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रायपुर : कुछ साल पहले तक घरेलू व्यवसाय के क्षेत्र में महिलाएं ब्यूटी पार्लर और पापड़-अचार बनाने तक सीमित थीं। लेकिन अब उन्होंने शिल्प से लेकर वनोपज उत्पादों के निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कदम बढ़ाए हैं। गौठान, प्रसंस्करण केन्द्र और मल्टीयूटिलिटी सेंटर जैसे कई नए केन्द्रों के शुरू होने से महिलाओं के स्वावलंबन के लिए नई राहें तैयार हुई हैं।
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जिससे वे तेजी से आत्मनिर्भरता की ओर अपने कदम बढ़ा रही हैं। समूहों में संगठित होकर वनांचलों में महिलाएं वनोपजों के प्रसंस्करण से हर्बल उत्पाद और उनसे विभिन्न खाद्य सामग्री तैयार करने के साथ बांस शिल्प टेराकोटा, बेल मेटल शिल्प, गोबर से विभिन्न सजावटी सामान बनाकर आय अर्जित कर रही हैं, वहीं शहरों में महिला समूह मिलेट स्मार्ट फूड, कपड़ों के बैग, साबुन, अगरबत्ती जैसे कई सामान बनाकर विक्रय रहे हैं।
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पंचायत, नगरीय प्रशासन, महिला बाल विकास विभाग, वन विभाग सहित कई विभागों में राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई महिला सशक्तिकरण की योजनाओं से जुड़कर महिलाओं की न सिर्फ आमदनी बढ़ी है, बल्कि उन्होंने अपनी अलग पहचान बनायी है।
आय का नियमित साधन होने से उनके परिवार की आर्थिक-सामाजिक स्थिति में भी सुधार आ रहा है। इसकी बानगी महिलाओं की मजबूत उपस्थिति के रूप में हर तरफ दिखाई दे रही है।