गर्व की बात: अमेरिका ने माना लोहा, भारत से मांगी चंद्रयान 3 की तकनीक, इसरो प्रमुख सोमनाथ ने किया खुलासा

नई दिल्‍ली । अमेरिका की रॉकेट वैज्ञानिकों की टीम ने भारत से चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3) की तकनीक व उपकरण साझा करने का निवेदन किया था। यह खुलासा इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने रविवार को किया। उन्होंने कहा कि दुनिया आज भारत के रॉकेट और अंतरिक्ष में उपयोगी उपकरणों व तकनीक की सराहना कर रही है। इसे और तेजी देने के मकसद से पीएम नरेंद्र मोदी ने निजी क्षेत्र के लिए भी अंतरिक्ष क्षेत्र को खोल दिया है।

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पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की 92वीं जयंती पर उनके नाम से बनी फाउंडेशन के कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आए विद्यार्थियों को सोमनाथ ने चंद्रयान व भारत की अंतरिक्ष क्षेत्र में प्रगति की रोचक जानकारियां दीं। उन्होंने बताया, चंद्रयान 3 के डिजाइन व विकास के समय इसरो के आमंत्रण पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की जेट प्रोपल्शन लैब (जेपीएल) के 5-6 विशेषज्ञ इसरो मुख्यालय आए थे।

उन्हें भारतीय इंजीनियरों के बनाए मिशन चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3), इसके डिजाइन, सॉफ्ट लैंडिंग, विभिन्न उपकरणों आदि के बारे में विस्तार से बताया गया। इसे जानने के बाद उन्होंने कहा था ‘हम इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते, सब कुछ अच्छा होगा।’ फिर पूछने लगे, ‘इस मिशन में शामिल वैज्ञानिक उपकरण बेहद किफायत से बनाए गए हैं।

इन्हें आसानी से बनाया जा सकता है, लेकिन यह उच्च श्रेणी की तकनीकों पर आधारित हैं। आपने इन्हें कैसे बनाया? आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेचते?’ यह प्रसंग सुनाते हुए सोमनाथ ने कहा, हमारा देश आज एक शक्तिशाली देश है। हमारा ज्ञान और बौद्धिकता का स्तर दुनिया में सर्वश्रेष्ठ में से एक है। इसरो प्रमुख ने पूर्व राष्ट्रपति और प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर रविवार को रामेश्वरम मैराथन को झंडी दिखाकर रवाना किया। मैराथन में बड़ी संख्या में युवा शामिल हुए।

सोमनाथ ने कहा, आप देख सकते हैं कि समय बदल गया है। हम भारत में सर्वोत्कृष्ट उपकरण, औजार, रॉकेट बनाने की क्षमता रखते हैं। इसी वजह से पीएम नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को सभी के लिए खोल दिया है। चेन्नई में अग्निकुल और हैदराबाद में स्कायरूट सहित कम से कम 5 भारतीय कंपनियां आज रॉकेट व उपग्रह बना रही हैं। (Chandrayaan 3)

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