11 अप्रैल को मनाया जाएगा गुरु तेगबहादुर का प्रकाश पर्व, सिख समाज ने पूरी कर ली तैयारी
Guru Hargobind Sahib: वैशाख कृष्ण पंचमी को उनका प्रकाश पर्व मनाया जाता है, वे सिखों के नौंवें गुरु थे। उनका बचपन का नाम त्यागमल था और पिता का नाम श्री गुरु हरगोबिंद साहेब था। श्री गुरु हरगोबिंद साहिब सिखों के नौवें गुरु हैं। मीरी-पीरी के मालिक पिता गुरु हरिगोबिंद साहिब की छत्र छाया में उनकी शिक्षा-दीक्षा हुई। इसी समय तेग बहादुर जी ने गुरुबाणी, धर्मग्रंथ तथा शस्त्रों और घुड़सवारी आदि की शिक्षा प्राप्त की।
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सिखों के 8वें गुरु श्री हरकिशन जी के ज्योति ज्योत सामने के बाद श्री गुरु तेग बहादुर जी सिक्खों के नौवें गुरु बने। इनकी वीरता से प्रभावित होकर उनके पिता ने उनका नाम तेग बहादुर यानी तलवार के धनी रख दिया। गुरु तेग बहादुर सिंह जहां भी गए उन्होंने देश को दुष्टों के चंगुल से छुड़ाने के लिए जनमानस में देशप्रेम की भावना भर, कुर्बानियों के लिए तैयार किया और मुगलों के नापाक इरादों को नाकामयाब करते हुए कुर्बान हो गए। (Guru Hargobind Sahib)
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सिक्खों के नौंवें गुरु तेग बहादुर ने अपने युग के शासन वर्ग की नृशंस एवं मानवता विरोधी नीतियों को कुचलने के लिए अपना बलिदान दे दिया। गुरु तेग बहादुर जी द्वारा रचित बाणी के 15 रागों में 116 शबद (श्लोकों) श्रीगुरु ग्रंथ साहिब में संकलित हैं। शस्त्र, शास्त्र, संघर्ष, वैराग्य, लौकिक, रणनीति, राजनीति और त्याग सारे गुण गुरु तेग बहादुर सिंह में मौजूद थे, ऐसा संयोग मध्ययुगीन साहित्य और इतिहास में बिरला ही देखने को मिलता है। प्रेम, सहानुभूति, त्याग, ईश्वरीय निष्ठा, समता, करुणा और बलिदान जैसे मानवीय गुण गुरु तेग बहादुर सिंह में विद्यमान थे। ये जानकारी सुखबीर सिंह सिंघोत्रा ने दी है। (Guru Hargobind Sahib)
- जन्मतिथि – 21 अप्रैल 1621
- बलिदान दिवस – 24 नवंबर 1675