Congress Party: आपसी गुटबाजी में ही उलझ गई कांग्रेस पार्टी, जानिए क्या है इसका कारण

Congress Party: देश में कांग्रेस पार्टी आपसी गुटबाजी में ही उलझ कर रह गई है। कांग्रेस PM नरेंद्र मोदी और BJP की चुनौती का सामना करने में नाकाम साबित हो रही है। कांग्रेस पार्टी अपने घर के झगड़ों की वजह से लगातार कमजोर होती जा रही है। ताजा मामला गोवा का है, जहां कांग्रेस के कुल 11 में से 6 विधायक छिटक चुके हैं। विधायक दल में टूट रोकने के लिए कांग्रेस आलाकमान ने माइकल लोबो को नेता विपक्ष के पद से हटा दिया है और डैमेज कंट्रोल के लिए महासचिव मुकुल वासनिक को गोवा भेजा गया है। इसके बाद भी गोवा कांग्रेस में बागियों की संख्या बढ़ने के आसार हैं।

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बता दें कि रविवार शाम को प्रभारी दिनेश गुंडुराव ने पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके विधायक दिगंबर कामत और माइकल लोबो पर दबाव और प्रलोभन के कारण BJP के साथ सांठगांठ का आरोप लगाया। इससे पहले 2019 में गोवा कांग्रेस के 15 में से 10 विधायक BJP में शामिल हो गए थे। शायद इसी वजह से 2022 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने उम्मीदवारों को धर्मस्थलों पर ले जाकर वफादारी की कसम तक खिलाई थी। कांग्रेस के गृहयुद्ध की कहानी गोवा तक सीमित नहीं है। महाराष्ट्र में उद्धव सरकार गिरने के कारण कांग्रेस एक और राज्य में विपक्ष में पहुंच गई और ऊपर से उसके 6 से ज्यादा विधायक बिदके हुए हैं, जिन्होंने पहले विधान परिषद चुनाव में क्रॉस वोटिंग की और इसके बाद नई सरकार के विश्वास मत की वोटिंग से गैर हाजिर रहे। (Congress Party)

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इधर, महीने भर पहले ही हरियाणा में पर्याप्त संख्या होने के बावजूद कांग्रेस अपने उम्मीदवार अजय माकन को राज्यसभा चुनाव नहीं जीता पाई। प्रदेश संगठन में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की पूछ बढ़ने से नाराज कुलदीप बिश्नोई BJP में शामिल होने वाले हैं। राज्यसभा चुनाव के महीने भर बाद भी कांग्रेस अजय माकन की हार की जिम्मेदारी तय नहीं कर पाई है ना ही उस विधायक पर कार्रवाई कर पाई है, जिसने अपना वोट रद्द करवाया। वहीं राजस्थान में जहां उसकी सरकार है वहां मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट में 36 का आंकड़ा है। (Congress Party)

पायलट ने की थी बगावत की कोशिश

साल 2020 में कुछ दिनों की बगावत के बाद पायलट घर लौट आए थे, लेकिन तब से गहलोत उन पर किसी ना किसी तरीके से निशाना साधते रहते हैं। हाल में ही केंद्रीय मंत्री गजेंद्र शेखावत के बहाने गहलोत ने पायलट के पुराने जख्मों पर नमक छिड़क दिया। इसके जवाब में पायलट ने जो बयान दिया उसका मतलब यही था कि वो गहलोत की बातों को गंभीरता से नहीं लेते। पायलट लगातार कांग्रेस आलाकमान पर उन्हें मुख्यमंत्री बनाए जाने का दबाव बना रहे हैं। कुल मिलाकर संदेश यही जा रहा है कि राज्य में कांग्रेस सरकार चलाने और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करने की बजाय गुटबाजी में ही उलझी है। राजस्थान की तरह जैसी स्थिति छत्तीसगढ़ में भी है, जहां मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की कुर्सी पर TS सिंह देव की नजर है। (Congress Party)

अंदरूनी झगड़े का कोई हल कांग्रेस के पास नहीं

साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस टेक ऑफ ही नहीं कर पाई है। युवा नेता हार्दिक पटेल अब बीजेपी में जा चुके हैं और बड़े सामाजिक नेता नरेश पटेल कांग्रेस में शामिल होने से इंकार कर चुके हैं जिन्हें मुख्यमंत्री उम्मीदवार बनाने तक ही चर्चा थी। गलत फैसलों और गुटबाजी के कारण को कांग्रेस पंजाब की सरकार तो गंवा ही चुकी है अब एक–एक कर उसके बड़े नेता बीजेपी में जा रहे हैं। गुटबाजी के कारण ही कांग्रेस बिहार और यूपी में नए प्रदेश अध्यक्ष का फैसला नहीं कर पा रही। कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी कर्नाटक में भी और कुल मिलाकर कहें तो केरल से लेकर कश्मीर तक फैली है। यही वजह है कि चुनाव में कांग्रेस नेता विरोधी से लड़ने की वजह आपस में लड़ते नजर आते हैं। कांग्रेस के सामने अब बीजेपी के साथ आम आदमी पार्टी की चुनौती भी खड़ी हो गई है। कांग्रेस ने उदयपुर चिंतन शिविर में तीन दिनों तक मंथन किया था, लेकिन लगता है कि गोवा, महाराष्ट्र, हरियाणा की कहानी बताती है कि अंदरूनी झगड़े का कोई हल कांग्रेस के पास नहीं है।

शिविर बना चिंता का विषय

राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस ने तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया गया था, जो कांग्रेस के लिए चिंता का विषय बन गया है। दरअसल, देश की सबसे पुरानी कांग्रेस पार्टी को बीते करीब एक महीने से लगातार झटके लग रहे हैं। बता दें कि कांग्रेस ने बीते महीने 13 से 15 मई तक चिंतन शिविर का आयोजन किया था, लेकिन पार्टी को इसका कोई फायदा नहीं मिला। आयोजन के दस दिन बाद ही कांग्रेस को झटके पर झटके लगने लगे और पार्टी इससे उबर नहीं पाई। UP, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद पार्टी में मंथन हुआ। चिंतन शिविर में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने पार्टी की मजबूती को लेकर कई सुझाव दिए, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका कोई असर नहीं हुआ। चिंतन शिविर के जरिए साल 2024 के लोकसभा चुनाव का रोड मैप तैयार करने वाली कांग्रेस में नेताओं के इस्तीफे का सिलसिला ऐसे ही जारी रहा तो प्रदेशों में उसके पास नामी चेहरों की कमी हो जाएगी। वर्तमान में सिर्फ दो राज्यों यानी राजस्थान और छत्तीसगढ़ में ही कांग्रेस की सरकार है। जबकि झारखंड में वह महज एक भागीदार है।

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