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श्राद्ध पक्ष : पितर (श्राद्ध) पक्ष में वह आवश्यक बातें जो हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए, पढ़े पूरी जानकारी

अनमोल न्यूज 24 

पितर (श्राद्ध) पक्ष का प्रारंभ 20 सितम्बर 2021, दिन – सोमवार को हो रहा हैं। श्राद्ध पक्ष में देव या पितर कार्य में प्रथम कौन सा कार्य किसी भी पूजा में करना चाहिए। इस संबंध यहाँ दिए जा रहे जानकारी जो आपके लिए बहुत ज्ञानकारी व उपयोगी हैं।

पितर कार्य परम आवश्यक है। पितरों को तृप्त करने के पश्चात ही सफलता मिलती है। इसलिए पित्र कार्य के पश्चात ही दिव्य देव पूजा करना चाहिए । दैनिक जीवन में यह ध्यान रखने की बात है। (संदर्भ ग्रंथ ब्रह्मवैवर्त पुराण हेमाद्री में वायु)
देव कार्यद अपि सदा पितृ कार्यम।
देवताभ्यो ही पूर्वम पितृणाम आप्यायनम वरम।।
(संदर्भ ग्रंथ कूर्म पुराण)

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धन के अभाव में ऐसे करें श्राद्ध

धन के अभाव में शाक्य सब्जी खरीद कर श्राद्ध करें/किया जा सकता है। घर गाय को खिला कर भी श्राद्ध कर्म पूर्ण किया जा सकता है घास को काट कर भी गाय को खिला सकते हैं।  (संदर्भ ग्रंथ पद्म पुराण, सृष्टि खंड।)

कुश या घास न होने पर यह उपाय करें

कुश या घास ( श्राद्ध के लिए प्रयोग की जाती है ) नहीं मिलने पर किस प्रकार श्राद्ध कर्म किया जावे। अनुकल्प विष्णु पुराण के अनुसार :  एकांत स्थान में दोनों भुजाओं को ऊपर उठा कर निम्न श्लोक से प्रार्थना करें-
न मे अस्ति वितत्म न धनम् च न अन्य श्राद्ध उपयोग्यम स्व पितृ नन्तो अस्मि।
तृप् यंतु भक्त्या पितरो मयैतौ कृतो भुजो वतर्मनी मारुतस्य।।
अर्थात : है पितृ गण मेरे पास श्राद्ध  के लिए धन-धान्य आदि नहीं है। आपके लिए श्रद्धा और भक्ति है। मैं इनके द्वारा आपको तृप्त  करना चाहता हूं।आप तृप्त हो जाएं (मैंने शास्त्र की आज्ञा के अनुसार) दोनों भुजाओं को आकाश की ओर उठा रखा है।

वार्षिक श्राद्ध कार्य दायित्व किसका?

नियमानुसार जस्ट या बड़े पुत्र द्वारा वार्षिक श्राद्ध कर्म करना चाहिए परंतु यदि पुरुष संतान या लड़के तीन हैं और तीनों अलग 2रहते हैं तो तीनों को श्राद्ध कर्म करना चाहिए। यदि पुत्र संतान नहीं है तो स्मृति संग्रह ग्रंथ के अनुसार एवं साथ कल्प लता ग्रंथ के अनुसार श्राद्ध कर्म पुत्र पुत्र पुत्री का पुत्र पत्नी भाई भतीजा माता पुत्र वधू बहन भांजा शॉपिंग भी कर सकते हैं।

जबलपुर लमवेटा घाट, पुष्कर प्रयाग हरिद्वार गया आदि। प्रयाग श्राद्ध के बाद ब्रह्म कपाली, वदरी क्षेत्र श्राद्धआवश्यक। ब्रह्म कपाली, वदरी क्षेत्र श्राद्ध करने के बाद गया में करना वर्जित।

श्राद्ध कर्म का श्रेष्ठ समय : प्रातः कल में श्राद्ध कर्म प्रारंभ करने को श्रेष्ठ समय माना गया है। यह दिन में लगभग 11:36 से 12:24 बजे तक (अभिजीत मुहूर्त का काल) होता है ।

श्राद्ध कर्म काल में सर्वश्रेष्ठ दान क्या है : श्राद्ध कर्म  में सर्वश्रेष्ठ दान चांदी या चांदी से निर्मित वस्तुएं मानी गई हैं क्योंकि चांदी पितरों को अति प्रिय धातु है। लोहा, स्टील, हिंडेलियम के बर्तन पूर्ण दान वर्जित हैं साथ ही इन बर्तनों में भोजन खिलाना भी वर्जित हैं।

श्राद्ध कर्म कार्य में श्वेत वस्त्र वस्तु का विशेष महत्व है। पुष्प श्वेत रंग के होना चाहिए। कस्तूरी, लाल चंदन ,गोरोचन आदि श्राद्ध कर्म कार्य में वर्जित है। भृंगराज, अगस्त, चंपा, चमेली, पुष्प विशेष रूप से उपयोगी माने गए हैं। दूध, गंगाजल, शहद, टसर का कपड़ा, भांजा, कुतुब कॉल, काले तिल, आवश्यक एवं उपयोगी पदार्थ हैं साथ में तुलसी सत पत्रिका चंपा पुष्प। श्राद्ध कर्म कार्य में बीज रहित फल का प्रयोग निषेध है अर्थात केला आदि का प्रयोग जिसमे बीज नहीं होता है ऐसे फल श्राद्ध कर्म में वर्जित हैं। (संदर्भ ग्रंथ वीर मित्रों दर्द कल्प लता शत ताप का वचन)

पिंड का आकार क्या होना चाहिए?
मासिक तथा वार्षिक श्राद्ध में नारियल के आकार के पिंड होना चाहिए। सपिंदन के कार्य में   कवीट की आकार के फल के बराबर पिंड का आकार होना चाहिए पितृपक्ष में किए जाने वाले साथ में आंवले के आकार का पिंड आवश्यक है वर्ष श्राद्ध में मुर्गी के अंडे के आकार (संदर्भ ग्रंथ शब्द संग्रह।)

आलेख : पंडित वी. के. तिवारी ज्योतिषाचार्य 

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