Monkeypox Alert: मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट पर केंद्र सरकार, जारी किया गाइडलाइन
Monkeypox Alert: भारत में कोरोना के बाद अब मंकीपॉक्स का खतरा मंडराने लगा है, जिसे लेकर केंद्र सरकार अब अलर्ट मोड पर आ गई है। देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों को देखते हुए केंद्र सरकार ने जरूरी गाइडलाइन जारी की हैं, इनमें 21 दिनों का आइसोलेशन और ट्रिपल लेयर का मास्क पहनना शामिल है। इसके अलावा सरकार ने मंकीपॉक्स की जांच के लिए टेस्टिंग किट और वैक्सीन बनाने के लिए टेंडर निकाला है। 10 अगस्त तक वैक्सीन कंपनियां अप्लाई कर सकती हैं। WHO के चीफ टेड्रोस ने कहा कि इस वायरस से सबसे ज्यादा वे पुरुष प्रभावित हो रहे हैं, जो पुरुषों के साथ यौन संबंध बनाते हैं। मंकीपॉक्स से बचने के लिए जरुरी है कि पुरुष अपने सेक्सुअल पार्टनर सीमित करें।
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बता दें कि भारत में अब तक मंकीपॉक्स के 4 केस सामने आ चुके हैं। इनमें से 3 मरीज केरल और 1 दिल्ली में मिला है। अब तक 4 संदिग्ध केस भी सामने आ चुके हैं। सभी के सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी पुणे भेज दिए गए हैं। केंद्र सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक मंकीपॉक्स संक्रमित रोगी को 21 दिन तक क्वारंटाइन रहना होगा। चेहरे पर मास्क पहनने के साथ-साथ हाथों को धोते रहें। मास्क तीन लेयर वाला पहनना चाहिए। घावों को पूरी तरह से ढककर रखें। पूरी तरह से ठीक होने तक अस्पताल में रहना होगा। अस्पताल के वार्ड में भर्ती संक्रमित रोगी या फिर संदिग्ध रोगी की किसी भी दूषित चीजों के संपर्क में आने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को तब तक ड्यूटी से बाहर नहीं करना है, जब तक उनमें कोई लक्षण विकसित न हो। हालांकि ऐसे स्वास्थ्य कर्मचारियों की 21 दिन तक निगरानी बहुत जरूरी है। (Monkeypox Alert)
मंकीपॉक्स के लिए डाइग्नोस्टिक किट्स तैयार करने के निर्देश
वहीं मंकीपॉक्स मरीज के संपर्क में आने, उससे शारीरिक संपर्क बनाने या फिर उसके आसपास दूषित चीजों जैसे कपड़े, बिस्तर आदि के संपर्क में आने पर संक्रमण फैल सकता है। इससे बचना बहुत जरूरी है। मंकीपॉक्स से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने वैक्सीन मेकर कंपनियों से कहा है कि वो सबसे पहले मंकीपॉक्स के लिए डाइग्नोस्टिक किट्स तैयार करें, ताकि इस रोग की पहचान जल्द और सटीक हो सके। इसके साथ ही बीमारी से निपटने के लिए वैक्सीन भी तैयार करना जरूरी है। इस पर भी तेजी से काम किया जाए। इसके लिए ICMR ने कंपनियों से प्रस्ताव भी मांगे हैं। देश में मंकीपॉक्स का पहला केस 14 जुलाई को केरल के कोल्लम में मिला था। इसके बाद केरल में ही 18 और 22 जुलाई को दूसरे और तीसरे केस की पुष्टि हुई थी। ये तीनों मरीज खाड़ी देशों से लौटे थे। (Monkeypox Alert)
UP और दिल्ली में 4 संदिग्धों की पहचान
25 जुलाई को दिल्ली में चौथे केस की पुष्टि हुई। हालांकि इस मरीज की कोई ट्रेवल हिस्ट्री नहीं है। वह मनाली से पार्टी करके लौटा था। वहीं अब तक तेलंगाना, बिहार, UP और दिल्ली में 4 संदिग्धों की पहचान की गई है। इनके सैंपल पुणे के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी भेज दिए गए हैं। उत्तराखंड में डेंगू और मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। ऐसे लोगों पर निगरानी रखने के लिए कहा गया है, जो केरल या प्रभावित देशों से राज्य पहुंच रहे हैं। दिल्ली आने वाले संदिग्ध मरीजों को LNJP अस्पताल भेजा जाएगा, जहां मंकीपॉक्स के मरीजों के लिए अलग से वॉर्ड बनाया गया है। UP में भी मंकीपॉक्स को लेकर अलर्ट जारी कर दिया गया है। सरकार का कहना है कि पड़ोसी राज्यों में केस मिलने के बाद सतर्क रहने की जरूरत है। (Monkeypox Alert)
भारत समेत 80 देशों में 20 हजार 710 मरीजों की पुष्टि
