ठंड की वजह से 157 लोगों की मौत, 77 हजार मवेशियों की भी गई जान
Cold in Afghanistan: अफगानिस्तान में ठंड की वजह से लोगों का हाल-बेहाल है। वहीं 15 दिन के अंदर भीषण ठंड से 157 लोगों की मौत हो चुकी है। जबकि 77 हजार मवेशी की भी जान चली गई हैं। अफगानिस्तान में तापमान माइनस 28 डिग्री पहुंच चुका है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार के मुताबिक देश के 2 करोड़ 83 लाख लोग यानी करीब दो तिहाई आबादी को जिंदा रहने के लिए तुरंत मदद की जरूरत है। ठंड के चलते 10 जनवरी से 19 जनवरी तक 78 मौतें हुई थीं। पिछले एक हफ्ते में ये आंकड़ा दोगुना हो गया।
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रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान में पिछले 15 सालों में इतनी भीषण ठंड नहीं पड़ी। यहां बर्फीले तूफान के चलते हालात नाजुक हो गए हैं। देश के 34 प्रांतों में से 8 प्रांतों में हालात गंभीर हैं। ठंड से मरने वालों का आंकड़ा इन्हीं 8 प्रांतों में सबसे ज्यादा है। तालिबान के सत्ता में आते ही अफगानिस्तान में आर्थिक और मानवाधिकार संकट बढ़ता जा रहा है। हाल ही में NGO में महिलाओं के काम करने पर बैन लगा दिया गया है। इसके चलते भी मौसम की मार से जूझ रहे लोगों तक मदद पहुंचने में दिक्कत आ रही है। (Cold in Afghanistan)
Bikes outside the British Embassy in Kabul. It's another cold winter in Afghanistan. The former @BritishCouncil teachers are still living in hiding as a result of the work they did for us. Let's get them to safety. #AtRiskTeachers @FCDOGovUK @ukhomeoffice @SuellaBraverman @GOVUK pic.twitter.com/dTPsjOG9Sy
— Joe Seaton (@AtRiskTeachers) January 25, 2023
स्वास्थ्य कर्मचारियों के मुताबिक ठंड की वजह से बच्चों को निमोनिया और सांस लेने में तकलीफ हो रही है। अस्पतालों में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ती जा रही है। डिजास्टर मैनेजमेंट मिनिस्टर मुल्ला मोहम्मद अब्बास अखुंद के मुताबिक ज्यादातर मौतें ग्रामीण इलाकों में हुई है। अखुंद का कहना है कि गांवों में स्वास्थ्य सुविधाएं कम हैं, जिसके चलते यहां ज्यादा मौतें हो रही हैं। भारी बर्फबारी के चलते अफगानिस्तान-पाकिस्तान हाईवे में जाम लगा हुआ है। इसके चलते जरूरत का सामान अफगानिस्तान नहीं पहुंच पा रहा है। (Cold in Afghanistan)
157 people died in the unprecedented cold in #Afghanistan pic.twitter.com/lTi1nBdOKi
— Afgan_Journalist (@afg_journalist1) January 26, 2023
UNOCHA ने बताया कि उसने जनवरी में अफगानिस्तान में 5 लाख 65 हजार 700 लोगों तक कंबल, शेल्टर और अन्य मानवीय सहायता पहुंचाई है। तालिबान ने दिसंबर 2022 में NGO में काम करने वाली महिलाओं पर बैन लगा दिया था। इसके बाद वहां मदद पहुंचा रहे विदेशी सहायता समूहों ने अपने ऑपरेशन बंद कर दिए थे। इन समूहों में ज्यादातर महिलाएं ही काम करती थीं। इस सिलसिले में UN की डिप्टी सेक्रेटरी जनरल अमिना मोहम्मद ने काबुल का दौरा भी किया था। उन्होंने महिलाओं पर लगे बैन को हटाने के मुद्दे पर चर्चा की थी। उन्होंने इसे महिलाओं के अधिकारों का हनन बताया था। (Cold in Afghanistan)
cold winter in #Afghanistan has killed more than 120 people and 77,000 livestock in past 2 weeks. Humanitarian aid delivery was suspended by international aid organizations due to #Taliban ban on women's work in NGOs.https://t.co/jWzuV0LAb2 pic.twitter.com/QCTItZL7EZ
— Sohrab Omar 🇦🇫 (@SohrabOmar) January 25, 2023
वहीं अफगानिस्तान सरकार को खर्च चलाने के लिए अमेरिका समेत दूसरे देशों से 75% से भी ज्यादा फंड मिलता था, लेकिन 2021 में करीब 20 साल बाद अमेरिका ने अफगानिस्तान से अपनी सेना वापस बुला ली। इस फैसले के बाद फंडिंग की व्यवस्था चरमरा गई। हालांकि अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि मानवीय आधार पर आर्थिक मदद दे सकते हैं, लेकिन सीधे तौर पर कोई इकोनॉमिक सपोर्ट या सेंट्रल बैंक के असेट्स को डीफ्रीज करने का फैसला तालिबान के रवैए पर निर्भर होगा।
https://twitter.com/k__ei/status/1618245026332512261
इधर, तालिबान के कब्जे के बाद अफगानिस्तान के सेंट्रल बैंक की करीब 10 अरब डॉलर की संपत्तियां विदेशों में फ्रीज कर दी गई थीं। इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड ने भी 44 करोड़ डॉलर का इमरजेंसी फंड ब्लॉक कर दिया। ऐसे में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि अफगानिस्तान इस वक्त करेंसी की वैल्यू में गिरावट, खाने-पीने की चीजों, पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी इजाफा और प्राइवेट बैंकों में नकदी की कमी जैसे संकटों का सामना कर रहा है। यहां तक कि संस्थाओं के पास स्टाफ का वेतन देने तक के पैसे नहीं हैं। बता दें कि जब से तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा किया है तब से हालात बद से बदतर हो रहे हैं। (Cold in Afghanistan)