केदारनाथ में फिर मंडरा रहा तबाही का खतरा!, निर्माण पर तत्काल रोक लगाने की मांग

Kedarnath News: केदारनाथ में फिर तबाही का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में वैज्ञानिकों की टीम ने किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर तत्काल रोक की मांग की है। केदारनाथ धाम में एवलांच के अध्ययन के लिए भेजी गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपी दी है। एक्सपर्ट कमेटी ने सरकार को भविष्य में केदारधाम में कंस्ट्रक्शन के लिए भी सुझाव दिए हैं। साथ ही कमेटी ने केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण कार्य पर तत्काल रोक की सिफारिश की है।

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बता दें कि भगवान शिव के 12 ज्योर्तिलिंगों में शामिल उत्तराखंड के केदारनाथ धाम पर फिर तबाही का खतरा मंडराने लगा है। ये खुलासा केदारनाथ धाम में एवलांच के अध्ययन के लिए भेजी गई कमेटी ने किया है। एक्सपर्ट कमेटी ने सरकार को आगाह किया है कि केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण ना होने दिया जाए। (Kedarnath News)

गौरतलब है कि केदारनाथ धाम में सितंबर और अक्टूबर महीने में एवलांच देखने को मिले थे। एवलांच की तस्वीरों को देखकर ना सिर्फ लोगों में डर बैठ गया, बल्कि शासन और प्रशासन भी अलर्ट मोड में आ गया। ऐसे में केदारनाथ में साल 2013 में भारी तबाही झेल चुका है। वहीं किसी बड़े खतरे का अंदेशा मान कर शासन ने आनन फानन में एक्सपर्ट कमेटी का गठन कर अध्ययन के लिए केदारनाथ भेज दिया। (Kedarnath News)

पांच सदस्यीय इस कमेटी ने अपने अध्ययन की रिपोर्ट अब सरकार को सौंप दी है। इसमें केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में किसी भी तरह के निर्माण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने की सिफारिश की है। कमेटी ने 2013 जैसे किसी हादसे की स्थिति में बचाव के लिए भी कुछ सिफारिशें की है। इसमें बताया है कि केदारनाथ मंदिर के उत्तरी ढलान के साथ ही अलग-अलग ऊंचाई पर बेंचिंग की जानी चाहिए। इससे ढलान की तीव्रता कम हो जाएगी। इसी के साथ ढलानों पर कंक्रीट के अवरोधक लगाने की भी बात कही है। इन अवरोधकों की डिजाइन, आकार और लगाने की जगह के बारे में बाद में अलग से सुझाव दिया जाएगा। (Kedarnath News)

वैज्ञानिकों ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पूरी टीम ने अक्तूबर के पहले सप्ताह में केदारनाथ के ऊपरी क्षेत्रों में हवाई सर्वे किया था। इसके बाद स्थलीय सर्वेक्षण कर पूरे क्षेत्र की स्थिति और परिस्थिति का अध्ययन किया गया। इसी अध्ययन के आधार पर रिपोर्ट तैयार किया गया है। टीम में शामिल विशेषज्ञों के मुताबिक केदारनाथ मंदिर के उत्तरी क्षेत्र में रेत के टीले बना कर हादसे की तीव्रता को कम किया जा सकता है। बदरीनाथ मंदिर के पीछे इस तरह के टीले बनाए जा चुके हैं।

वहीं टीम ने अपनी रिपोर्ट में लोगों के अंदर जागरुकता पर जोर दिया। कहा कि इसके लिए अभियान चलना चाहिए। ग्लेशियर प्रभावित क्षेत्रों में हिमस्खलन आम बात है। ऐसे में मीडिया और अन्य जिम्मेदार लोग अफवाह फैलाने के बजाय लोगों को जागरुक करें तो नुकसान को कम किया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अपनी जांच में पाया है कि केदारनाथ मंदिर से करीब पांच से छह किलोमीटर ऊपर चौराबाड़ी ग्लेशियर के सहयोगी ग्लेशियर में हिमस्खलन हुआ है। (Kedarnath News)

एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट पर उत्तराखंड आपदा प्राधिकरण के जॉइंट CEO मोहम्मद ओबेदुल्ला अंसारी का कहना है कि एवलांच से किसी भी तरह के खतरे की फिलहाल कोई बात नहीं है। कहा कि कमेटी ने यह भी सुझाव दिए हैं कि मंदिर के पीछे की ओर यानी उत्तर दिशा में मोरेन मौजूद हैं। इसलिए क्षेत्र में भविष्य में भी कोई बड़ा कंस्ट्रक्शन ना हो। एक्सपर्ट कमेटी ने यह भी कहा है कि केदारधाम में ज्यादा कंस्ट्रक्शन भी भविष्य में दिक्कतें पैदा कर सकता है। (Kedarnath News)

केदारनाथ में साल 2013 की आपदा के बाद बड़े स्तर पर कंस्ट्रक्शन हुआ है। स्टोन क्रेशर से उड़ने वाले डस्ट पार्टिकल से ग्लेशियर को काफी नुकसान हुआ है। कंस्ट्रक्शन में ट्रैक्टर और बड़े ट्रक चलाए गए। इससे न सिर्फ धूल बल्कि डीजल के धुएं से भी ब्लैक पार्टिकल्स ग्लेशियर पर जम गए। वहीं लगातार पत्थरों को तोड़ा गया। जिससे वाइब्रेशन जनरेट हुई और उसका सीधा असर ग्लेशियर पर पड़ा। इसी प्रकार लगातार हेलीकॉप्टर की मूवमेंट से साउंड वाइब्रेशन भी जनरेट हुआ। जिसने हैंगिंग ग्लेशियर और दूसरे ग्लेशियरों को प्रभावित किया है।

वाडिया इंस्टीट्यूट के रिटायर वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. डीपी डोभाल के मुताबिक यह सारी डस्ट ग्लेशियर पर जम गई। इससे ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। जिस तरीके से यहां कंस्ट्रक्शन हुआ, पूरे इलाके का एनवायरनमेंट खतरे में आ गया है। बता दें कि कुछ दिन पहले ही केदारनाथ धाम से दो किमी पहले एक हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ था। ये हेलिकॉप्टर केदारनाथ से वापस लौट रहा था, उसी वक्त ये हादसा हुआ। इस हादसे में 7 लोगों की मौत हो गई थी। एक निजी कंपनी (आर्यन कंपनी) के हेलीकॉप्टर में कई सैलानी सवार थे तब ही ये हेलीकॉप्टर क्रैश हुआ।

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