हमारी सरकार न आतंक को सह सकती है, न आतंकवादियों को: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह

Shah in Rajya Sabha: केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने गृह मंत्रालय की कार्यप्रणाली पर राज्यसभा में जवाब दिया। इस दौरान उन्होंने कहा कि सबसे पहले तो मैं देश की आजादी के बाद, देश की आंतरिक सुरक्षा और देश की सरहदों को सुरक्षित करने के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले स्टेट पुलिस और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के हजारों जवानों को मैं मनपूर्वक श्रद्धांजलि देना चाहता हूं। इनके बलिदान से ही देश आजादी के 76 साल पार कर विश्व में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। मैं बलिदानियों के परिवारजनों को भी मनपूर्वक धन्यवाद करता हूं। उनके सर्वोच्च बलिदान को ये देश, ये सदन कभी भूला नहीं पाएगा।

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केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि मैं अपने संविधान निर्माताओं को धन्यवाद देना चाहता हूं कि उन्होंने अनुच्छेद 370 को अस्थायी बनाया और उसी अनुच्छेद के भीतर इसे हटाने का समाधान प्रदान किया। हालांकि वोट बैंक की राजनीति ने इसे सुरक्षित रखा, लेकिन 5 अगस्त 2019 को PM मोदी ने इसे हटाने का ऐतिहासिक कदम उठाया, जिससे कश्मीर के शेष भारत के साथ एकीकरण के एक नए युग की शुरुआत हुई। शाह ने कहा कि 2014 में जब मोदी सरकार चुनकर आई, तब कई सारे मुद्दे हमें मिले। इस देश की सुरक्षा, विकास और सार्वभौमत्व को तीन बड़ी समस्याओं के कारण चुनौतियां मिलती रहीं। (Shah in Rajya Sabha)

चार दशक में देश के करीब 92 हजार नागरिक मारे गए: शाह

उन्होंने कहा कि ये तीन नासूर देश की शांति में खलल डालते रहे, देश की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाते रहे, देश के विकास की गति को अवरुद्ध करते रहे। ये तीन नासूर थे- जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तर पूर्व का उग्रवाद। इन समस्याओं के कारण चार दशक में देश के करीब 92 हजार नागरिक मारे गए। इसके बावजूद इन समस्याओं के संपूर्ण उन्मूलन के लिए एक सुनियोजित प्रयास कभी नहीं हुआ था, जो नरेंद्र मोदी की सरकार आने के बाद हुआ। प्रधानमंत्री मोदी के सत्ता में आने के बाद उरी और पुलवामा में हमले हुए। हालांकि 10 दिनों के भीतर ही भारत ने पाकिस्तान में सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक करके मुंहतोड़ जवाब दिया। केवल दो देश अमेरिका और इजराइल ही अपनी सुरक्षा और सीमाओं के लिए खड़े होते थे, जो अपनी सीमा और सेना के लिए हमेशा तत्पर रहते थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को भी इस सूची में शामिल कर लिया। (Shah in Rajya Sabha)

पहले आतंकवादी घुसकर बम धमाके करते थे: शाह

गृहमंत्री शाह ने कहा कि पहले कश्मीर में आए दिन पड़ोसी देश से आतंकवादी घुसकर बम धमाके करते थे। एक भी त्योहार ऐसा नहीं होता था, जो चिंता के बगैर जाता था। इसके बाद भी केंद्र सरकार का रवैया लचीला होता था, बोलने में डर लगता था, चुप्पी साध जाते थे, वोटबैंक का डर था। मोदी के आने के बाद आतंकवाद के खिलाफ ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति अपनाई गई। हमारे आने के बाद जब उरी और पुलवामा पर हमले हुए, तो हमने 10 ही दिन में पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक करके मुंहतोड़ जवाब दिया। कश्मीर में आए दिन पड़ोसी देश से आतंकवादी घुसकर बम धमाके करते थे। एक भी त्योहार ऐसा नहीं होता था, जो चिंता के बगैर जाता था, लेकिन केंद्र सरकार का रवैया लचीला होता था, बोलने में डर लगता था, चुप्पी साध जाते थे, वोट बैंक का डर था। (Shah in Rajya Sabha)

