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मौन सत्याग्रह: जिला प्रशासन का गजब खेल, आवेदन और अनुमति में नहीं कोई मेल!

Silent Satyagraha: महासमुन्द में आम आदमी के साथ ज्यादती और प्रशासनिक अतिवाद चरम पर है। इसके विरोध में आनंदराम पत्रकारश्री का मौन सत्याग्रह (Silent Satyagraha) एक मई से नित्य सुबह 10 से शाम 6 बजे तक जारी है। (यह वह समय है, जब शासकीय कार्यालयों में कामकाज होता है।) सत्याग्रह धरना की अनुमति नहीं मिलने की वजह से आनंदराम मुंह में पट्टी बांधकर, जेब में काला फीता लगाकर और घुम-घुमकर शान्तिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सत्याग्रह को 24 मई को 192 घंटे पूरे हो गए।

इस बीच,गृह विभाग के द्वारा जारी धरना,आंदोलन, जुलूस के लिए निर्धारित 19 बिंदुओं के निर्देश का परीक्षण करने आनंदराम पत्रकारश्री तीन बार अनुमति के लिए आवेदन लगा चुके हैं। पहली बार मिथ्या और मनगढ़ंत कारण बताकर आवेदन अस्वीकार कर दिया गया। दूसरे आवेदन पत्र पर किसी प्रकार का विनिश्चय की सूचना आवेदक को नहीं दी गई। तीसरी बार आवेदन करने पर पांच शर्तों के अधीन “केवल एक दिन और अकेले ही मौन सत्याग्रह करने की अनुमति” दी गई है। इससे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि मौन सत्याग्रह से प्रशासनिक अमला किस कदर चिंतित है। उन्हें पोल खुलने और खुद के द्वारा बरती गई गंभीर लापरवाही पर दंडात्मक कार्यवाही होने का भय सता रहा है। यही वजह है कि मौन सत्याग्रह जैसे शांतिपूर्ण आंदोलन की भी अनुमति देने में तरह-तरह का कुचक्र रच रहे हैं। इसे प्रशासनिक स्वेच्छाचारिता और गृह विभाग के दिशा निर्देश के प्रतिकूल बताते हुए इस अनुमति का ‘सविनय अवज्ञा’ करने का आनंदराम ने विनिश्चय किया है।

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मौन सत्याग्रह से मचा है हडकंप!

मीडिया को जारी बयान में आनंदराम पत्रकारश्री ने कहा है कि उनके मौन सत्याग्रह (Silent Satyagraha) से प्रशासन तंत्र में भीतर ही भीतर हड़कंप मचा हुआ है। अपनी लापरवाही और स्वेच्छाचारिता को छुपाने नित्य नया कुचक्र रच रहे हैं। उन्होंने अम्बेडकर चौक, बुद्ध विहार गली में अपने पंजीकृत प्रेस कार्यालय के समीप निरापद स्थल पर मौन सत्याग्रह की अनुमति मांगी थी। जिससे कि उनके पंजीकृत पते पर आने वाले पत्र, पत्रकारश्री से मिलने कार्यालय के पते पर पहुंचने वाले लोगों से संपर्क कर पत्रकारिता धर्म का निर्वहन कर सकें। पहले तो बिना किसी पूर्व सूचना, किसी सक्षम आदेश अथवा मुआवजा दिए बिना ही प्रेस कार्यालय को दो बुलडोजर लगाकर ढहा दिया गया। अब वहां एक किनारे में बैठकर शान्ति पूर्ण प्रदर्शन करने के साथ ही अपना कामकाज करने की भी अनुमति नहीं देकर स्वतंत्र रूप से पत्रकारिता करने से रोका जा रहा है।

देर शाम व्हाट्सएप पर जारी हुआ यह अनुमति पत्र

अतिरिक्त जिला दण्डाधिकारी ने 24 मई 2022 को देर शाम व्हाट्सएप पर जारी किए अनुमति पत्र में पांच शर्तें लगाते हुए सशर्त अनुमति दी है। जिसमें 25 मई को पांच सूत्रीय मांगों के संबंध में मौन सत्याग्रह का उल्लेख किया गया है। जबकि, आवेदन में 25 मई से मांगें पूरी होते तक मौन सत्याग्रह का उल्लेख है। जिसकी अनदेखी करने की वजह से इस अनुमति की सविनय अवज्ञा करने का आनंदराम ने निश्चय किया है। अनुमति पत्र में एडीएम ने धरना स्थल पटवारी कार्यालय के सामने निर्धारित किया गया है, जबकि अपने प्रेस कार्यालय के पास खाली स्थान में धरना प्रदर्शन करने की अनुमति मांगा था। यह वह स्थान है, जहां नजदीक में उनका प्रेस कार्यालय था, जिसे उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए बलपूर्वक जबरिया तोड़फोड़ कर मलमा को छोड़कर आरोपी मौके से फरार हो गए हैं। रिपोर्ट परसिटी कोतवाली पुलिस जांच के नाम पर कागजी खानापूर्ति कर रही है। महीने भर बीतने को है, अब तक एफआईआर भी दर्ज नहीं की गई है।

बेलगाम अफसरशाही से हो रही बदनामी

इस प्रकार एकबार फिर अफसरशाही का बड़ा नमूना देखने को मिल रहा है। उन्होंने बताया कि पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर की जा रही इस तरह की कार्यवाही के विरोध में उन्होंने ‘ज्ञापन अभियान’ प्रारंभ किया है। जिसमें सत्तारूढ़ दल, विपक्ष और संवैधानिक पदों पर आसीन लोगों को ज्ञापन सौंपकर लोकतांत्रिक व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने वाले लोकसेवकों पर लगाम लगाने की मांग की जा रही। जिले में प्रशासनिक अतिवाद की स्थिति यह है कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के निर्देश, उनके सचिवालय से जारी पत्रों पर भी कार्यवाही नहीं की जा रही है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बेलगाम अफसर, सरकार को बदनाम करना चाहते हैं। सरकारी दफ्तरों में आम आदमी का काम नहीं हो रहा है। हर छोटे-बड़े काम के लिए सत्तारूढ़ दल के लोगों को अफसरों को फोन करना पड़ता है।

मौन सत्याग्रह : जिला प्रशासन का गजब खेल

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