इधर, MP में भी हेल्थ मिनिस्टर प्रभु राम चौधरी ने अलर्ट जारी कर दिया है। बिहार के स्वास्थ्य विभाग ने मंकीपॉक्स को लेकर सभी जिलों के लिए अलर्ट जारी कर दिया है। आंकड़ों के मुताबिक भारत समेत 80 देशों में 20 हजार 710 मरीजों की पुष्टि हो चुकी है। इनमें से यूरोप में सबसे ज्यादा करीब 12 हजार लोग मंकीपॉक्स की चपेट में आए हैं। वहीं बीमारी से ग्रस्त टॉप 10 देशों में ब्रिटेन, स्पेन, अमेरिका, जर्मनी, फ्रांस, पुर्तगाल, कनाडा, नीदरलैंड्स, इटली और बेल्जियम शामिल हैं। मंकीपॉक्स से इस साल 3 लोगों की मौत हो चुकी है। WHO ने मंकीपॉक्स को लेकर पूरी दुनिया में हेल्थ इमरजेंसी घोषित की है। WHO ने कहा कि ये बीमारी मरीज से स्किन टु स्किन कॉन्टैक्ट करने से या फिर उसे खाना खिलाने से भी फैलती है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के कपड़े, बर्तन और बिस्तर छूने से भी मंकीपॉक्स फैल सकता है।
छत्तीसगढ़ के कांकेर और दुर्ग में भी मिले संदिग्ध
छत्तीसगढ़ के कांकेर और दुर्ग जिले में भी मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीज मिले हैं। कांकेर के रहने वाले 13 साल के छात्र को करीब डेढ़ महीने पहले से ही स्किन इंफेक्शन था। छात्र का उसके कांकेर स्थित गांव में ही एक प्राइवेट क्लीनिक से उपचार कराया गया था। इसके बाद छात्र को आराम तो मिला, लेकिन पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था। फिर इसी माह 10 जुलाई को छात्र को रायपुर के पुरानी बस्ती स्थित जैतूसाव मठ की संस्कृत पाठशाला में पढ़ने के लिए भेज दिया गया है। छात्र की सैंपल रिपोर्ट पुणे से दो दिन में आएगी, इसके बाद ही स्पष्ट होगा। दूसरी ओर छात्र के चरामा विकासखंड स्थित गांव समेत प्रदेश भर में हड़कंप मचा हुआ है। छात्र के मिलने के बाद स्वास्थ्य विभाग का अमला उसके गांव पहुंच गया।
लोगों की घर-घर जाकर जांच
स्वास्थ्य विभाग की स्पेशल टीम कांटेक्ट ट्रेसिंग कर रही है। इस दौरान छात्र की मां, दादा और बहन के अलावा परिवार के अन्य सदस्य और आसपास के लोगों समेत कुल 13 लोगों की जांच की गई। हालांकि किसी में भी इस तरह के लक्षण दिखाई नहीं दिए हैं। गांव में बुधवार को स्वास्थ्य शिविर भी लगाया गया था और लोगों की घर-घर जाकर जांच की गई। देर रात तक स्वास्थ्य विभाग की टीम आधे से अधिक गांव में पहुंच चुकी थी, लेकिन अब तक किसी में लक्षण नहीं मिले हैं। वहीं 28 जुलाई गुरुवार को हरेली त्योहार को देखते हुए टीम ने जांच रोक दी है। टीम के अनुसार अगर कोई ग्रामीण छूट गया होगा तो उसकी 30 जुलाई को फिर से जांच की जाएगी। छात्र अपने गांव में जिन लोगों से मिला है उनकी भी हिस्ट्री ली जा रही है। अब तक उनके सैंपल नहीं लिए गए हैं, लेकिन उनके सहित पास के गांव के लोगों के भी स्वास्थ्य पर नजर रखी जा रही है। छात्र गरीब परिवार का है। पिता की मौत हो चुकी है। घर में मां के अलावा बहन और दादा रहते हैं। छात्र की मां ने उसे संस्कृत शिक्षा दिलाने इसी साल 10 जुलाई को रायपुर भेजा था। (Monkeypox Alert)
डेढ़ माह पहले उसके शरीर में लाल चकत्ते पड़े
रायपुर आने के डेढ़ माह पहले उसके शरीर में लाल चकत्ते पड़ गए थे। उसकी मां ने स्थानीय स्तर पर प्राइवेट क्लीनिक में जांच कराई थी। डाक्टर ने उसे दवाइयां लिखी थी, जिसे खाने के बाद उसे आराम मिला था, लेकिन इंफेक्शन पूरी तरह खत्म नहीं हुआ। परिजनों का कहना है कि रायपुर जाने के बाद फिर से वह उभर गया। छात्र जैतूसाव मठ के छात्रावास में ही रहता है। चार दिन पहले उसके शरीर पर लाल दाने दिखाई दिए। सोमवार को उसे जिला अस्पताल के चर्म रोग विभाग की ओपीडी में दिखाया गया। वहां मंकीपॉक्स संदिग्ध मानकर डॉक्टरों ने मेडिकल कॉलेज जाने को कहा। मंगलवार को उसे मेडिकल कॉलेज से संबद्ध डॉ. भीमराव आम्बेडकर अस्पताल में दिखाया गया। यहां शुरुआती जांच के बाद डॉक्टरों ने बच्चे को रोक लिया। उसे आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया। इसकी जानकारी राज्य स्तरीय सर्विलेंस टीम को दी गई। BMO चारामा ओपी शंखवार ने बताया गांव में कांटेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। अब तक किसी में कोई लक्षण नहीं दिखे हैं। छात्र की रिपोर्ट आने पर ही स्पष्ट होगा उसे किस चीज का इंफेक्शन है। छात्र की कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं है। वह गांव से बाहर ही नहीं गया है। न ही उससे कोई मिला है। फिर भी अगर किसी ग्रामीण में कोई लक्षण दिखता है तो तत्काल सूचना स्वास्थ्य विभाग को दें। बता दें कि मंकीपॉक्स के मरीज भी तेजी से बढ़ रहे हैं। (Monkeypox Alert)