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तुलसी विवाह शुक्रवार 14 नवम्बर 2021: तुलसी-शालिग्राम विवाह, पत्थर होने का श्राप किसने दिया था, पढ़ें यह पौराणिक कथा

मंगल दोष एवं वैधव्य दोष नाशक शालिग्राम विवाह भी उत्तम उपाय  है।

किस राशी वालों को व्रत विशेष संकट नाशक-

मेष, वृश्चिक एवं कर्क राशी या मेष,कर्क एवं वृश्चिक लग्न या जिनका नाम स, श, ह, क, ड, प्र, ए (महिला)। अ, म, ट, न, द (पुरुष) न, य (स्त्री एवं पुरुष) अक्षर से प्रारंभ हो उनके विवाह एवं वैवाहिक सुख के लिए, वैवाहिक कटुता के निराकरण के लिए विशेष उपयोगी शालिग्राम पूजा एवं तुलसी –शालिग्राम विवाह।

पौराणिक कथा –तुलसी-विष्णु रूप शालिग्राम विवाह

श्री  तुसली का पूर्व  नाम वृंदा था। राक्षस कुल में जन्मी वृंदा, विष्णु की परम भक्तिन थीं। वृंदा का विवाह अजेय जलंधर नामक असुर हुआ| वृंदा पतिव्रता स्त्री थीं। पतिव्रत प्रभाव एवं विष्णु भक्ति के कारन असुर  पति जलंधर अजेय हो गया.

जलंधर ने, स्वर्ग पर आक्रमण कर देव कन्याओं पर  भी अधिकार कर लिया। भगवन शिव भी प्रयास में सफल नहीं हुए |पराजित एवं क्रोधित देवो ने  भगवान श्री  विष्णु से जलंधर के  अंत करने की प्रार्थना की। असुर  जलंधर का अंत संभव नहीं था क्योकि पत्नी वृंदा का सतीत्व भंग करना अनिवार्य था।

भगवान विष्णु जलंधर का रूप धारण कर वृंदा के पास  गए उनको स्पर्श करते ही , पतिव्रत धर्म नष्ट होगया  और असुर जालन्धर मारा गया |वृंदा को श्रीहरि के छल का पता लग गया दुखित भाव से ,भगवान विष्णु से कहा,

“हे ईश्वर ,आजीवन आपकी आराधना की,  आपने मेरे साथ ऐसा छल किया? आपने मेरे साथ एक पाषाण की तरह व्यवहार किया मैं आपको शाप देती हूँ कि आप पाषाण बन जाएं।:

भगवान श्री हरि पत्थर हो गए, देवताओं ने वृंदा से याचना की , श्राप वह वापस ले। वृंदा को भी दुःख हुआ जिनकी पूजा करती है उस ईश्वर को क्रोध में शाप देकर अनर्थ कर दिया। वृंदा ने क्षमा कर शाप मुक्त किया।

वृंदा ,मृत जलंधर के साथ सती हो गईं। सती  की राख से एक पौधा निकले  पौधे को  श्री  विष्णु ने तुलसी नाम देकर  वरदान दिया कि तुलसी के बिना मैं प्रसाद को ग्रहण नहीं करूँगा। मेरे शालिग्राम रूप से तुलसी का विवाह होगा, जो  लोग कार्तिक शुक्ल एकादशी  तिथि को तुलसी विवाह –शालिग्राम रूपी मुझसे करेंगे उनके दुःख –कष्ट दूर होंगे एवं सर्व  सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होगी।

-शालिग्राम मन्त्र- ऊँ नारायणाय विद्महे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

शालिग्राम लेकर तुलसी जी की 07 परिक्रमा करे, विवाह की भावना रखे, अविवाहित की भी shadi या दाम्पत्य सुख कृपा मिलती है।

अमंगल नाशक मंगलाष्टक : चावल को हल्दी में पीले कर एक कटोरी में लें। देवी तुलसी जी एवं भगवान शालिग्राम जी का विधिवत पूजन करे, मंगलाष्टक  8 मंत्रों पढ़े।

1- ॐ श्री मत पंकज विष्टरो हरि हरौ, वायुमर्हेन्द्र अनलः। चन्द्रो भास्कर वित्तपाल वरुण, प्रताधिप अदिग्रहाः। प्रद्यम्नो नल कूबरौ सुरगजः, चिन्तामणिः कौस्तुभः, स्वामी शक्ति धरश्च लांगल धरः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

2- गंगा गोमति गोपतिगर्णपतिः, गोविन्द गोवधर्नौ, गीता गोमय गोरजौ गिरि सुता, गंगाधरो गौतमः।

गायत्री गरुडो गदाधर गया, गम्भीर गोदावरी, गन्धवर्ग्रह गोप गोकुल धराः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

3- नेत्राणां त्रितयं महत्पशुपतेः अग्नेस्तु पाद त्रयं, तत्तद्विष्णु पदत्रयं त्रिभुवने, ख्यातं च राम त्रयम्।

गंगावाह पथ त्रयं सुविमलं, वेदत्रयं ब्राह्मणम्, संध्यानां त्रितयं द्विजैर अभिमतं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

4- बाल्मीकिः सनकः सनन्दन मुनिः, व्यासोवसिष्ठो भृगुः, जाबालिजर्मदग्नि रत्रि जनकौ, गर्गो  गिरा गौतमः। मान्धाता भरतो नृपश्च सगरो, धन्यो दिलीपो नलः, पुण्यो धम र्सुतो ययाति नहुषौ, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

5- गौरी श्रीकुल देवता च सुभगा, कद्रू सुपणार्शिवाः, सावित्री च सरस्वती च सुरभिः, सत्यव्रत अरुन्धती।

स्वाहा जाम्बवती च रुक्म भगिनी, दुःस्वप्न विध्वंसिनी, वेला च अम्बुनिधेः समीनमकरा, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

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6- गंगा सिन्धु सरस्वती च यमुना, गोदावरी नमर्दा, कावेरी सरयू महेन्द्र तनया, चमर्ण्वती वेदिका।

शिप्रा वेत्रवती महासुर नदी, ख्याता च या गण्डकी, पूर्णाः पुण्यजलैः समुद्र सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

7- लक्ष्मीः कौस्तुभ पारिजातक सुरा, धन्वन्तरि च चन्द्रमा, गावः कामदुघाः सुरेश्वर गजो, रम्भादि देवांगनाः।

अश्वः सप्त मुखः सुधा हरिधनुः, शंखो विषं च अम्बुधे, रतनानीति चतुदर्श प्रतिदिनं, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

8- ब्रह्मा वेदपतिः शिवः पशुपतिः, सूयोर् ग्रहाणां पतिः, शुक्रो देवपतिनर्लो नरपतिः, स्कन्दश्च सेनापतिः। विष्णुयर्ज्ञ पतियर्मः पितृपतिः, तारा पतिश्चन्द्रमा, इत्येते पतयस्सुपणर्सहिताः, कुवर्न्तु वो मंगलम्॥

विष्णु रूप शालिग्राम कहाँ मिलते है-

(लेखक के पास अनेक शालिग्राम है)

नेपाल में गंडकी नदी में शालिग्राम स्वमेव बनते है |जैसे शिवलिंग, मध्यप्रदेश में नर्मदा नदी में स्वमेव बनते है | बिहार और नेपाल में बहने वाली इस नदी को नेपाल मे शालिग्रामि और मैदान मे भगवान विष्णु नारायण की पत्नी नारायणी भी कहते है महाभारत के भी गंडकी नदी का उल्लेख है।

आलेख : पं. वी. के. तिवारी ज्योतिषाचार्य

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