्यस्थ और पंचायत शब्द उतना ही पुराना है जितना भारतीय इतिहास। पंचायत (पंच) के सदस्य तब पीड़ित पक्षों को आम सहमति और समझौते पर लाने के लिए बातचीत मध्यस्थता के सिद्धांतों का इस्तेमाल करते थे। इसलिए यह कहा जा सकता है कि एडीआर की प्रक्रिया भारत में जमीनी स्तर पर भी एक प्राचीन प्रथा के रूप में प्रचलित है। एडीआर का लाभ मुकदमेबाजी में देरी से बचने के अलावा लागत में कमी है। (Bilaspur Highcourt State Meet)

तीन राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित

मुख्य न्यायाधीश सिन्हा ने बताया कि राज्य में तीन राष्ट्रीय लोक अदालतें आयोजित की गई हैं, जिनमें कुल 11,78,357 (ग्यारह लाख अठहत्तर हजार तीन सौ सत्तावन) प्रकरणों का निराकरण किया गया जिनमे से 10 लाख से ज्यादा केस प्री लिटिगेशन के थे। उन्होंने मामलों के निराकरण के लिए किए गए प्रयासों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि समय के साथ लोक अदालतों ने विवादों को प्रभावी और सौहार्दपूर्ण तरीके से निपटाकर लोगों का विश्वास हासिल किया है। प्रणाली में विश्वास बनाए रखने के लिए, लोक अदालत के प्रत्येक पीठासीन सदस्य के लिए यह अनिवार्य है कि वह न्याय, समानता और निष्पक्षता के सिद्धांतों के आधार पर एक सुलह समझौता लाने में ईमानदार प्रयास करे।

2009 में निर्धारित नियमों का पालन

विधिक सेवा प्राधिकरणों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि लोक अदालतों का संचालन करते समय राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण (लोक अदालत) विनियम, 2009 में निर्धारित नियमों का पालन किया जाए। सिन्हा ने लोक अदालतों के पीठासीन न्यायाधीशों की प्रतिबद्धता और समर्पण की सराहना की और उपलब्धियों के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह अंतिम मंजिल नहीं है, बल्कि हमें अभी लंबा रास्ता तय करना है। समर्पित और ईमानदार प्रयास, चाहे वे कितने भी छोटे क्यों न हों, वांछित परिणाम देते हैं। उन्होंने 9 दिसम्बर 2023 को आयोजित होने वाले आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत में अच्छे परिणामों के लिए भी प्रेरित किया। (Bilaspur Highcourt State Meet)

जवाबदेही के साथ-साथ उच्च स्तर की सत्यनिष्ठा

चीफ जस्टिस सिन्हा ने कहा कि न्यायपालिका से अनेक अपेक्षाएं हैं, फिर भी कुछ प्रमुख क्षेत्र हमारे ध्यान के योग्य हैं। सबसे पहले कानूनी सिद्धांतों की सटीक व्याख्या और अनुप्रयोग सुनिश्चित करने के लिए न्यायाधीशों के लिए कानून के बारे में अपना ज्ञान और समझ बढ़ाना महत्वपूर्ण है। दूसरे, न्यायाधीश को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि न्यायिक कार्यवाही त्वरित और समयबद्ध तरीके से संचालित हो। प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन, अनावश्यक स्थगन से बचना और प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान अपनाने से प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और न्याय वितरण में तेजी लाने में मदद मिल सकती है। उन्होंने कहा कि न्यायाधीशों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही के साथ-साथ उच्च स्तर की सत्यनिष्ठा और नैतिक आचरण बनाए रखना आवश्यक है।

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