India-Canada Row : कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने राजनयिकों पर भारत सरकार की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया दी है. ट्रूडो ने कहा कि भारत सरकार की कार्रवाई भारत और कनाडा में लाखों लोगों के लिए सामान्य जीवन को बहुत कठिन बना रही है. ट्रूडो का यह बयान कनाडा द्वारा भारत से 41 राजनयिकों को वापस बुलाने की घोषणा के बाद आया है.
यह भी पढ़ें:- छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना ने बनाया राजनीतिक दल, 21 अक्टूबर को करेंगे घोषणा
प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि भारत द्वारा राजनयिकों की आधिकारिक स्थिति को एकतरफा रद्द करने की धमकी के बाद कनाडा को कार्रवाई करने के लिए मजबूर होना पड़ा.
बता दें कि इससे पहले भारत सरकार ने कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि भारत में किसी भी अंतरराष्ट्रीय मानदंडों का उल्लंघन नहीं किया गया है. (India-Canada Row)
ट्रूडो ने भारत पर लगाया अब ये नया आरोप
एक साथ 41 कनाडाई राजनयिकों के निष्कासित किए जाने के बाद ट्रूडो ने अब नया आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “भारत सरकार इंडिया और कनाडा में रह रहे लाखों लोगों के लिए जीवन को अविश्वसनीय रूप से कठिन बना रही है। साथ ही भारत द्वारा कूटनीति के एक बहुत ही बुनियादी सिद्धांत का उल्लंघन किया जा रहा है। ट्रूडो ने कहा कि भारत की इस कार्रवाई से मैं उन कनाडाई लोगों के लिए चिंतित हो उठा हूं, जो भारतीय उपमहाद्वीप में रह कर अपने उद्भव की खोज कर रहे हैं।
यात्रा और व्यापार बाधित होने की चिंता
,भारत की इस सख्ती से जस्टिन ट्रूडो को अब व्यापार और यात्रा में बाधा आने की चिंता सताने लगी है। जबकि आरोप लगाते समय ट्रूडो ने इस बात की जरा भी परवाह नहीं की थी। मगर भारत की सख्ती से ट्रूडो के तेवर ठंडे पड़ने लगे हैं। “उन्होंने ब्रैम्पटन ओंटारियो में एक टेलीविज़न प्रेस कॉन्फ्रेंस में संवाददाताओं से कहा कनाडा के कुछ राजनयिकों के निष्कासन से यात्रा और व्यापार में बाधा आएगी। इससे कनाडा में पढ़ने वाले भारतीयों के लिए मुश्किलें पैदा होंगी। लगभग 20 लाख कनाडाई भारतीय विरासत हो चुके हैं, जो कुल कनाडा की आबादी का 5% हैं। कनाडा में भारत अब तक वैश्विक छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है, जो अध्ययन परमिट धारकों का लगभग 40% है।
भारत कनाडा के आरोपों को कर चुका है खारिज
भारत ने कनाडा के उस आरोप को भी खारिज कर दिया है, जिसमें उसने 41 राजनयिकों का निष्कासन किए जाने पर वियना सम्मेलन की शर्तों के उल्लंघन का आरोप लगाया है। भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से साफ कह दिया गया है कि भारत में कनाडाई राजनयिकों की संख्या बहुत अधिक थी। हमारे आंतरिक मामलों में उनका निरंतर हस्तक्षेप “हमारे द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति को गड़बड़ कर रही थी। इसलिए नई दिल्ली और ओटावा में पारस्परिक राजनयिक उपस्थिति में समानता की आवश्यकता है।” भारत में कनाडा के अब 21 राजनयिक बचे हैं। (India-Canada Row)