राज्यपाल हरिचंदन को कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस से मिली डी.लिट. की मानद उपाधि

Governor Vishwabhushan Harichandan: राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन को भुवनेश्वर के कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने डी. लिट. की मानद उपाधि प्रदान की है। यह उपाधि उन्हें ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास के हाथों से प्रदान की गई। राज्यपाल हरिचंदन को यह सम्मान सामाजिक और सार्वजनिक जीवन में सक्रियता के माध्यम से उल्लेखनीय जन सेवा के लिए दिया गया है। कलिंग इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस के कुलपति प्राध्यापक और गणमान्य अतिथि इस अवसर पर आयोजित समारोह में उपस्थित थे।

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ओडिशा में योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार से आने वाले राज्यपाल विश्वभूषण हरिचंदन 1962 में ओडिशा के उच्च न्यायालय बार और 1971 में भारतीय जनसंघ में शामिल हुए। उन्होंने काफी कम समय में अपनी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प के बल पर एक वकील और एक राजनीतिक नेता के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त की। उन्होंने ऐतिहासिक जे.पी. आंदोलन में लोकतंत्र के समर्थन की लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, जिसके लिए उन्हें आपातकाल के दौरान कई महीनों तक जेल में रहना पड़ा था। (Governor Vishwabhushan Harichandan)

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन एक्शन कमेटी के अध्यक्ष के रूप में हरिचंदन ने 1974 में सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों के अधिक्रमण के खिलाफ ओडिशा में वकीलों के आंदोलन का नेतृत्व किया। ओडिशा की राजनीति के दिग्गज हरिचंदन पांच बार ओडिशा की राज्य विधानसभा के लिए 1977, 1990, 1996, 2000 और 2004 में चुने गए। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ 2000 के विधानसभा चुनाव में 95,000 मतों के अंतर से जीत हासिल की, जिसने ओडिशा में पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए। (Governor Vishwabhushan Harichandan)

साहित्यिक योगदान

उनके प्रमुख साहित्यिक योगदान में कई रचनाएं  शामिल है, जिसमें ‘‘महासंग्रामर महानायक‘‘, जो 1817 की पाइक क्रांति के सर्वोच्च सेनापति बक्सी जगबंधु पर केंद्रित एक नाटक है। उन्होंने छह एकांकी नाटक भी लिखे जो – मरुभताश, राणा प्रताप, शेष झलक, जो मेवाड के महारानी पद्मिनी पर आधारित है। अष्ट शिखा, जो तपांग दलबेरा के बलिदान, पर आधारित है। मानसी, (सामाजिक) और अभिशप्त कर्ण, (पौराणिक) नाटक है। उनकी 26 लघु कथाओं के संकलन का नाम ‘‘स्वच्छ सासानारा गहन कथा‘‘ है, और ‘‘ये मतिर डाक‘‘ उनके कुछ चुनिंदा प्रकाशित लेखों का संकलन है। ‘‘संग्राम सारी नहीं”, उनकी आत्मकथा है, जिसमें उनके लंबे सार्वजनिक जीवन के दौरान राजनीतिक, प्रशासनिक, सामाजिक, सांस्कृतिक और अन्य क्षेत्रों में उनके संघर्षों पर ध्यान केंद्रित किया गया है। (Governor Vishwabhushan Harichandan)

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