भारतीय युवाओं का आतंकवादियों से जुड़ाव लगभग खत्म: शाह

शाह ने कहा कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद भारतीय युवाओं का आतंकवादियों से जुड़ाव लगभग खत्म हो गया है। दस साल पहले आतंकवादियों का महिमामंडन आम बात थी और उनके जनाजे निकाले जाते थे। लेकिन अब जब आतंकवादी मारे जाते हैं तो उन्हें वहीं दफना दिया जाता है। आतंकवादियों के रिश्तेदार जो कभी सरकारी सुविधाओं का लाभ उठाते थे, उन्हें बेरहमी से सरकारी पदों से हटा दिया गया है ताकि कड़ा संदेश दिया जा सके। एक देश में दो निशान, दो प्रधान और दो विधान नहीं होंगे। कैसे हो सकते हैं… देश में एक ही प्रधानमंत्री हो सकता है, एक ही विधान और देश का ​झंडा भी एक ही हो सकता है, लेकिन चलाए गए, सालों तक चलाए गए। 5 अगस्त 2019 को एक निशान, एक विधान और एक प्रधान का नया दौर शुरू हुआ और वहीं से शुरू हुआ कश्मीर को हमेशा के लिए भारत के साथ एकरूप करने की प्रक्रिया। आपके (यूपीए) शासन में जम्मू कश्मीर में 33 साल से सिनेमाघर नहीं खुले थे, हमारे समय में खुले। (Shah in Rajya Sabha)

हमारे समय में ताजिया के जुलूस को अनुमति मिली: शाह

उन्होंने कहा कि ताजिया के जुलूस को अनुमति नहीं थी, हमारे समय में दी गई। G-20 के दौरान दुनियाभर के राजनयिक शांति से जम्मू कश्मीर गए और वहां का खाना, संस्कृति, खूबसूरती का आनंद उठाया। 10 साल पहले जम्मू कश्मीर में आतंकवादियों का महिमामंडन होता था, जनाजों का जुलूस निकाला जाता था। हमारे समय में भी आतंकवादी मारे गए, ज्यादा मारे गए, लेकिन किसी के जनाने का जुलूस नहीं निकाला गया, जो आतंकवादी जहां मारा जाता है, वहीं दफना दिया जाता है। कई सालों से कश्मीर की तिजोरी खाली थी। 2015 में नरेन्द्र मोदी ने 80 हजार करोड़ रुपये की 63 परियोजनाओं की शुरुआत की। कुछ लोग मेरे खर्च का हिसाब पूछ रहे थे। अरे भाई, थोड़ा कम हुआ होगा, हमने रखने की हिम्मत तो की, आपके समय में तो खर्च का प्रोविजन ही नहीं था। (Shah in Rajya Sabha)

डल झील पर क्रूज सेवा शुरू की: शाह

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 80 हजार करोड़ रुपये में से 51 हजार करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और 63 में से 53 परियोजनाएं क्रियान्वित हो चुकी हैं। अनुच्छेद 370 हटने के बाद से कश्मीर में पर्यटन में उछाल आया है। 2023 में रिकॉर्ड 2,11,80,011 पर्यटक जम्मू-कश्मीर आए, जो आजादी के बाद सबसे अधिक संख्या है। पर्यटन क्षेत्र में 250 करोड़ रुपये का निजी निवेश किया गया है और डल झील पर क्रूज सेवा शुरू की गई है। कश्मीर में अब शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव हो रहे हैं। 2024 के चुनाव में एक भी गोली नहीं चली और बूथ धांधली की कोई शिकायत नहीं आई। एक समय था जब दिल्ली से नेता जीत का प्रमाण पत्र लेने जाते थे और नागरिक घर पर रहते थे। अब 98 प्रतिशत लोग वोट डालते हैं। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही हैं जिन्होंने कश्मीर में पहली बार लोकतंत्र की नींव रखी। ये हिसाब मांगते हैं कि क्या हुआ 370 हटाने का परिणाम। (Shah in Rajya Sabha)

