Bhojshala ASI Survey : भोजशाला में आज से शुरू हुआ ASI का सर्वे, पुलिस के साथ प्रशासनिक अमला मौके पर, जानें क्या है मामला

Bhojshala ASI Survey : हाई कोर्ट के आदेश के बाद मध्य प्रदेश के धार जिले में स्थित ऐतिहासिक परमारकालीन भोजशाला में शुक्रवार (22 मार्च) की सुबह से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) की टीम वाराणसी में ज्ञानवापी की तरह सर्वे शुरू कर दिया है। सर्वे को लेकर एएसआइ, जिला प्रशासन और पुलिस ने तैयारियों को पहले ही अंतिम रूप दे दिया था। सर्वे के दौरान सुरक्षा के कड़े बंदोबस्त के लिए परिसर के आसपास भारी पुलिस बल तैनात है।

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भोजशाला को माता वाग्देवी (सरस्वती) का मंदिर बताते हुए हिंदू फ्रंट फार जस्टिस ने वहां हिंदू समाज को पूजा का अधिकार देने की मांग के साथ याचिका दाखिल की थी।

भोजशाला विवाद (Bhojshala ASI Survey) सदियों पुराना है। हिंदुओं का कहना है कि यह सरस्वती देवी का मंदिर है। सदियों पहले मुसलमानों ने इसकी पवित्रता भंग करते हुए यहां मौलाना कमालुद्दीन की मजार बनाई थी। भोजशाला में आज भी देवी-देवताओं के चित्र और संस्कृत में श्लोक लिखे हुए हैं, जबकि अंग्रेज अधिकारी वहां लगी वाग्देवी की मूर्ति को लंदन ले गए थे। संगठन की तरफ से एडवोकेट हरिशंकर जैन और एडवोकेट विष्णुशंकर जैन ने कोर्ट में कहा था कि पूर्व में भी जो सर्वेक्षण हुए हैं, वह साफ-साफ बता रहे हैं कि भोजशाला वाग्देवी का मंदिर है, इसके अतिरिक्त कुछ नहीं।

हिंदुओं को यहां पूजा करने का पूरा अधिकार है और यह अधिकार देने से भोजशाला के धार्मिक चरित्र में कोई बदलाव नहीं होगा। सुनवाई के बाद कोर्ट ने एएसआइ को वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश दिया था। टीम को छह सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया गया था। आदेश के 11 दिन बाद सर्वे शुरू हो रहा है। ऐसे में एएसआइ को सर्वे पूरा करने के लिए सिर्फ साढ़े चार सप्ताह मिलेंगे। उसे 29 अप्रैल को रिपोर्ट प्रस्तुत करनी है। हर चल-अचल वस्तु की होगी जांच

संगठनों ने की थी आतिशबाजी, खिलाई थी मिठाई
गौरतलब है, मंगलवार और शुक्रवार के अलावा बाकी अन्य दिनों में सूर्योदय से सूर्यास्त तक पर्यटकों के लिए भोजशाला सशुल्क खुली रहती है. 11 मार्च को इंदौर हाईकोर्ट के आदेश के बाद हिंदू संगठनों में खुशी की लहर छा गई थी. कई संगठन के कार्यकर्ताओं ने भोजशाला के सामने आतिशबाजी की थी. लोगों ने भोजशाला के अंदर राजाभोज के जयकारे लगाए थे. और एक-दूसरे को मिठाई खिलाई थी. भोपाल में भी संस्कृति बचाओ मंच ने धार की भोज शाला पर कोर्ट के निर्णय का स्वागत किया था. संस्कृति बचाओ मंच ने कोर्ट के निर्णय पर कहा था कि मुस्लिम धर्मगुरुओं से मांग है कि वे अपना मन बड़ा करके मुगलों द्वारा तोड़े गए हमारे सभी धर्मस्थल हमें सौंप दें. इससे हमारे धर्म स्थल हमें प्राप्त हो जाएंगे और सांप्रदायिक सौहार्द्र भी बना रहेगा. (Bhojshala ASI Survey)

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