lumpy skin disease: पशुओं को लंपी स्कीन रोग से बचाने दिशा-निर्देश जारी, रिंग वैक्सीनेशन कराने के निर्देश

lumpy skin disease: पशुओं को लम्पी स्कीन रोग से बचाव के लिए संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं छत्तीसगढ़ ने विभाग के संयुक्त संचालकों एवं उप संचालकों को इस रोग के नियंत्रण एवं बचाव के संबंध में जारी दिशा-निर्देशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने को कहा है। लम्पी स्कीन रोक से संक्रमित पशुओं को स्वस्थ पशुओं से अलग रखने, अन्य राज्यों से पशुओं के आवागमन पर रोक लगाने के साथ ही वेक्टर नियंत्रण एवं संक्रमित ग्रामों के 5 किलोमीटर की परिधि में गोटपाक्स वैक्सीन से रिंग वैक्सीनेशन कराने के निर्देश दिए गए है। रोग ग्रस्त पशुओं से नमूना एकत्र कर राज्य स्तरीय रोग अन्वेषण प्रयोगशाला रायपुर को भिजवाने के भी हिदायत अधिकारियों को दी गई है।

यह भी पढ़ें:- Dog Owner News: अगर आप भी है कुत्ता मालिक तो ये खबर आपके लिए, इस वजह से आपको हो सकती है 3 साल तक जेल

लम्पी स्कीन रोक विषाणुजनित संक्रमित रोग है, जो रोगी पशु से स्वस्थ पशु में छूने एवं मच्छर व मक्खियों के माध्यम से फैलता है। इस रोग में बुखार के साथ पूरे शरीर पर छोटी-छोटी गुटली बन जाती है, जो बाद में घाव में तब्दील हो जाती है। लम्पी स्कीन रोग संक्रमण से दूधारू पशुओं की उत्पादन क्षमता, भार वाहक पशुओं की कार्य क्षमता एवं कम उम्र के पशुओं के शारीरिक विकास पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। परिणाम स्वरूप पशु पालकों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। (lumpy skin disease)

संचालक पशु चिकित्सा ने लम्पी स्कीन रोक के नियंत्रण के लिए राज्य सीमा से लगे क्षेत्रों में चेक पोस्ट लगाने तथा नियमित निगरानी के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि प्रदेश के 18 जिलों की सीमा अन्य राज्यों से जुड़ी हुई है। जहां से बीमार पशुओं के आवागमन की संभावना है। यह भी संभव है कि पशु व्यापारी द्वारा विक्रय के लिए राज्य में लाए गए पशु रोग ग्रस्त हो, इसको ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सीमावर्ती ग्रामों में प्राथमिकता के आधार पर चेक पोस्ट लगाकर नियमित चेकिंग सुनिश्चित की जाए तथा आसपास के गांवों में कोटवारों को भी इस संबंध में अलर्ट किया जाए। साथ ही इन गांवों में पशु मेला का आयोजन नहीं करने और पशु बिचौलियों पर भी निगरानी रखने के निर्देश दिए गए हैं। (lumpy skin disease)

संचालक पशु चिकित्सा ने जिलों में पदस्थ विभागीय अधिकारियों को प्रेषित अपने पत्र में लिखा है कि राजस्थान एवं गुजरात में गौवंशी पशुओं में लम्पी स्कीन रोग फैलने की जानकारी प्राप्त हुई है। छग राज्य के सभी जिलों में लम्पी स्कीन रोग नियंत्रण के लिए सतर्कता अनिवार्य है। उन्होंने इस रोग के नियंत्रण के लिए  रोग ग्रस्त पशुओं का उपचार एवं वेक्टर कंट्रोल के लिए आवश्यक औषधियों एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था भण्डार क्रय नियमों का पालन करते हुए इस वित्तीय साल में उपलब्ध बजट से करने के निर्देश दिए हैं। जिलों में आवश्यकतानुसार लम्पी स्कीन रोक के कंट्रोल हेतु गोट पाक्स वैक्सीन का क्रय इस वित्तीय वर्ष में औषधि हेतु प्रदाय बजट के 20 प्रतिशत राशि से करने को कहा है। (lumpy skin disease)

पशु चिकित्सा विभाग के जिला अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रों का नियमित भ्रमण करने एवं लम्पी स्कीन रोग के नियंत्रण के लिए जारी निर्देशों का कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं। रोग ग्रस्त पशुओं को स्वास्थ्य पशुओं से अलग रखने, रोग ग्रस्त जिले एवं रोग ग्रस्त ग्राम से समीपस्थ ग्रामों में गहन सर्वे एवं निगरानी सुनिश्चित करने चिकित्सकीय टीम तैनात करने के भी निर्देश दिए गए हैं। जिन क्षेत्रों में गौवंशीय एवं भैंसवंशीय पशुओं का पालन एक साथ किया जाता है, वहां भैंसवंशीय पशुओं को अलग रखने, पशुगृह का नियमित निर्जन्तुकरण करने, स्वस्थ पशुओं एवं पशुगृह/प्रक्षेत्र में नियमित जूं, किलनी नाशक दवा का छिड़काव करने को कहा गया है। (lumpy skin disease)

रोग ग्रस्त पशुओं के संपर्क में आने वालो व्यक्ति को हमेशा ग्लोब्स (दस्ताने) एवं मास्क पहनकर पशुओं के समीप जाना चाहिए। असामान्य बीमारी के लक्षण पाये जाने पर निकटस्थ पशु चिकित्सालय या पशु औषधालय में सूचना दिया जाये। पशुगृह एवं पशु प्रक्षेत्र से जुड़े सभी को स्वच्छता से जुड़े सभी कदम अपनाए। रोग ग्रस्त प्रक्षेत्र में पशु चिकित्सा दल द्वारा सभी स्वच्छता के कदम उठाते हुए नियमित दौरा तब तक किया जाये जब तक पशु पूर्णतः स्वास्थ्य ना हो जाए। रोग ग्रस्त पशु की मृत्यु होने पर उसे स्वच्छता के सभी नियमों का पालन करते हुये गहरे गड्ढे में चूना डालकर दफनाया जाए।

लम्पी स्कीन रोग ग्रस्त क्षेत्र के 10 किमी परिधि में आने वाले सभी पशु बाजारों को आगामी आदेश तक बंद करने के भी निर्देश दिए गए हैं। रोग ग्रस्त क्षेत्रों में पशु मेला, पशु प्रदर्शनी, पशु व्यापार पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने कहा गया है। यह रोग वेक्टर के माध्यम से फैलता है अतः पशुओं पर एवं पशुगृह/प्रेक्षत्र में वेक्टर नियंत्रण के लिए जूँ, किलनी नाशक छिड़काव करने तथा सघन जागरूकता अभियान संचालित करने के निर्देश दिए गए हैं।

Related Articles

Back to top button