गृहमंत्री शाह का कांग्रेस पर हमला

शाह ने कहा कि साहब, हिसाब तो उनको दिया जाता है, नजारा तो उनको दिखाया जाता है, जिनकी नजरें साफ हों, जो काला चश्मा पहन कर, आंखें मूंद कर बैठे हैं, उनको विकास नहीं दिखा सकते हैं। पैदल यात्रा निकाली, कश्मीर तक गए, अपने कार्यकर्ताओं के साथ बर्फ की होली खेली और कहा कि दूर से आतंकवादी दिखाई पड़ा था। अरे भाई, जिनकी नजर में आतंकवादी है, तो आपको सपने में भी आएगा और आपको कश्मीर में भी दिखाई पड़ेगा। हम तो आतंकवादी देखते ही सीधा दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न आतंकवाद को सह सकती है और न ही आतंकवादियों को। 2023 दिसंबर में छत्तीसगढ़ में शासन बदला और भाजपा की सरकार आई। इसके बाद एक ही साल के अंदर 380 नक्सली मारे गए, इसमें 20 मार्च के 30 जोड़ना बाकी हैं। 1,194 गिरफ्तार हुए और 1,045 सरेंडर कर गए। कुल 2,619 नक्सलियों की कमी आई। यह वही छत्तीसगढ़ था, वही पुलिस, बीएसएफ और भारत सरकार, जिसमें केवल कांग्रेस सत्ता में थी, लेकिन दिसंबर 2023 में जब भाजपा सत्ता में आई तो एक साल के भीतर 2,619 नक्सली या तो गिरफ्तार हो गए, आत्मसमर्पण कर दिया या मारे गए। (Shah in Rajya Sabha)

10,900 युवा हथियार डालकर मुख्यधारा से जुड़े: शाह

गृहमंत्री शाह ने कहा कि इससे पता चलता है कि दृष्टिकोण में बदलाव क्या होता है। पूर्वोत्तर की समस्या को भी हम समाप्त करने के कगार पर हैं। वहां पर भी हिंसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी, हताहत सुरक्षाबलों में 72 प्रतिशत की कमी और हताहत नागरिकों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है। हमारी सरकार आने के बाद हमने सभी हथियारबंद समूहों से बातचीत की। 2019 से लेकर अब तक 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते किए। पूर्वोत्तर में कुल मिलाकर 10,900 युवा हथियार डालकर मुख्यधारा से जुड़े हैं। हजारों युवा आज विकास के रास्ते पर चल पड़े हैं। वाइब्रेंट विलेज के तहत अकेले अरुणाचल में 4,800 करोड़ रुपया भारत सरकार ने खर्च किया है। चोटियों पर बसे गांव, जिन्हें भारत का अंतिम गांव माना जाता था, मोदी जी ने भारत के अंतिम गांव को भारत का प्रथम गांव कहा। ये सारी सिद्धियां ऐसे नहीं आती हैं। दृढ़ राजनीतिक इच्छा शक्ति चाहिए, वोट बैंक की चिंता किए बगैर कठोर फैसले करने का मादा चाहिए और देश की समस्या का निवारण ही अपना लक्ष्य है, इस दृष्टि से काम करने की नीति चाहिए। (Shah in Rajya Sabha)

3 करोड़ युवाओं ने ऑनलाइन शपथ ली: शाह

उन्होंने कहा कि 2004 से 2014 के दौरान 25 लाख किग्रा. ड्रग्स जब्त की गई, जबकि 2014 से 24 के दौरान एक करोड़ किग्रा. ड्रग्स जब्त की गई। कुछ लोगों ने कहा कि आपके समय में ड्रग्स बढ़ गई है। अरे, बढ़ नहीं गई है पहले से बढ़ी हुई थी, हमने पकड़ना शुरू किया, जो आप नहीं पकड़ते थे। ड्रग्स को रोका भी हमने है और समाप्त भी हमी कर देंगे। क्या नजरिया है, खून की संख्या घटाने के लिए खूनी को न पकड़ो। मिशन स्पंदन के माध्यम से, हमारा उद्देश्य नशे की लत से पीड़ित लोगों की पहचान करना और उन्हें नशे की लत से मुक्ति दिलाने के लिए उपचार उपलब्ध कराना है। हमने नशा मुक्त भारत शपथ और ऑनलाइन ई-प्रतिज्ञा शुरू की, जिसमें 3 करोड़ युवाओं ने ऑनलाइन शपथ ली। हालांकि मैं इस बात पर जोर देना चाहूंगा कि अकेले केंद्र सरकार इस समस्या को खत्म नहीं कर सकती। सभी को इसमें योगदान देना होगा। अगर आपको ऐसी कोई खबर मिलती है, तो कृपया ऑनलाइन रिपोर्ट करें। (Shah in Rajya Sabha)

