रायपुर : सनातन धर्म में जिस तरह से सावन माह का अपना विशेष महत्व होता है ठीक इसी तरह से कार्तिक का माह भी बेहद पवित्र और शुभ माना जाता है। इसी क्रम में इस माह की पूर्णिमा याने कार्तिक पूर्णिमा एक बेहद पवित्र दिन है
ऐसे में इस दिन मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने हर तरह से पूजा-पाठ करने का विधान है। इस दिन दीपावली की तरह घर में दीए जलाने और मां लक्ष्मी की आराधना का विशेष महत्व है
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नॉनवेज और शराब
कार्तिक पूर्णिमा के दिन किसी से बहस न करें आप किसी के साथ अभद्र व्यवहार और अपशब्द ना कहें। इसके अलावा जहां तक हो इस दिन तामसी चीजों का सेवन ना करें, इस दिन नॉनवेज और शराब का सेवन करना जीवन में संकटों का बुलावा देता है इस बात का खास ध्यान रखें।
ये दिन दान और पुण्य प्रात्ति के लिए होता है ऐसे में इस दिन किसी असहाय या गरीब व्यक्ति का अपमान करना पुण्यों को नष्ट करने के लिए काफी है। इस पवित्र दिन नाखून और बाल काटने से भी बचना चाहिए अगर आप ऐसा करते हैं जीवन में परेशानियों को बुलावा देते हैं।
ये है शुभ मुहूर्त:
पूर्णिमा तिथि शुरू 18 नवंबर गुरुवार को दोपहर 12 बजे से। पूर्णिमा तिथि समाप्त 19 नवंबर शुक्रवार को दोपहर 02.26 मिनट पर। प्रदोष काल मुहूर्त 18 नवंबर शाम 05.09 से 07.47 मिनट तक। ज्ञात हो कि दीपावली के ठीक 15 दिनों बाद कार्तिक पूर्णिमा होती है।
कार्तिक पूर्णिमा का हिंदू धर्म में एक खास महत्व है, कार्तिक मास की पूर्णिमा को त्रिपुरारी पूर्णिमा नाम से भी जाना जाता है। इस बार कार्तिक पूर्णिमा शुक्रवार 19 नंवबर को है। कार्तिक पूर्णिमा को सभी पूर्णिमा में सबसे ज्यादा पवित्र और अहम माना गया है। इस दिन दीपावली की तरह ले घरों में दिए जलाए जाते हैं और पूजा पाठ किया जाता है।
कहते हैं कि इस पूर्णिमा पूजा पाठ से भगवान हमेशा प्रसन्न होते हैं। इस दिन भगवान भोलेनाथ ने त्रिपुरासुर राक्षस का अंत किया था इसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर खुशियां मनाई थी। इस दिन पूजा पाठ, दान आदि करने से खास पुण्य की प्राप्ति होती है।
विष्णु पुराण के मुताबिक कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था इस दिन पवित्र नदियों में स्नान किया जाता है, इसके अलावा भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है।