न्यूज़ डेस्क
कोरोना महामारी के खिलाफ देश में चल रहे टीकाकरण अभियान को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एक और वैक्सीन जुड़ गई है। शुक्रवार को केंद्र सरकार ने स्वदेशी कंपनी फार्मा कंपनी जायडस कैडिला की कोविड वैक्सीन ZyCoV-D के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है।
शुक्रवार को ड्रग्स कंट्रोल जनरल ऑफ इंडिया की एक्सपर्ट कमेटी ने ZyCoV-D को इमरजेंसी यूज की मंजूरी दे दी है। हालांकि, कमेटी ने फार्मा कंपनी जायडस कैडिला से वैक्सीन के 2 डोज के प्रभाव का अतिरिक्त डेटा मांगी है। सबसे खास बात कि जायडस कैडिला की यह वैक्सीन 3 डोज वाली है और उससे भी अधिक महत्वपूर्ण बात ये है कि ZyCoV-D सुई रहित वैक्सीन है।
बता दें कि गुजरात के अहमदाबाद स्थित जेनेरिक दवा कंपनी कैडिला हेल्थकेयर लिमिटेड ने ZyCoV-D के बीते 1 जुलाई को अपने वैक्सीन की इमरजेंसी यूज की अनुमति के लिए आवेदन किया था। कंपनी नेये आवेदन 28 हजार वॉलंटियर्स पर किए गए आखिरी स्टेज के ट्रायल के आधार पर किया था।
ट्रायल में ये पाया गया था कि वैक्सीन का एफिकेसी रेट 66.6 प्रतिशत है। वहीं ट्रायल के बाद ये भी दावा किया गया था कि यह वैक्सीन 12 से 18 आयु वर्ग के लिए पूरी तरह सुरक्षित है। हालांकि, जानकारी के अनुसार, अभी तक ZyCoV-D के ट्रायल डेटा का पीयर रिव्यू नहीं किया गया है।
अब तक पांच वैक्सीन को मिल चुकी है मंजूरी
आपको बता दें कि देश में 16 जनवरी 2021 से टीकाकरण अभियान की शुरुआत की गई थी। तब से लेकर अब तक पांच वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी जा चुकी है। जायडस कैडिला की वैक्सीन पांचवीं वैक्सीन है। इससे पहले जिन चार अन्य वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है उनमें कोविशील्ड, भारत बायोटेक के कोवैक्सिन, रूस के स्पुतनिक वी और यूएस-निर्मित मॉडर्ना शामिल है।
दुनिया की पहली DNA कोविड वैक्सीन है ZyCoV-D
बता दें कि भारत में जायडस कैडिला की ZyCoV-D वैक्सीन के आपात इस्तेमाल की अनुमति मिलने के साथ ही यह किसी भी देश में मंजूरी पाने वाला दुनिया का पहला डीएनए वैक्सीन बन गया है।
कंपनी ने भारत में अब तक 50 से अधिक केंद्रों में अपने COVID-19 वैक्सीन के लिए सबसे बड़ा क्लिनिकल परीक्षण किया है। यह भी पहली बार था कि भारत में 12-18 वर्ष आयु वर्ग में किशोर आबादी में किसी भी COVID-19 वैक्सीन का परीक्षण किया गया है।
कंपनी का दावा है कि वैक्सीन कोविड मामलों के खिलाफ 66.6 फीसदी और मध्यम बीमारी के लिए 100 फीसदी प्रभावकारी है। यह एक इंट्राडर्मल वैक्सीन है, जिसे ‘सुई-मुक्त इंजेक्टर’ का उपयोग करके लगाया जाता है। Zydus का दावा है कि सुई मुक्त प्रणाली से साइड इफेक्ट में उल्लेखनीय कमी आ सकती है। बता दें कि सुई के डर की वजह से भी कई लोग टीका नहीं लगवा रहे हैं, ऐसे में इन लोगों के लिए भी एक अच्छी खबर है और अब वे भी कोविड का टीका लगवा सकेंगे।