गुजरात को लेकर विपक्ष पर निशाना

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि गोपनीयता बनाए रखी जाएगी और व्यक्ति के सामाजिक जीवन पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हम सुनिश्चित करेंगे कि उन्हें सहायता मिले। अंतरराष्ट्रीय सीमा से ड्रग अफगानिस्तान से लंका की ओर जाता है। विपक्षी बार-बार कहते हैं कि गुजरात से ड्रग क्यों पकड़ा जाता है। मैं तो चाहता हूं हर राज्य पकड़े। ये तो अंतरराष्ट्रीय सीमा से पकड़ा जा रहा है, क्योंकि हमारी सरकार का तो नियम है, न एक किलो ड्रग भारत आने देंगे और न ही बाहर जाने देंगे। 2014 से पहले आपदा प्रबंधन राहत केंद्रित था और प्रतिक्रियावादी दृष्टिकोण के अनुसार बनाया गया था, जो टूट गया है, उसका मलबा हटाओ, जो घायल हैं, उनको अस्पताल पहुंचाओ और जो नुकसान हुआ है उसका सर्वे करो और भरपाई करो । अब बचाव केंद्रित दृष्टिकोण के साथ हम आगे आए हैं और इस देश में गत वर्ष में दो ऐसी आपदाएं आई हैं, जिसमें जीरो मानव जीवन का नुकसान हुआ है। मैं 2014 से पहले और बाद में आपदा प्रबंधन की तुलना करता हूं। पहले आपदा प्रबंधन राहत और प्रतिक्रिया-आधारित था, जिसमें आपदा के बाद की स्थिति को संभालने पर ध्यान केंद्रित किया जाता था। (Shah in Rajya Sabha)

‘फर्स्ट विलेज’ के तौर पर मान्यता

गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 2014 के बाद, यह बचाव-उन्मुख हो गया है। पिछले साल दो बड़ी आपदाएं हुईं, लेकिन शुक्र है कि किसी की जान नहीं गई। हमने वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम शुरू किया। सीमा पर लोग बहुत ही खराब परिस्थितियों में रहते थे, जिसकी वजह से पलायन होता था। अगर इन सीमावर्ती गांवों को छोड़ दिया जाए तो देश की सुरक्षा नहीं हो सकती। पहले इन गांवों को आखिरी गांव कहा जाता था। मोदी सरकार ने इन्हें ‘फर्स्ट विलेज’ के तौर पर मान्यता दी। यह सिर्फ एक वैचारिक बदलाव नहीं था, बल्कि 10 साल के भीतर इन इलाकों में जरूरी सेवाओं को प्राथमिकता दी गई। राज्यसभा में शाह ने कहा कि 21 सदस्यों ने यहां अपने विचार प्रस्तुत किए हैं। एक तरह से गृह मंत्रालय के अनेक कार्यों के परिमाणों को छूने का प्रयास किया गया है। (Shah in Rajya Sabha)

गृह मंत्रालय में बदलाव करना जरूरी: शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि हमारे संविधान में कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों पर है। सीमा सुरक्षा और आंतरिक सुरक्षा गृह मंत्रालय के अंतर्गत आती है। यह एक सही निर्णय है। इसमें कोई बदलाव करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन जब कानून और व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यों की है, तो 76 साल बाद अब ऐसी स्थिति है कि कई तरह के अपराध राज्य की सीमा तक सीमित नहीं रह गए हैं, वे अंतरराज्यीय भी हैं और बहुराज्यीय भी हैं – जैसे नारकोटिक्स, साइबर अपराध, संगठित अपराध गिरोह, हवाला। ये सभी अपराध सिर्फ एक राज्य के भीतर नहीं होते हैं। देश में कई अपराध देश के बाहर से भी भारत में किए जाते हैं। इसलिए इन सबको ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय में बदलाव करना जरूरी हो जाता है। हम तो आतंकवादी दिखाई देते ही सीधा दो आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न आतंक को सह सकती है, न आतंकवादियों को। (Shah in Rajya Sabha)

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