जम्मू-कश्मीर को लेकर मोदी सरकार का बड़ा फैसला, उपराज्यपाल को दी दिल्ली के LG जैसी शक्तियां

Jammu and Kashmir में अब उपराज्यपाल की शक्तियां और ज्यादा बढ़ गई हैं। उन्हें अब दिल्ली के उपराज्यपाल जैसी शक्तियां दी गई हैं। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शनिवार को जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में संशोधन किया। इस संशोधन के बाद अब जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल दिल्ली के एलजी की तरह अधिकारियों के ट्रांसफर पोस्टिंग जैसे फैसले कर पाएंगे।

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एलजी को क्या-क्या मिलेगी पावर
गृहमंत्रालय के फैसले के बाद अब जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) के उपराज्यपाल की प्रशासनिक भूमिका का दायरे बढ़ जाएगा। इस संशोधन के बाद उपराज्यपाल को अब पुलिस, कानून व्यवस्था, एआईएस से जुड़े मामलों में ज्यादा अधिकार होंगे।

पहले, एआईएस से जुड़े मामलों (जिनमें वित्त विभाग की सहमति जरूरी होती थी) और उनके तबादलों और नियुक्तियों के लिए वित्त विभाग की मंजूरी जरूरी थी। लेकिन अब उपराज्यपाल को इन मामलों में भी ज्यादा अधिकार मिल गए हैं। इसके अलावा अब महाधिवक्ता, कानून अधिकारियों की नियुक्ति और मुकदमा चलाने की अनुमति देने या इनकार करने या अपील दायर करने से संबंधित प्रस्ताव पहले उपराज्यपाल के सामने रखे जाएंगे।

बता दें कि मनोज सिन्हा अगस्त 2020 से जम्मू और कश्मीर (Jammu and Kashmir) के उपराज्यपाल हैं। 5 अगस्त 2019 को, जम्मू और कश्मीर को संविधान के अनुच्छेद 370 के तहत दिए गए विशेष दर्जे को खत्म कर दिया गया था और पूर्व राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू और कश्मीर और लद्दाख में विभाजित कर दिया गया था, जिसमें लद्दाख में विधानसभा नहीं है। जून 2018 से जम्मू और कश्मीर केंद्र सरकार के शासन के अधीन है। सरकार ने कहा है कि विधानसभा चुनाव होने के बाद राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को 30 सितंबर 2024 से पहले जम्मू और कश्मीर विधानसभा के लिए चुनाव कराने का आदेश दिया है।

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