Kalicharan को हाईकोर्ट से मिली राहत, सरकार का कहना जमानत मिलने पर फैल सकती है सांप्रदायिकता

Kalicharan : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने वाले संत कालीचरण की जमानत याचिका पर हाईकोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई की। दोनों पक्षों की दलिले सुनने के बाद देर शाम अदालत ने कालीचरण को जमानत दे दी। इससे पहले जस्टिस अरविंद सिंह चंदेल की कोर्ट में उनके वकील ने बहस के दौरान कहा कि किताबों में लिखी हुई बातों पर सार्वजनिक बयान देना कोई अपराध नहीं है। कालीचरण 90 दिनों से जेल में बंद है और उनकी चार्जशीट भी पेश हो चुकी है। लिहाजा, जमानत उनका अधिकार है।
सरकारी वकील ने कहा कि कालीचरण को अपनी हरकतों पर कोई पछतावा नहीं है। वह जेल से बाहर आकर फिर से सांप्रदायिकता फैला सकता है। लिहाजा, उसे जमानत न दी जाए।
रायपुर की धर्म संसद में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के खिलाफ आपत्तिजनक बातें कर उन्हें गाली देने वाले संत कालीचरण पिछले तीन माह से जेल में हैं। निचली अदालत से जमानत अर्जी खारिज होने के बाद उनके वकील मेहुल जेठानी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की है। याचिका में बताया गया है कि कालीचरण के खिलाफ पुलिस ने बाद में राजद्रोह का केस दर्ज किया है। उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला नहीं बनता है।
बता दें कि कालीचरण महाराज को राजद्रोह के मामले में खजुराहो से गिरफ्तार करने के बाद 30 दिसंबर 2021 को कोर्ट में पेश किया था। साथ ही पूछताछ के लिए 2 दिन के रिमांड पर लिया गया था। लेकिन, पूछताछ एक दिन में पूरी करने के बाद न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी चेतना ठाकुर की अदालत में पेश कर 14 दिन के लिए जेल भेजा दिया गया था। इसके बाद पुलिस द्वारा दिए गए आवेदन के आधार पर न्यायिक रिमांड को लगातार बढ़ाया जा रहा है। वहीं कालीचरण बाबा को जमानत पर रिहा कराने के लिए हाईकोर्ट में आवेदन लगाया गया है। यह सुनवाई के लिए विचाराधीन है।
न्यायिक हिरासत की अवधि पूरी होने पर टिकरापारा पुलिस द्वारा न्यायिक मजिस्ट्रेट भूपेन्द्र वासनीकर की कोर्ट में आवेदन पेश किया गया था। इसमें विवेचना के लिए अतिरिक्त समय देने की मांग की गई थी। साथ ही बताया गया कि इस समय राजद्रोह मामले में जांच चल रही है। इसलिए न्यायिक हिरासत की अवधि को बढ़ाया जाए। कोर्ट ने इसे मंजूर करते हुए न्यायिक हिरासत की अवधि को पांचवी बार बढ़ा दिया है।
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