Trending

Chitragupta Jayanti 2021: यमराज के खास सहयोगी हैं भगवान चित्रगुप्त, ऐसे हुई थी उनकी उत्पत्ति

चित्र गुप्त उत्त्पत्ति एवं कथा पूजा :

शुभ समय- 13:17-15:15 बजे, शेष समय उचित नहीं है।

ओम श्री चित्रगुप्ताय नमः

कायस्थ वर्ग में, अपने आराध्य देव चित्रगुप्त की पूजा और कलम-दवात पूजतने की परम्परा है। श्री चित्रगुप्तजी की उत्पत्ति ब्रह्माजी से हुई , सृष्टि सृजना के पश्चात पितामह ब्रह्मा ने धर्मराज को शुभाशुभ कर्मों का फल देने हेतु अधिकृत किया। धर्मराज की प्रार्थना पर विद्वान न्याय निष्ठ सहायक जो मनुष्य के कर्म लेख में दक्ष हो।

ब्रह्माजी ने ‘हाथ में कलम-दवात लिए विलक्षण तेजस्वी पुरुष की उत्पत्ति की। इस तेजस्वी पुरुष को बताया कि,तुम विचित्र रूप में मेरे चित्त में गुप्त रहे अतः तुम्हारा नाम चित्रगुप्त है। “तुम मेरी काया से तुम्हारी उत्पत्ति हुई , इसलिए तुम कायस्थ हो।

इसे भी पढ़े:भाई दूज शनिवार 6 नवम्बर 2021 : जानें पूजा मुहूर्त, यमद्वितीया की यह हैं पौराणिक कथा, पढ़ें पूरा लेख

चित्रगुप्तयम के सहायक एवं चूँकि इन का विवाह यमी से हुआ, वे यम के बहनोई भी हैं। यम और यमी सूर्य देव की जुड़वा संतान हैं। यमी ही बाद में यमुना के स्वरुप में पृथ्वी पर आ गईं। कायस्थ शब्द को कार्यस्थ का अपभ्रंश मान सकते हैं।

कार्यस्थ का शब्दश:

अर्थ : जिस पर सारा कार्य स्थिर (निर्भर) हो।’ श्री चित्रगुप्तजी गुप्त रहकर सृष्टि के क्रियाकर्म (पाप-पुण्य) का लेखा-जोखा रखते हैं व धर्मराज को न्याय करने में सहयोग देते हैं।

पद्मपुराण – परमपिता ब्रह्माजी की आज्ञा से श्री चित्रगुप्तजी तपस्या हेतु उज्जयिनी पधारे थे। श्रीचित्रगुप्त जी ने ज्वालामुखी देवी, चण्डी देवी और महिषासुर मर्दिनी की पूजा और और साधना की थी।। – श्री चित्रगुप्तजी का अत्यंत प्राचीन मंदिर भी है।

चित्र गुप्त कथा- (साभार)

सौदास नाम का एक राजा था। वह एक अन्यायी और अत्याचारी राजा था और उसके नाम पर कोई अच्छा काम नहीं था। एक दिन जब वह अपने राज्य में भटक रहा था तो उसका सामना एक ऐसे ब्राह्मण से हुआ जो पूजा कर रहा था। उनकी जिज्ञासा जगी और उन्होंने पूछा कि वह किसकी पूजा कर रहे हैं।

ब्राह्मण ने उत्तर दिया कि आज कार्तिक शुक्ल पक्ष का दूसरा दिन है और इसलिए मैं यमराज (मृत्यु और धर्म के देवता) और चित्रगुप्त (उनके मुनीम) की पूजा कर रहा हूं, उनकी पूजा नरक से मुक्ति प्रदान करने वाली है और आपके बुरे पापों को कम करती है। यह सुनकर सौदास ने भी अनुष्ठानों का पालन किया और पूजा की।

इसे भी पढ़े:प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जवानों के साथ दिवाली मनाने के लिए जम्मू कश्मीर के नौशेरा सेक्टर पहुंचे और वहां पर जवानों के साथ मुलाकात की

बाद में जब उनकी मृत्यु हुई तो उन्हें यमराज के पास ले जाया गया और उनके कर्मों की चित्रगुप्त ने जांच की।उन्होंने यमराज को सूचित किया कि यद्यपि राजा पापी है लेकिन उसने पूरी श्रद्धा और अनुष्ठान के साथ यम का पूजन किया है और इसलिए उसे नरक नहीं भेजा जा सकता।इस प्रकार राजा केवल एक दिन के लिए यह पूजा करने से, वह अपने सभी पापों से मुक्त हो गया।

Back to top button
error: Content is protected !!