Nadda in Rajya Sabha: भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री JP नड्डा ने राज्यसभा में भाषण दिया। उन्होंने कहा कि मैं हमारे संविधान निर्माताओं को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने गहन चिंतन और विचार-विमर्श के माध्यम से हमें यह मूलभूत दस्तावेज तैयार किया और उपहार में दिया। हमारा राष्ट्र उनके योगदान के लिए सदैव आभारी रहेगा। हमारे संविधान को आकार देने में संविधान सभा की महान भूमिका को देश हमेशा स्वीकार करेगा। हम जानते हैं कि लोकतंत्र में स्वतंत्रता, स्वीकार्यता, समानता, समाज की समावेशिता शामिल है और यह आम नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण और सम्मानजनक जीवन जीने की अनुमति देता है। हम इसी दृष्टिकोण के प्रति समर्पित हैं।
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केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि ये जो त्योहार हम मनाते हैं, ये एक प्रकार से संविधान के प्रति हमारे समर्पण को, संविधान के प्रति हमारी प्रतिबद्धता को मजबूती प्रदान करता है। मुझे विश्वास है कि हम इस अवसर का सदुपयोग राष्ट्रीय लक्ष्य की पूर्ति में करेंगे। हम सभी जानते हैं कि भारत सबसे बड़ा लोकतंत्र है, लेकिन जैसा कि हमारे प्रधानमंत्री ने कहा कि यह न सिर्फ सबसे बड़ा लोकतंत्र है, बल्कि यह लोकतंत्र की जननी है। जब हम संस्कृति की बात करते हैं तो कई लोगों को लगता है कि हम प्रगतिशील नहीं हैं। मैं उनका ध्यान दिलाना चाहता हूं कि संविधान की मूल प्रति पर अजंता और एलोरा की गुफाओं की छाप भी थी। इस पर हमें कमल की छाप भी दिखाई देती है। (Nadda in Rajya Sabha)
लोकतंत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे: नड्डा
राज्यसभा में केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि कमल इस बात को दर्शाता है कि कीचड़ और दलदल से निकलकर आज़ादी की लड़ाई के बाद हम एक नई सुबह के साथ नए संविधान के साथ खड़े होने के लिए तैयार हैं इसीलिए हमारा संविधान भी हमें कमल से प्रेरणा देता है कि तमाम परेशानियों के बावजूद भी हम लोकतंत्र को मजबूत करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। उन्होंने कहा कि तत्कालीन गृहमंत्री सरदार पटेल को देश को एकजुट करने का काम सौंपा गया था और मुझे बहुत खुशी हुई कि लंबे समय के बाद मैंने कांग्रेस की ओर से भी सरदार पटेल का नाम सुना। बहुत दिनों के बाद मैंने कांग्रेस के लोगों को महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के बारे में बोलते हुए सुना। उन्होंने 562 रियासतों को एकजुट किया और जम्मू-कश्मीर को तत्कालीन प्रधानमंत्री के लिए छोड़ दिया। (Nadda in Rajya Sabha)
जम्मू में कोई पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता था: नड्डा
नड्डा ने कहा कि ये 35(A) डिफाइन करता था कि जम्मू कश्मीर में कौन जम्मू कश्मीर का नागरिक होगा। जम्मू कश्मीर में जो 1944 से पहले रहा करते थे वही लोग राज्य के नागरिक होंगे और किसी को राज्य की नागरिकता नहीं दी जाएगी। न ही सिर्फ अनुच्छेद 370 आई, बल्कि संसद में चर्चा किए बिना अनुच्छेद-370 में राष्ट्रपति के आदेश के माध्यम से 35(A) लाया गया। आज कल प्रजातंत्र की बहुत चर्चा होती है। आप (कांग्रेस) अनुच्छेद-370 में राष्ट्रपति आदेश के माध्यम से 35(A) लाते हैं और उस पर चर्चा तक नहीं करते हैं। विशेष रूप से हमारे देश में तीन प्रधानमंत्री/उप प्रधानमंत्री हुए हैं, जो पश्चिमी पाकिस्तान से आए थे- मनमोहन सिंह, इंद्र कुमार गुजराल और एल.के. आडवाणी, जो क्रमशः प्रधानमंत्री और उप प्रधानमंत्री बने। हालांकि यह जानकर आश्चर्य हुआ कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में पंचायत चुनाव नहीं लड़ सकता था या विधानसभा का सदस्य नहीं बन सकता था। (Nadda in Rajya Sabha)
आपातकाल क्यों लगाया गया?: JP नड्डा
उन्होंने कहा कि यह हमारे संविधान के अनुच्छेद 370 के कारण था। यह संविधान के अनुच्छेद 370 द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और सीमाओं के कारण था। अब वे इसे वापस लाने की मांग कर रहे हैं। मैं पूछता हूं क्यों? आपातकाल क्यों लगाया गया? देश को खतरा था क्या? नहीं… देश को खतरा नहीं था, कुर्सी को खतरा था। जिसके लिए पूरे देश को अंधकार में डाल दिया गया। यह विडंबना है कि जो लोग अब मीडिया को “गोदी मीडिया” कहते हैं, वे वही लोग हैं जिन्होंने पत्रकारों के बलिदान को लगातार कमतर किया है। वे आसानी से उन लोगों के संघर्षों को भूल जाते हैं जिन्होंने प्रेस की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़ी। सत्य और पारदर्शिता के प्रति मीडिया की प्रतिबद्धता ही लोकतंत्र की भावना को प्रदर्शित करती है। “गोदी मीडिया” की धारणा उन साहसी पत्रकारों के साथ घोर अन्याय है जिन्होंने सच्चाई को बनाए रखने के लिए अपना सब कुछ जोखिम में डाल दिया है। (Nadda in Rajya Sabha)
कांग्रेस ने संविधान के साथ छेड़छाड़ की: नड्डा
नड्डा ने कहा कि इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन के 1975 के संपादकीय पर एक नज़र डालने से उस मीडिया परिदृश्य की वास्तविकता का पता चलता है जिसे चुप कराने से इनकार कर दिया गया था। आपातकाल के दौरान लगाए गए दमनकारी सेंसरशिप के बावजूद, ये प्रकाशन अपनी अखंडता से समझौता करने से इनकार करते हुए मजबूती से खड़े रहे। आज कल इस बात की चर्चा होती है कि मीडिया का गला घोटा जा रहा है। अरे, आपको मालूम नहीं है मीडिया की तपस्या। आप इंडियन एक्सप्रेस और स्टेट्समैन के संपादकीय निकाल कर देखिए… संपादकीय रिक्त हैं रिक्त…. हम स्व. रामनाथ गोयनका जी को भूल नहीं सकते, जिन्होंने इंदिरा गांधी जी को कहा था कि लोटा लेकर आया था, लोटा लेकर चला जाऊंगा प्रजातंत्र की रक्षा के लिए जीवन समर्पित कर दूंगा। कांग्रेस ने संविधान की प्रस्तावना के साथ भी छेड़छाड़ कर दी। उसमें सेक्युलर और सोशलिस्ट शब्द जोड़ दिया। (Nadda in Rajya Sabha)
कानूनी और संवैधानिक प्रश्न खड़े हो गए: नड्डा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर आपने (कांग्रेस) संविधान पढ़ा होता और संविधान निर्माताओं की आकांक्षाओं को समझा होता तो आपने नहीं जोड़ा होता। क्योंकि डॉ. अंबेडकर ने लिखा है कि भारत का संविधान पूरी तरह सेक्युलर है, इसमें सेक्युलर टर्म जोड़ने की कोई जरूरत नहीं है। आज आप ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का विरोध कर रहे हैं, लेकिन आप की वजह से ही ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ लाना पड़ रहा है। 1952 से 1967 तक, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ था, लेकिन आपने (कांग्रेस) आर्टिकल 356 लगाकर राज्यों की चुनी हुई सरकारों को बार बार गिराकर चुनाव की स्थिति ला दी। कच्चाथीवू द्वीप श्रीलंका को सौंपे जाने से पहले तमिलनाडु के अधिकार क्षेत्र में था। 1974 में इसे एकतरफा रूप से श्रीलंका को दे दिया गया और हस्तांतरण को भारत के संविधान में संशोधन किए बिना निष्पादित किया गया, जिससे महत्वपूर्ण कानूनी और संवैधानिक प्रश्न खड़े हो गए। (Nadda in Rajya Sabha)
कांग्रेस ने संविधान का उल्लंघन किया: नड्डा
बीजेपी अध्यक्ष ने कहा कि यह कदम भारतीय संविधान के अनुच्छेद 1 का सरासर उल्लंघन था। कांग्रेस ने न केवल देश की संप्रभुता से समझौता किया बल्कि संविधान का भी उल्लंघन किया। यह बेहद शर्मनाक है। कांग्रेस तो असम को एक तरीके से दे चुके थे। जवाहर लाल नेहरू ने कहा था कि मेरा दिल असम के लोगों के साथ है। आज आप (कांग्रेस) प्रजातंत्र के चैंपियन बनते हैं। किसान के बेटे और इसी समुदाय से आने वाले प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की सरकार को गिराकर कांग्रेस ने पिछड़े वर्ग के खिलाफ अन्याय किया। इसके अलावा कांग्रेस ने देवेगौड़ा और अध्यक्ष धनखड़ जैसे उल्लेखनीय नेताओं को अपमानित किया। यह इतिहास पिछड़े वर्ग को न्याय दिलाने में कांग्रेस की लगातार विफलता को उजागर करता है और उन लोगों के पाखंड को उजागर करता है, जो उनके हितों का समर्थन करने का दावा करते हैं। (Nadda in Rajya Sabha)